नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने पिछड़ा वर्ग सम्मलेन करने का फैसला किया है. आपको बता दें कि बीएसपी ने ये रणनीति भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का मुकाबला करने के लिए अपनाई है. बीजेपी ने ऐसी 75 जगहों पर रैलियां करने का ऐलान किया था, जहां पिछड़ों की तादाद अधिक है.
मायावती की अब तक चुनावी रणनीति का मुख्य फोकस दलित और मुस्लिम वोटों के समीकरण के आसरे चुनाव जीतने पर था. लेकिन कार्यकर्ताओं से मिले फीडबैक के बाद अब उन्होंने अपने फार्मूले में थोड़ा बदलाव किया है. आपको बता दें कि दलित और अति पिछड़ों को एक साथ लाने की कोशिश पार्टी के संस्थापक रहे कांशीराम ने शुरू की थी.
बीएसपी में इस समय पिछड़ा वर्ग की अगुवाई करने वाला कोई बड़ा नेता नहीं है. पार्टी में पिछड़ा वर्ग का चेहरा रहे स्वामी प्रसाद मौर्य कुछ समय पहले ही बीएसपी छोड़ बीजेपी का दामन थाम चुके हैं.
मौर्या, सैनी, शाक्य और कुशवाहा जैसी जातियों पर बीएसपी की अच्छी पकड़ थी, लेकिन लोक सभा चुनाव के बाद से बीजेपी ने इस वोट बैंक में काफी सेंध मारी है. अगले साल की शुरुआत में उत्तर प्रदेश में विधान सभा चुनाव से पहले बीजेपी दो सौ पिछड़ा सम्मलेन कर रही है.
यूपी में विधानसभा की 403 सीटें है और बीएसपी की तैयारी सभी ज़िलों में पिछड़ा सम्मलेन करने की है. मायावती ने जनवरी तक पार्टी कार्यकर्ताओं से सभी रैलियां ख़त्म करने को कहा है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यूपी में 33 प्रतिशत अति पिछड़े वोटर है.