नई दिल्ली: गुजरात में रह रहे उत्तर भारतीयों पर हुए हमलों के बाद अब इस मामले पर सियासी खींचतान भी शुरू हो गई है. विपक्षी दल किसी भी तरह से इस मुद्दे को अपने हाथ से नहीं जाने देना चाहते हैं. उत्तप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ट्वीट कर केंद्र और राज्य की बीजेपी सरकार को इस पूरे मामले के लिए सीधे-सीधे दोषी ठहराया है. इस घटनाक्रम की शुरुआत तब हुई जब साबरकांठा में 28 सितंबर को 14 महीने की बच्ची के साथ रेप का मामला सामने आया. इस मामले में बिहार के एक मजदूर को गिरफ्तार किया गया. इसके बाद उत्तर भारतीयों पर हमले शुरू हो गए थे. उत्तर भारतीयों को गुजरात से पलायन के लिए मजबूर होना पड़ा.


हिंदीभाषियों के विरोध के नाम पर नफ़रत की राजनीति को फैलाई जा रही है- अखिलेश


समाजवादी पार्टी के मुखिया और उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने गुजरात में फैली इस अशांती के लिए बीजेपी सरकार के ऊपर निशाना साधा है. अखिलेश यादव ने अपने ऑफिशियल ट्विटर अकॉउंट से ट्वीट करते हुए कहा "गुजरात एक बार फिर सुर्ख़ियों में है, जहाँ कुछ लोग कुछ लोगों के इशारे पर अमन-चैन बिगाड़ रहे हैं और हिंदीभाषियों के विरोध के नाम पर नफ़रत की राजनीति को फैला रहे हैं. केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार इसके लिए पूरी तरह से ज़िम्मेदार है."





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इन हमलों के लिए विपक्ष बीजेपी को ठहरा रहा है जिम्मेदार


अखिलेश यादव से पहले भी विपक्षी दल के कई नेता उत्तर भारतीयों पर हो रहे हमले के लिए बीजेपी सरकार पर निशाना साध चुके हैं. कांग्रेस के नेता संजय निरुपम ने सीधे पीएम मोदी को निशाने पर लेते हुए काह था, ''पीएम के गृह राज्य में अगर उत्तर भारतीय लोगों को भगाया जाएगा तो पीएम को भी बनारस जाना है." बिहार के पूर्व-उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सियासी हमला करते हुए कहा था ''यूपी,बिहार के लोगों को पीटने वालों गुजरात के लम्पट संघियों समझ लो, प्रधानमंत्री यूपी से चुनाव जीते हैं. मोदी जी, आप देश के प्रधानमंत्री हैं. इस मुद्दे पर आपकी चुप्पी ख़तरनाक है."


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उत्तर भारतीयों के पलायन से गुजरात हो राह है नुकसान

उत्तर भारतीयों के खिलाफ हो रहे हमले की वजह से उन्हे गुजरात से पलायन करना पड़ रहा है. इन हालात का असर गुजरात के कारोबार पर भी पड़ रहा है. गुजरात चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज़ ने सीएम विजय रूपाणी को चिट्ठी लिखी है. चेंबर ऑफ कॉमर्स ने मुख्यमंत्री से कहा है कि परप्रांतीय मजदूरों पर हमलों और पलायन से उत्पादन और व्यापार पर असर पड़ रहा है.


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