खुद को असली राम भक्त साबित करने के लिए शिव सेना और बीजेपी ने झोंकी ताकत
असली राम भक्त कौन? शिव सेना और बीजेपी में ठन गई है. 25 नवंबर को अयोध्या में विश्व हिंदू परिषद की धर्म सभा के लिए संघ और बीजेपी ने पूरी ताक़त झोंक दी है.
अयोध्या: असली राम भक्त कौन? शिव सेना और बीजेपी में ठन गई है. 25 नवंबर को अयोध्या में विश्व हिंदू परिषद की धर्म सभा के लिए संघ और बीजेपी ने पूरी ताक़त झोंक दी है. पहले मंदिर फिर सरकार के नारे के साथ शिव सेना ने ही पहले धर्म सभा का ऐलान किया था. उसके बाद वीएचपी और सहयोगी संगठनों ने भी एलान कर दिया. छह दिसंबर से पहले अयोध्या में इस वक़्त कोई हलचल नहीं होती. छब्बीस साल पहले इसी तारीख़ को विवादित ढाँचा तोड़ दिया गया था. तब से हर साल इस दिन अयोध्या में माहौल गर्म हो जाता है लेकिन इस बार तो दस दिन पहले ही तनातनी की हालत है.
शिव सेना और विश्व हिंदू परिषद ने अयोध्या में डेरा डाल दिया है. वीएचपी की ताक़त तो बीजेपी से है. दोनों ही पार्टियों का एलान रामलला को टेंट से बाहर निकालने का है. सच तो ये है कि अयोध्या में धर्म सभा का आयडिया तो शिव सेना का है. शिव सेना ने ही क़रीब तीन महीने पहले उद्धव ठाकरे के अयोध्या दौरे का एलान किया था. पार्टी के सांसद संजय राउत ख़ुद लखनऊ आये थे. यूपी सरकार ने उन्हें राज्य अतिथि मान कर ख़ूब आव भगत की थी. लखनऊ में उन्हें वीवीआईपी गेस्ट हाउस में ठहराया गया था. सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी दिल खोल कर संजय राउत का स्वागत किया था.
लेकिन अगली बार जब संजय राउत लखनऊ आये तो उन्हें एक होटल में रहना पड़ा. वे अब यूपी सरकार के मेहमान नहीं रहे थे. उनके अयोध्या जाकर रामलला के दर्शन पर भी सवाल उठने लगे थे. ऐसा इसीलिए हो रहा था कि अब तक विश्व हिंदू परिषद ने भी धर्म सभा बुला ली थी. अयोध्या में रामलला के असली भक्त के दो-दो दावेदार हो गए थे. ये भक्ति अगले लोकसभा चुनाव को लेकर जगी है, ये तो सब जानते हैं. शिव सेना ने लक्ष्मण क़िला मैदान में धर्म सभा करने की इजाज़त मांगी लेकिन अयोध्या के डीएम ने अयोध्या के बाहरी इलाक़े गुलाबबाडी में कार्यक्रम करने को कहा. इसीलिए तो संजय राउत बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहते हैं 17 मिनट में ढाँचा गिर सकता है तो फिर 17 मिनट में क़ानून क्यों नहीं बन सकता है.
भले ही अयोध्या ज़िला प्रशासन ने शिव सेना को लक्ष्मण क़िला मैदान में सभा करने की इजाज़त नहीं दी. लेकिन संत आज उसी जगह जुटेंगे. शिव सेना ने 1100 साधु संतों को इसके लिए बुलाया है. राम जन्म भूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास को भी बुलाया गया था लेकिन उन्होंने जाने से मना कर दिया था. ख़बर है कि विश्व हिंदू परिषद के बड़े नेताओं के समझाने पर महंत नृत्य गोपाल तैयार हुए. वे इस बात से नाराज़ थे कि सेना के लोग उत्तर भारतीयों को मारते पीटते हैं.
अयोध्या में शिव सेना के कार्यक्रम को लेकर योगी आदित्यनाथ और देवेन्द्र फड़नवीस के बीच कई बार बातचीत हुई. महाराष्ट्र से ट्रेन रवाना होने के बाद भी दोनों मुख्य मंत्रियों ने फ़ोन पर बात की. ख़बर तो ये भी है कि रेलवे स्पेशल ट्रेन देने को तैयार नहीं थी. फिर शिव सेना ने धमकी दी कि राम भक्त शिव सैनिक भी चुप नहीं बैठेंगें. ईंट से ईंट बजा देंगे. तब जाकर रेलगाडी अयोध्या ले जाने की इजाज़त दी गई. बीजेपी के नेताओं को लगता है कि क्या पता लोकसभा चुनाव के बाद हमें शिव सेना के मदद की ज़रूरत पड़े. इसीलिए पार्टी रिश्तों का एक दरवाजा खुला रखने के पक्ष में है.