नई दिल्ली: बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने कहा है कि समाज को जातियों में बांटने के बाद अब देवी देवताओं को भी जाति में बांटने की राजनीति शुरु हो गयी है. उन्होंने आगाह किया कि "सांप्रदायिकता की राजनीति फैलाने वालों से लोगों को सावधान रहना चाहिये." उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की बृहस्पतिवार को पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये कहा कि जाति और संप्रदाय की राजनीति से सामाजिक भेदभाव का खतरा गहरा गया है.


उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भगवान हनुमान को दलित समुदाय का बताने वाले कथित बयान का जिक्र करते हुये कहा "वोट और चुनावी स्वार्थ की राजनीति में बीजेपी के वरिष्ठ नेतागण इतना गिर गये हैं कि अब वे हिन्दू देवी-देवताओं और आस्थाओं को भी नहीं बख्श रहे हैं."


उन्होंने कहा कि यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का कथित बयान चर्चा का विषय बना हुआ है और उनके इस बयान के आधार पर देश के सभी हनुमान मन्दिरों को दलित पुजारियों के हवाले करने की मांग भी उठ रही है.


मायावती ने बीजेपी पर सांप्रदायिकता की राजनीति के जरिये समाज को बांटने का आरोप लगाते हुये कहा "इन लोगों ने जाति के आधार पर पहले लोगों को बांटा और अब देवी-देवताओं को भी जाति में बांटने का फरमान जारी कर रहे हैं. ऐसे लोगों से देश की जनता को सजग रहने की जरूरत है."


बीएसपी प्रमुख ने दिल्ली स्थित अपने आवास पर डॉ. अंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित कर पार्टी कार्यकर्ताओं को संकल्प दिलाया कि डॉ. अम्बेडकर द्वारा प्रदत्त संविधान में "एक व्यक्ति एक वोट तथा प्रत्येक वोट का एक समान मूल्य" के अधिकार को निष्प्रभावी बनाने की साजिश को सफल नहीं होने देना है.


उन्होंने कहा कि बीजेपी की केन्द्र सरकार समतामूलक समाज की स्थापना के संकल्प को साकार करने वाले संविधान को विफल साबित करने के षडयंत्र में लगी है. मायावती ने पार्टी कार्यकर्ताओं से बीजेपी की इस साजिश को नाकाम बनाने का आह्वान किया.


इस दौरान उन्होंने कांग्रेस पर भी वंचित तबकों के साथ अन्याय करने का आरोप लगाया. मायावती ने कहा "कांग्रेस ने अपने लम्बे शासनकाल में सर्वसमाज के गरीबों, मजदूरों, किसानों, दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों को समानता के संवैधानिक अधिकारों से वंचित रखा. इसके कारण ही अथक संघर्षों के बावजूद जातिवाद के शिकार इन वर्गों की दशा आज भी दयनीय है."


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