बुलंदशहर: यूपी के बुलंदशहर में गोकशी को लेकर भड़की हिंसा में एक पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह सहित दो लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी. इस मामले में एक बड़ा खुलासा हुआ है. सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि इंस्पेक्टर को गोली एक रिटार्यड फौजी ने मारी थी. उसकी पहचान करने की कोशिश की जा रही है. मामले में अब तक चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है.


कहा जा रहा है पहले इंस्पेक्टर पर धारदार हथियार से हमला किया गया था उसके बाद गोली लगने की घटना हुई.

हिंसा की घटना पर दुख जताते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने शहीद पुलिस अफसर की पत्नी को 40 लाख रूपए और उनके माता-पिता को 10 लाख रूपये की सहायता की घोषणा की. साथ ही आश्रित परिवार को असाधारण पेंशन और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का भी ऐलान किया. मुख्यमंत्री ने दो दिन के अंदर मामले की जांच कर रिपोर्ट देने के आदेश भी दिया है.

इंस्पेक्टर की मौत के बाद गांव में छाया मातम
इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की मौत से उनके पैतृक गांव तरगंवा में मातम छा गया है. सुबोध के घर में सांत्वना देने वालों की भीड़ लगी है और लोगों की जुबान पर उनकी बहादुरी के चर्चे हैं. इंस्पेक्टर सुबोध दादरी के बहुचर्तित अखलाक हत्याकांड के जांच अधिकारी भी रहे थे. भीड़तंत्र जैसे मामलों की जांच कर चुके इंस्पेक्टर सुबोध की हत्या का आरोप भी भीड़ पर ही लगा है.

 सीएम योगी पर उठ रहे हैं सवाल
बुलंदशहर में भीड़ की हिंसा ने यूपी की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं, सवालों के घेरे में खुद सीएम योगी आदित्यनाथ हैं. कल जब बुलंदशहर हिंसा की आग में जल रहा था तो सीएम योगी राजस्थान में बीजेपी के लिए वोट मांग रहे थे,.शाम को यूपी वापस लौटे योगी आदित्यनाथ घटनास्थल पर जाने के बजाय गोरखपुर पहुंचे और वहां उन्होंने छत्तीसगढ़ के सीएम रमन सिंह के साथ नाथ समुदाय के एक कार्यक्रम में शिरकत की.

यूपी में सत्ता में आने से पहले बीजेपी कानून व्यवस्था के मोर्चे पर अखिलेश सरकार को घेरती थी लेकिन अब योगी सरकार विपक्ष निशाने पर है. अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा, ''बुलंदशहर में पुलिस व ग्रामीणों के संघर्ष में स्याना कोतवाल सुबोध कुमार सिंह की मौत का समाचार बेहद दुखद है. भावपूर्ण श्रद्धांजलि. उप्र भाजपा के शासनकाल में हिंसा और अराजकता के दुर्भाग्यपूर्ण दौर से गुज़र रहा है.''