(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
मध्य प्रदेश में मायावती की चुनावी ऱणनाति का क्या होगा यूपी में असर?
दरअसल, महागठबंधन का जो फॉर्मूला अखिलेश यूपी में बना रहे हैं उसमें बीएसपी को सबसे ज्यादा सीटें मिलना तय है. अखिलेश खुद कह चुके हैं कि वो पीएम नहीं बनना चाहते और दिल्ली की राजनीति नहीं करना चाहते, दूसरी ओर बीएसपी के सम्मेलनों में जोर-शोर से मायावती को पीएम बनाने की बातें की जा रही हैं.
लखनऊ: बीएसपी की राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कांग्रेस को डबल झटका दे दिया है. उन्होंने मध्यप्रदेश में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है और छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी की पार्टी के साथ गठबंधन कर लिया है. खबरें तो पहले से थीं कि मायावती कांग्रेस को महागठबंधन में नहीं रखना चाहती हैं. शायद ऐसा इसलिए भी कि वो यूपीए की सरपरस्ती में लोकसभा चुनाव के मैदान में नहीं उतरना चाहतीं. चुनाव बाद गठबंधन को लेकर भी वो अपने पत्ते बाद में ही खोलना चाहती हैं.
बीते दिनों उन्होंने महागठबंधन में जाने को लेकर साफ किया कि गठबंधन तभी संभव है जब सम्मानजनक सीटें मिलें. मायावती के इस बयान पर अखिलेश ने तुरंत जवाब दिया और यहां तक कह दिया था कि वो कुछ कदम पीछे हटने को तैयार हैं. इसके साथ ही अखिलेश ने ये भी कहा था कि कांग्रेस को दिल बड़ा रखना चाहिए.
दरअसल, महागठबंधन का जो फॉर्मूला अखिलेश यूपी में बना रहे हैं उसमें बीएसपी को सबसे ज्यादा सीटें मिलना तय है. अखिलेश खुद कह चुके हैं कि वो पीएम नहीं बनना चाहते और दिल्ली की राजनीति नहीं करना चाहते, दूसरी ओर बीएसपी के सम्मेलनों में जोर-शोर से मायावती को पीएम बनाने की बातें की जा रही हैं.
लेकिन सवाल है कि आखिर यूपी में महागठबंधन की बातचीत के दौरान मायावती छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में गठबंधन क्यों कर रही हैं. इसका सीधा जवाब है कि इन राज्यों में मायावती अपना दम दिखा कर सम्मानजनक सीटों की बुनियाद खड़ी कर रही हैं.
मध्य प्रदेश में बीएसपी का काफी जनाधार है और अगर वो अकेले चुनाव लड़ती है तो कांग्रेस को नुकसान होना तय हैं. छत्तीसगढ़ में भी पार्टी के पास पांच फीसदी के आस-पास वोट हैं. साफ है कि कांग्रेस से अलग होकर अजीत जोगी, मायावती के साथ मिल कर चुनाव लड़ेंगे तो कांग्रेस को नुकसान होगा.
दोनों ही राज्यों में बीएसपी के इस दांव से कांग्रेस को झटका लगेगा. 2014 के लोकसभा चुनाव नतीजों के मुताबिक बीजेपी और कांग्रेस के बाद बीएसपी वोट प्रतिशत के मामले में देश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है.
बहुजन समाज पार्टी के वोटर को काफी पाबंद माना जाता है. अनूसूचित जाति, जनजाति के वोटरों के अलावा बड़ी संख्या में सवर्ण वोटर भी बीएसपी के पास हैं. बहुजन से सर्वजन की ओर जाने के बाद मायावती का वोटर बढ़ा ही है.
अब सवाल ये है कि क्या यूपी में महागठबंधन बनेगा? कांग्रेस अब बीएसपी से हाथ मिलाएगी या फिर अकेले चुनाव लड़ेगी? यूपी कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर भले ही लाख दावे कर लें लेकिन सभी जानते हैं कि जमीनी स्तर पर कांग्रेस को अभी बहुत काम करने की जरूरत है.
समाजवादी पार्टी 2017 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस से दोस्ती करके देख चुकी है. वहीं बीएसपी से दोस्ती अखिलेश को बहुत रास आई. अखिलेश को यदि कांग्रेस और बीएसपी में से किसी को चुनना होगा तो कोई शक नहीं कि वो बीएसपी को चुनेंगे.
खैर, वक्त के गर्भ में क्या छुपा है अभी कुछ नहीं कहा जा सकता. जब तक यूपी में महागठबंधन की तस्वीर साफ नहीं होगी तब तक ये एक रहस्य ही बना रहेगा कि कांग्रेस इसका हिस्सा होगी या नहीं. ये देखना भी दिलचस्प होगा कि गठबंधन का चेहरा कौन होगा.