बुलंदशहर: यूपी के बुलंदशहर में हुई हिंसा पर पूर्व नौकरशाहों ने योगी सरकार के खिलाफ गुस्सा जाहिर किया है. करीब 83 रिटायर्ड नौकरशाहों ने बुलंदशहर हिंसा के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस्तीफा मांगा है. अपने खुले खत में रिटायर्ड अफसरों का कहना है कि योगी आदित्यनाथ ने बुलंदशहर हिंसा को गंभीरता से नहीं लिया. इसके अलावा वह सिर्फ गोकशी केस पर ध्यान दे रहे हैं. इस पर पलटवार करते हुए यूपी के डिप्टी सीएम ने कहा कि इन अधिकारियों को सब जानते हैं मलाई मिलना बंद हो गई तो इस तरह की बातें कर रहे हैं.
इस मामले को लेकर बहुजन समाज पार्टी ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. बसपा का कहना है कि वो शुरू से कह रही है की आरोपियों को बचाया जा रहा था.
बता दें कि पूर्व नौकरशाहों का ये खत तब सामने आया है जब बुलंदशहर हिंसा की जांच SIT ने पूरी कर ली है. जांच में खुलासा हुआ है कि हिंसा से पहले गोकशी हुई थी. इस आरोप में चार लोगों को गिरफ्तार भी किया गया था जो निर्दोष निकले. मंगलवार को पुलिस ने चीन और लोगों के गिरफ्तार किया जिन्होंने गोकशी की घटना को अंजाम दिया था.
सीएम आदित्यनाथ का इस्तीफा मांगने वालों में पूर्व अफसर बृजेश कुमार, अदिति मेहता, सुनील मित्रा जैसे बड़े अफसर शामिल हैं. अफसरों ने आरोप लगाया कि बुलंदशहर हिंसा को राजनीतिक रंग दिया गया है. ये खुला खत सोशल मीडिया पर इन दिनों वायरल हो रहा है, इसमें दावा किया गया है कि 83 अफसर इनके साथ हैं, कांग्रेस के मुताबिक़ जब सियासी पार्टियां ही नहीं लोकतंत्र के प्रहरी भी इस तरह की बात कर रहे हैं तो योगी को रहने का कोई हक़ नहीं.
अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने इससे पहले भी कई मसलों पर खुला खत लिखा है. बुलंदशहर हिंसा को लेकर उन्होंने कहा कि एक पुलिस वाले की भीड़ द्वारा हत्या किया जाना बहुत दर्दनाक है, इससे राज्य की कानून व्यवस्था पर कई तरह के सवाल खड़े होते हैं. उन्होंने अपील की है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट को इस मामले में संज्ञान लेना चाहिए और हिंसा से जुड़े पूरे मामले की जांच होनी चाहिए. इस पर सपा का कहना है की शुरू से योगी सरकार इस तरह का कार्य कर रही है, लिहाज़ा इनको तो नैतिकता के आधार पर इस्तीफ़ा दे देना चाहिए.
बता दें कि 3 दिसंबर, 2018 को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में गोकशी की खबर के बाद हिंसा फैल गई थी. इस दौरान भीड़ ने बुलंदशहर की स्याना पुलिस चौकी पर हमला किया था, इसी में पुलिसकर्मी सुबोध कुमार सिंह की मौत हो गई थी. इस हिंसा में एक अन्य युवा की भी मौत हुई थी, योगी सरकार ने पलटवार करते हुए कहा है सबको पता है ये अधिकारी कौन है अब तक लड्डू और मलाई खा रहे थे, अब वो बंद हो गया तो इस तरह की बात कर रहे हैं. इनको तवज्जो देने की ज़रूरत नहीं है.