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एमपी, राजस्थान में बीएसपी ने कांग्रेस को समर्थन देकर खेला है ये बहुत बड़ा दांव
बहुजन समाज पार्टी ने छत्तीसगढ़ में दो सीटें जीतीं और 2.2 प्रतिशत वोट हासिल किए. मध्य प्रदेश में भी बीएसपी ने दो सीटें हासिल कीं और 0.9 प्रतिशत वोटों पर कब्जा किया. राजस्थान में पार्टी ने 6 सीटें जीतीं और तीन प्रतिशत वोट हासिल किया.
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लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी ने छत्तीसगढ़ में दो सीटें जीतीं और 2.2 प्रतिशत वोट हासिल किए. मध्य प्रदेश में भी बीएसपी ने दो सीटें हासिल कीं और 0.9 प्रतिशत वोटों पर कब्जा किया. राजस्थान में पार्टी ने 6 सीटें जीतीं और तीन प्रतिशत वोट हासिल किया. इन नतीजों से साफ है कि अगर 2019 के लिए महागठबंधन होता है तो 'सम्मानजनक' सीटों के लिए बीएसपी की दावेदारी काफी मजबूत होगी.
आपको याद होगा कि बहुजन पार्टी सुप्रीमो मायावती लगातार ये बयान देती रही हैं कि वो सम्मानजनक सीटें मिलने पर ही महागठबंधन में शामिल होंगी. चुनाव से पहले ये कयास लगाए जा रहे थे कि बीजेपी को टक्कर देने के लिए विपक्षी दल एक साथ आ सकते हैं. उस वक्त भी मायावती ने यही कहा था कि अगर सम्मानजनक सीटें मिलेंगी तभी उनकी पार्टी इस गठबंधन का हिस्सा बनेगी.
20 नवंबर को एक बयान में मायावती ने कहा था कि, "गठबंधन की आड़ में कांग्रेस सोची समझी रणनीति व षडयंत्र के तहत हमें बहुत ही कम सीटें देकर बीएसपी को खत्म करना चाहती थी." उन्होंने कहा कि कि इसके बाद पार्टी ने प्रदेश में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला लिया. हालांकि उन्होंने ये नहीं बताया था कि कांग्रेस ने उनको कितनी सीटों का प्रस्ताव दिया था.
बीएसपी प्रमुख ने पार्टी संस्थापक कांशीराम के स्मृति दिवस पर कहा था कि उन्होंने चुनावी गठबंधनों के लिए 'सम्मानजनक सीटें' मिलने मात्र की शर्त रखी है. महागठबंधन में बीएसपी सीटों के लिए 'भीख' नहीं मांगेगी. ऐसा नहीं होने पर बीएसपी अकेले अपने बलबूते पर ही चुनाव लड़ती रहेगी."
अक्तूबर की शुरुआत में मायावती ने गठबंधन नहीं होने के लिए दिग्विजय सिंह पर निशाना साधा था. उन्होंने कहा था कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी गठबंधन चाहते हैं लेकिन दिग्विजय सिंह नहीं चाहते कि बीएसपी और कांग्रेस का गठबंधन हो. दरअसल ABP न्यूज को दिए गए एक इंटरव्यू में दिग्विजय सिंह ने कहा था कि मायावती सीबीआई से डरी हुई हैं.
मध्य प्रदेश में मायावती की चुनावी ऱणनाति का क्या होगा यूपी में असर?
कर्नाटक में शपथ ग्रहण समारोह में सोनिया गांधी और मायावती के बीच जिस आत्मीयता के साथ मुलाकात हुई थी उससे लग रहा था कि बीएसपी आने वाले वक्त में कांग्रेस के साथ मिल कर गठबंधन बनाएगी और समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय लोकदल आदि भी साथ में होंगे. लेकिन जैसे जैसे वक्त बीता मायावती ने बीजेपी के साथ साथ कांग्रेस को भी निशाने पर लेना शुरु कर दिया.
हालांकि अब राजस्थान और मध्यप्रदेश में बीएसपी ने कांग्रेस को बिना शर्त समर्थन का एलान किया है. मायावती के इस दांव ने भविष्य में महागठबंधन का गेट खुला रखा है. दरअसल, महागठबंधन का जो फॉर्मूला अखिलेश यूपी में बना रहे हैं उसमें बीएसपी को सबसे ज्यादा सीटें मिलना तय है. अखिलेश खुद कह चुके हैं कि वो पीएम नहीं बनना चाहते और दिल्ली की राजनीति नहीं करना चाहते, दूसरी ओर बीएसपी के सम्मेलनों में जोर-शोर से मायावती को पीएम बनाने की बातें की जा रही थीं.
2014 के लोकसभा चुनाव नतीजों के मुताबिक बीजेपी और कांग्रेस के बाद बीएसपी वोट प्रतिशत के मामले में देश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है. बहुजन समाज पार्टी के वोटर को काफी पाबंद माना जाता है. अनूसूचित जाति, जनजाति के वोटरों के अलावा बड़ी संख्या में सवर्ण वोटर भी बीएसपी के पास हैं. बहुजन से सर्वजन की ओर जाने के बाद मायावती का वोटर बढ़ा ही है.
अब देखना ये होगा कि 2019 में इस जीत से लबरेज कांग्रेस महागठबंधन बनाने का प्रयास करेगी या नहीं? और यदि महागठबंधन बनता है तो उसमें बीएसपी की क्या स्थिति रहेगी?
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