लखनऊ: राजनीति करने वालों की पहचान सफेद कड़क कुर्ता पायजामा से होना आम बात है, लेकिन कौन सा नेता किस दल का है इसकी पहचान करना बहुत ही मुश्किल है. ऐसे में अपनी पहचान बताने का नया तरीका अब राजनैतिक दलों ने निकाल लिया है. पुराने दौर में कांग्रेस कार्यकर्ता जहां सफेद नेहरू टोपी में नजर आते थे, तो वहीं आज से करीब 7 साल पहले आम आदमी पार्टी ने अस्तित्व में आने के साथ अपने कार्यकर्ताओं को टोपी से एक नई पहचान दी. इसके बाद समाजवादी पार्टी ने लाल टोपी अपने कार्यकर्ताओं के सिर पर लगा दी. अब एक नई टोपी सामने आई है. इस नई टोपी का रंग नीला है. ऐसे में जाहिर है कि बहुजन समाज पार्टी के नेता भी अब टोपी की राजनीति का हिस्सा बनकर सामने आए हैं.


विधानसभा सत्र में बसपा नेता नीली टोपी में आये


बहुजन समाज पार्टी ने भी अब अपने कार्यकर्ताओं को टोपी पहनाना शुरू कर दिया है. ये नेताओं और कार्यकर्ताओं को अपनी पहचान देने का तरीका है. यूपी विधानसभा में बजट सत्र की शुरुआत राज्यपाल के अभिभाषण से हुई. राज्यपाल के अभिभाषण के तुरंत बाद जब बसपा के नेता लालजी वर्मा मीडिया के सामने अपनी प्रतिक्रिया देने आए तब वो और उनके साथ दो अन्य विधायक नीली टोपी में दिखे. ये शायद पहला मौका है जब बसपा के नेता नीली टोपी में दिखे हैं. इस टोपी पर हाथी भी बना है और बहुजन समाज पार्टी भी लिखा है.


समाजवादी पार्टी और कांग्रेस नेता भी पहनते हैं टोपी


वक्त के साथ टोपी पहनने वाले नेताओं की संख्या में कमी जरूर आयी लेकिन ये सही है कि एक बार फिर टोपी प्रचलन में है. यूपी विधानसभा का बजट सत्र शुरू होने से पहले समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने धरना प्रदर्शन किया. एक तरफ समाजवादी पार्टी के नेता अपनी पहचान लाल टोपी में धरना दे रहे थे तो वहीं कांग्रेस के नेता भी अपनी पहचान के तौर पर सफेद टोपी में आये. बीजेपी की सभाओं में कुछ समर्थक जरूर भगवा टोपी में दिखते हैं लेकिन अब सवाल ये है कि क्या बीजेपी भी किसी दिन टोपी का फॉर्मूला अपनाएगी?


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