लखनऊ: पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के पक्ष में बहुमत आने और बीजेपी के खराब प्रदर्शन पर बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने प्रेस कांफ्रेंस की. उन्होंने कहा कि जनता बीजेपी सरकार की गलत नीतियों और कार्यप्रणाली से इतनी दुखी हो गई थी किर उसे दोबारा सत्ता में आने नहीं देना चाहती थी. इसलिए नहीं चाहते हुए भी जनता ने कांग्रेस को बीजेपी के खिलाफ मजबूत विकल्प के रूप में चुना. उन्होंने कहा कि कांग्रेस 2019 के लोकसभा चुनाव में इस जीत को भुनाने की पूरी कोशिश करेगी इसमें कोई शक नहीं है.
छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बीएसपी की सीटों में दोगुना इजाफा हुआ है और इस प्रदर्शन के बाद यूपी में गठबंधन बीएसपी की शर्तों पर होना तय माना जा रहा है.
बीजेपी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि बीजेपी जाति की राजनीति करती है.
बता दें कि मायावती ने मध्य प्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान किया है. मायावती ने साफ़ कहा कि उनका ये फ़ैसला पीएम नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को रोकने से जुड़ा है. उन्होंने कहा कि बीजेपी को रोकने के लिए उनकी पार्टी हर संभव कदम उठाने को तैयार है. मायावती के इस एलान के साथ ये भी साफ़ हो गया कि 2019 आम चुनावों में गठबंधन की सूरत कैसी होगी.
बात करें आने वाले लोकसभा चुनावों में महागठबंधन की तो बीते दिनों उन्होंने साफ किया था कि गठबंधन तभी संभव है जब सम्मानजनक सीटें मिलें. मायावती के इस बयान पर अखिलेश ने तुरंत जवाब दिया था और यहां तक कह दिया था कि वो कुछ कदम पीछे हटने को तैयार हैं. इसके साथ ही अखिलेश ने ये भी कहा था कि कांग्रेस को दिल बड़ा रखना चाहिए.
दरअसल, महागठबंधन का जो फॉर्मूला अखिलेश यूपी में बना रहे हैं उसमें बीएसपी को सबसे ज्यादा सीटें मिलना तय है. अखिलेश खुद कह चुके हैं कि वो पीएम नहीं बनना चाहते और दिल्ली की राजनीति नहीं करना चाहते, दूसरी ओर बीएसपी के सम्मेलनों में जोर-शोर से मायावती को पीएम बनाने की बातें की जा रही हैं.
बहुजन समाज पार्टी के वोटर को काफी पाबंद माना जाता है. अनूसूचित जाति, जनजाति के वोटरों के अलावा बड़ी संख्या में सवर्ण वोटर भी बीएसपी के पास हैं. बहुजन से सर्वजन की ओर जाने के बाद मायावती का वोटर बढ़ा ही है.
गठबंधन पर बोलते हुए मायावती ने कहा था, 'बीएसपी से गठबंधन करने स पहले यह ज़रूर याद रखना चाहिए कि यह संघर्षों से निकली हुई पार्टी है. मायावती ने कहा कि सोनिया और राहुल गांधी दिल से कांग्रेस का गठबंधन चाहते हैं लेकिन दिग्विजय सिंह जैसे लोग नहीं चाहते कि बीएसपी और कांग्रेस का गठबंधन हो.
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती ने साफ कर दिया था कि उन्हें विपक्ष की इन बातों में कोई रुचि नहीं है कि 'लोकतांत्रिक मूल्यों व संविधान को बचाना है' या 'देश में सांप्रदायिक सद्भाव के लिए एकजुट होना है.' वांछित सीटों से वह कोई समझौता नहीं करेंगी. उन्होंने दो टूक कहा था कि बसपा महागठबंधन में सीटों के लिए 'भीख' नहीं मांगेगी.
बीएसपी की चुनावी रणनीति सबसे अलग और गुप्त होती है
लोकसभा चुनाव की तैयारियों में सभी पार्टिया रणनीति बनाने में जुटी हैं. लेकिन बीएसपी की चुनावी रणनीति सबसे अलग और गुप्त होती है. इस पार्टी में बोलने का अधिकार सिर्फ बीएसपी सुप्रीमो मायावती के पास है. बीएसपी के जिलाध्यक्ष, कोऑर्डिनेटर कुछ भी खुल कर नहीं बोलते हैं. लेकिन बीएसपी के खेमे से यह बात सामने आई है कि सर्व समाज का निचला तबका अब बीएसपी का वोटर बनेगा.
लोकसभा चुनाव में पहली बार मतदाता बनने वालों पर बीएसपी की नजर
युवाओं को बीएसपी में शामिल किया जाएगा. उनके पार्टी में जिम्मेदारी वाले पद भी दिए जाएंगे. इसके साथ ही सर्व समाज के निचले तबके के उन युवाओं पर भी नजर है जो लोकसभा चुनाव में पहली बार मतदाता बनेंगे. इस काम के लिए जमीनी स्तर पर कार्य शुरू कर दिया गया है. बीएसपी के कार्यकर्ता गांव-गांव और शहर में ऐसे परिवारों से संपर्क कर रहे हैं. बीएसपी के सभी कार्यकर्ताओं को को एक दिन में लगभग 100 परिवारों से संपर्क करने का टारगेट दिया गया है.