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मेरठ के बच्चा जेल में कर्मचारी कर रहा था कुकर्म, मामला दबाकर आरोपी को भेजा जेल
मेरठ के बाल संप्रेक्षण गृह और राजकीय बालगृह में रह रहे बच्चे के साथ कुकर्म का मामला सामने आया है. बालगृह के अंदर ही एक संविदाकर्मी बच्चे का लंबे समय से यौन शोषण कर रहा था.
मेरठ: मेरठ के बाल संप्रेक्षण गृह और राजकीय बालगृह में रह रहे बच्चे के साथ कुकर्म का मामला सामने आया है. बालगृह के अंदर ही एक संविदाकर्मी बच्चे का लंबे समय से यौन शोषण कर रहा था. मजिस्ट्रेट की जांच में इसका खुलासा हुआ तो आनन-फानन में चुपचाप केस दर्ज करके आरोपी संविदाकर्मी को जेल भेज दिया गया है. बालगृह के केअरटेकर के निलंबन की सिफारिश शासन को भेजी गई है.
लंबे वक्त से हो रहा था बच्चे का यौन शोषण
मेरठ के सूरजकुंड इलाके में स्थित इस बालगृह में बंद बच्चों के सुधार के लिए बीते एक महीने से बड़े जतन किये जा रहे है. कमिश्नर के आदेश पर कई मजिस्ट्रेटों को यहां पर औचक निरीक्षक करने के लिए तैनात किया गया है.
एक सप्ताह पहले ऐसे ही एक निरीक्षण के दौरान मजिस्ट्रेट ने बालगृह की सुविधाओं और खान-पान के बारे में बच्चों के जानकारी की. इस दौरान बालगृह के कर्मचारियों को अलग कर दिया गया. पूछताछ के दौरान ही एक बच्चे ने अपने साथ हो रहे यौन उत्पीड़न की जानकारी मजिस्ट्रेट को दी.
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बच्चे को बाकी बच्चों से अलग करके मजिस्ट्रेट ने विस्तृत पूछताछ की और फिर उच्चाधिकारियों को घटना से अवगत कराया. जिलाधिकारी के आदेश के बाद मामले में नौचंदी थाने में संविदाकर्मी जावेद अंसारी के खिलाफ केस दर्ज कराया गया और उसे गिरफ्तार करके जेल भेजा गया है. पुलिस ने बच्चे का मेडीकल परीक्षण भी कराया है.
मजिस्ट्रेट ने सौंपी जांच
प्रशासनिक स्तर पर तेजी से जांच का दौर चल रहा है. इस मामले में बाकी बच्चों से भी बात की गई है और बालगृह के अफसर और कर्मचारियों से भी पूछताछ हुई है. बताया जा रहा है कि जावेद नशे का आदी था. हैरत की बात यह है कि उसकी इन आदतों को बालगृह के प्रभारी छुपाते रहे और बालगृह में बच्चे के साथ कुकर्म के मामले पर भी परदा डाले रहे. डीएम ने एसीएम सदर को इस मामले में गहन जांच करने के आदेश दिये है. एसीएम सदर अमिताभ यादव ने मामले की प्रारंभिक जांच भी डीएम को सौंप दी है.
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कमिश्नर के निरीक्षण में सामने नहीं आ सका मामला
कमिश्नर मेरठ अनीता सी मेश्राम ने इस बालगृह के बच्चों को शिक्षित करने के लिए पिछले दिनों ही अभियान शुरू किया है. निजी स्कूलों से अनुरोध के बाद कमिश्नर ने बालगृह के एक दर्जन बच्चों को अलग-अलग स्कूलों में पढ़ने के लिए भेजा है.
इन बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा जिले के दो बड़े स्कूल उठा रहे है. दिलचस्प बात यह है कि कमिश्नर खुद इन बच्चों की अभिभावक बनी है और बच्चों की जरूरत का हर ख्याल रख रही है. करीब 15 दिन पहले खुद कमिश्नर ने बालगृह का निरीक्षण किया था तब यह मामला उनके सामने नहीं आ सका.
जिलाधिकारी बोले- होगी कड़ी कार्रवाई
डीएम अनिल ढींगरा ने बताया कि मामले में मजिस्ट्रेटियल जांच पूरी कर ली गई है. केस दर्ज करके आरोपी को जेल भेजा है. बालगृह की गतिविधियों पर अब कड़ी निगरानी है और कर्मचारियों की गतिविधियां भी अब प्रशासनिक अफसरों की जानकारी में है. इस मामले में लापरवाही के जिम्मेवार आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए लिखा गया है.
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