मोदी सरकार के 3 साल पर मायावती का तीखा हमला, कहा- 'इन तीन सालों में और कमजोर हुआ गरीब'
लखनऊ: केंद्र की मोदी सरकार के तीन साल पूरे होने पर बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने केंद्र सरकार के साथ ही प्रदेश में योगी सरकार पर तीखा हमला बोला. उन्होंने कहा कि इन तीन सालों में गरीब और गरीब हो गए, जबकि अमीर और धन्ना सेठ और धनवान हो गए. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिर्फ बड़ी बड़ी बातें की, लेकिन काम कुछ नहीं किया.
देश की सीमाएं इतनी असुरक्षित और अशांत क्यों ?
मायावती ने कहा, "देश की सीमाएं इतनी असुरक्षित और अशांत क्यों है और हमारे वीर जवान इतनी ज्यादा संख्या में लगातार क्यों शहीद हो रहे हैं? मोदी सरकार के तीन साल में देश के करोड़ों गरीबों, मजदूरों, किसानों, बेरोजगारों, छोटे और मझोले व्यापारियों के साथ-साथ दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों, धार्मिक अल्पसंख्यकों का जीवन और भी ज्यादा कष्टदायी रहा.''
''मोदी सरकार की ही देन है भगवा ब्रिगेड का उपद्रव''
बीएसपी सुप्रीमो ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया, ''देश भर में 'गोरक्षा' के नाम पर निर्दोष दलितों और मुसलमानों के खिलाफ भगवा ब्रिगेड का उपद्रव और उनकी हत्याएं पूरी तरह से मोदी सरकार की ही देन है." उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के नेताओं और मंत्रियों के जातिवादी रवैये और ढोंगी दलित प्रेम की जितनी भी निंदा की जाए वह कम है.
''अपने ही नागरिकों के साथ दुश्मन की तरह व्यवहार''
बीएसपी अध्यक्ष ने कहा, "बीजेपी सरकार ने अपने पैतृक संगठन आरएसएस के नफरत औऱ विभाजनकारी एजेंडे पर चलकर दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों और धार्मिक अल्पसंख्यकों को हर प्रकार से निशाना बनाकर इनके खिलाफ भेदभाव, जुल्म-ज्यादती और अन्याय का शिकार बनाया है. इन वर्गो के खिलाफ खुलेआम काम करना और इनके हितों पर आघात करना बीजेपी सरकार की भी नीति का खास हिस्सा बन गया लगता है. अपने ही नागरिकों के साथ दुश्मन की तरह व्यवहार किया जा रहा है."
''सरकारी मशीनरी का अंधाधुंध गलत और जनविरोधी तौर पर इस्तेमाल''
उन्होंने कहा, "सरकारी मशीनरी का अंधाधुंध गलत और जनविरोधी तौर पर इस्तेमाल भी किया जा रहा है, लेकिन केंद्र सरकार अपने बहुमत के अहंकार में पूरी तरह से डूबी हुई नजर आती है. हाई संवैधानिक व सरकारी पदों पर ऐसे भगवा तत्वों को मनोनीत किया गया है जो अपने पद की मर्यादा और परंपराओं की धज्जियां उड़ाने से बाज नहीं आ रहे हैं. इस कारण लोगों में न्याय पाने की आशा लगातार घटती जा रही है, जिसका नतीजा निश्चित तौर पर देशहित में नहीं होने वाला है."