लखनऊ: यूपी के सरकारी स्कूलों में नया सत्र शुरू हुए महीने भर हो गया है. लेकिन बच्चों को अब तक किताबें नहीं मिल पाई हैं. बिना किताब के ही डेढ़ करोड़ बच्चे पढ़ाई करने को मजबूर हैं. पिछले साल भी तीन महीने की देरी से किताबें मिली थीं. यूपी में पहली से लेकर आठवीं क्लास तक के छात्र छात्राओं को किताबें फ़्री में मिलती हैं. बच्चों को स्कूल बैग और ड्रेस भी मुफ़्त मिलता है. योगी आदित्यनाथ सीएम बने तो पिछले साल से स्वेटर और जूते मोजे भी मिलने लगे.
बेसिक शिक्षा विभाग ने किताबों की खरीद के लिए मार्च महीने में टेंडर जारी किया था. टेंडर में हुई देरी से बच्चों को वक़्त पर किताबें नहीं मिल पाई. खबर है कि अपर मुख्य सचिव राज प्रताप सिंह की लापरवाही से देरी हुई है. फिर उन्होंने पिछले साल के बच्चों से पुरानी किताबें लेकर बांटने के आदेश दे दिए. शिक्षा विभाग के एक अफसर ने बताया कि कुछ विषयों में बदलाव किया गया है. अब ऐसे हालात में पुरानी किताबों से पढ़ाया नहीं जा सकता है.
इंग्लिश मीडियम वाले स्कूलों में भी किताबें नहीं बंट पाईं हैं. बेसिक शिक्षा विभाग ने इस साल से यूपी में करीब 4500 अंग्रेज़ी माध्यम के स्कूल शुरू किए हैं. बिना किताबों के इन स्कूलों में भी पढ़ाई ठप्प है. ख़बर है कि जुलाई से पहले इन स्कूलों को भी किताबें नहीं मिल पाएंगी. बेसिक शिक्षा विभाग की मंत्री अनुपमा जायसवाल ने बताया, “हम 20 मई तक कुछ स्कूलों में किताबें बंटवा देंगे. बाकी स्कूलों को गर्मी की छुट्टी के बाद मिलेंगी.
यूपी के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी राज प्रताप सिंह के पास खनन और बेसिक शिक्षा समेत कई विभाग हैं. ऐसे में फैसले लेने में देरी हो जाती है और बच्चों को भुगतना पड़ रहा है. बता दें कि स्वेटर भी जनवरी महीने में बंटना शुरू हुआ था. तब तक आधा ठंडी बीत चुकी थी. यही हाल जूते मोज़े बांटने में भी हुआ. पिछले साल स्कूलों में नया सत्र शुरू होने के 7 महीने बाद बच्चों को जूते मिले थे.