पटना: बिहार विधानसभा के पांच दिन के सेशन में तीन बिल पास हुए और वो भी बिना बहस की हुए. वहीं 770 सवालों में से सिर्फ एक सवाल हुआ लेकिन उसका सही से जवाब नहीं आ पाया. बिहार विधान सभा का आलम ये था कि सभा शुरू होने से पहले ही हंगामे की भेंट चढ़ जा रहा था. कार्यवाही शुरू होते ही बन्द करने की नौबत आ जाती थी. हंगामा इतना हुआ कि विधान सभा परिसर में मौजूद रहने के बावज़ूद सदन के नेता और सीएम नीतीश कुमार महज़ कुछ मिनट ही सदन के अंदर रह पाए. फिलहाल बिहार विधानमंडल का शीतकालीन सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया है.


सदन प्रशासन से मिली जानकारी के मुताबिक कुल तीन बिल पास हुए. ये तीनों महत्वपूर्ण बिल थे. जीएसटी संशोधन बिल- जनता से लिए जा रहे टैक्स पर जनता के लिए कोई बहस नहीं हुई. इसी तरह औद्योगिक विवाद और फिर विनियोग विधेयक भी पास हो गया. कोइ बहस नहीं हुई. इन सभी विधेयक पर सरकार को घेरा जा सकता था लेकिन किसी कोई इसकी परवाह नहीं थी. विपक्ष कानून व्यवस्था पर कार्यस्थगन प्रस्ताव लाने की ज़िद पर अड़ी रही जिसे अध्यक्ष ने नामंजूर कर दिया.


पहले दिन से पांचवें दिन तक हंगामा होता रहा. प्रश्नकाल में 770 सवाल थे लेकिन शोर शराबे के बीच सिर्फ एक ही सवाल हो पाया जिसका जवाब आधा अधूरा रहा. एक तरह से देखा जाए तो विपक्ष भले ही हंगामा कर मीडिया का ध्यान लेने में लगा रहा लेकिन सरकार और मंत्री भी मौज में रहे, क्योंकि सवाल पूछे जाते तो सरकार की किरकिरी हो जाती. न सवाल हुए न जवाब.


हालांकि सभी विधायक अपनी हाज़िरी लगाते रहे ताकि रोज़ मिलने वाले भत्ते में कटौती न हो. वहीं सरकार ने भी बिना बहस के बिल पास करा ली. एक अनुमान के मुताबिक एक दिन कम से कम दो से ढाई करोड़ का खर्च आता है.


जब आरजेडी नेता वीरेंद्र भाई से पूछा गया कि आपलोगों के क्या मुद्दे हैं और आपलोग सदन क्यों नहीं चलने देते. इस पर उन्होंने कहा कि हमारा मकसद यह नहीं है कि सदन न चले. हम जनता के नुमाइंदे हैं और जनता के प्रतिनिधि हैं. जनता के सवालों को हम सदन में रखने आएं हैं. अगर जनता के सवाल को लेकर के कोई बात रखते हैं तो ये नहीं समझा जाये कि हम सदन नहीं चलने देना चाहते हैं. ये सरकार उत्तर नहीं देना चाहती है और ना सरकार सदन चलाना चाहती है. सरकार अपने कुकर्मों से बचना चाहती है और सदन में माननीय मुख्यमंत्री सदन के नेता होते हैं वो कभी झाकने तक नहीं आए हैं.


वहीं तेजस्वी यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री सदन के नेता होते हैं लेकिन वो सदन में नहीं रहते. सदन के सदस्यों का जवाब नहीं देते. अस्पताल में पुलिस बलात्कार कर रही है. अब यह नौबत आ गई है कि सरकारी जगह भी सुरक्षित नहीं है. शेल्टर होम में बलात्कार होता है. मंत्री और बड़े अधिकारी की संलिप्तता पाई गई. हमलोग इंतजार कर रहे थे कि मुख्यमंत्री आएंगे और इसका जवाब देंगे.


तेजस्वी ने कहा कि मुख्यमंत्री अपराधिक मामले में अपनी चुप्पी आखिर कैसे तोड़ें, जब उनपर ही हत्या का अपराधिक मुकदमा चल रहा है. जहां बिहार सरकार वर्सेज नीतीश कुमार हो, वहां निष्पक्ष जांच हो ही नहीं सकती. मुझे दुख होता है कि जब बिहार के मुख्यमंत्री पर मर्डर का केस चल रहा हो और कोर्ट में सुनवाई हो रही हो.


उधर संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार ने विपक्ष पर सदन न चलने का ठीकरा फोड़ दिया. उन्होंने कहा कि विपक्ष ने जो सवाल किया उसका जवाब लेने की भी हिम्मत नहीं हुई. उनका मकसद सिर्फ हंगामा करना था. हमलोग लंबे समय से इस हाउस में हैं. ऐसा पहली दफा हुआ जब एक प्रश्न ही विधानसभा में पूछे गए हों. जो अच्छा काम हो रहा है उसमें ये बाधा डालना चाहते हैं. सरकार के संदेश को रोकना चाहते हैं.