लखनऊ: यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने नागरिकता संशोधन कानून को लेकर मीडिया से बात करते हुए कहा कि पार्टी ने राष्ट्रपति से मिलने का वक्त मांगा है. हमारी पार्टी यूपी विधानसभा में भी नए नागरिकता कानून के खिलाफ आवाज उठाएगी.


उन्होंने कहा,"हम केंद्र सरकार से एक असंवैधानिक कानून को वापस लेने की मांग करते हैं. ये ऐसे ही हालात पैदा करेगा जैसा कांग्रेस के वक्त में इमरजेंसी काल में हुआ था और कांग्रेस की हार हुई थी."


इससे पहले मायावती ने अपने ट्विटर अकाउंट से ट्वीट करके जामिया और अलीगढ़ की घटनाओं पर दुख जताया था. उन्होंने लिखा- नए नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में की गई हिंसा में पहले उत्तर प्रदेश की अलीगढ़ व फिर जामिया यूनिवर्सिटी में तथा पूरे जामिया क्षेत्र में भी जो काफी बेकसूर छात्र व आमलोग शिकार हुए हैं यह अति दुर्भाग्यपूर्ण है तथा पार्टी पीड़ितों के साथ है.'


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उन्होंने लिखा- ऐसे में उ.प्र. व केन्द्र सरकार को चाहिये कि वे इन वारदातों की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच कराये और उनके मूल दोषी किसी भी कीमत पर बचने नहीं चाहिये तथा पुलिस व प्रशासन को भी निष्पक्ष रूप में कार्य करना चाहिए.


अपने तीसरे ट्वीट में बीएसपी अध्यक्ष ने लिखा- वरना यह आग पूरे देश में व खासकर शिक्षण संस्थानों में भी काफी बुरी तरह से फैल सकती है. साथ ही, सभी साम्प्रदायों से यह भी अपील है वे शान्ति-व्यवस्था को बनाये रखें.


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इसके बाद अगले ट्वीट में मायावती ने लिखा- नागरिकता संशोधन कानून के विरुद्ध देश भर में जारी आन्दोलन व खासकर अलीगढ़ व जामिया यूनिवर्सिटी के छात्रों पर हुई पुलिस बर्बता के सम्बंध में विरोध प्रकट करने व इसकी न्यायिक जांच कराने की मांग को लेकर बीएसपी का संसदीय दल कल अलग से मा राष्ट्रपति से मिलेगा जिसके लिए समय की मांग की गई है.


यूपी भी हिंसा की चपेट में


उत्तर प्रदेश के मऊ में हिंसा पर उतारू भीड़ ने पहले सड़क पर चल रही गाड़ियों को पत्थर से निशाना बनाया. शाम होते होते पुलिस थाने को आग के हवाले कर दिया. पुलिस की कई गाड़ियों को जला दिया. हालात इतने बिगड़ते चले गए कि पुलिस को उपद्रवियों को काबू करने के लिए आंसू गैस के गोले और हवाई फायरिंग तक करनी पड़ी. लगभग यही हाल अलीगढ़ का भी है. हिंसा के बाद मऊ और अलीगढ़ में धारा 144 लगानी पड़ी और मोबाइल इंटरनेट सेनाएं बंद कर दी गई.