नई दिल्लीः पिछले हफ्ते हुई बुलंदशहर हिंसा जिसमें इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह समेत 2 लोगों की मौत हुई थी, उसके गुनहगार को एबीपी न्यूज ने ढूंढ निकाला है. बीजेपी युवा मोर्चा के स्याना इकाई के अध्यक्ष शिखर अग्रवाल पर आरोप है कि इन्होंने ही भीड़ को उकसाया था और इसके बाद ही उग्र भीड़ ने हिंसा का तांडव मचाया.
एबीपी न्यूज़ से एक्सक्लूसिव बात करते हुए शिखर अग्रवाल ने कहा कि उसने इंस्पेक्टर सुबोध सिंह या किसी और की हत्या नहीं कराई. ये उन्मादी भीड़ का काम था, जब खेत में गोकशी की सूचना मिली थी और वो लोग वहां पहुंचे तो वहां गौमाता के अवशेष पड़े हुए थे. इसके बाद उसके साथ के कई लोगों वहां इक्ट्ठे हो गए. घटनास्थल पर शुरुआत में करीब 80 लोग थे जो बाद में बढ़ गए. एक घंटे तक कार्रवाई न होने के बाद भीड़ का हंगामा बढ़ गया. शिखर अग्रवाल का कहना है कि उसने और गुरूजी ने भीड़ को समझाने की कोशिश की लेकिन किसी ने नहीं सुना, पुलिस अधिकारी भी बात नहीं कर रहे थे. न ही सीनियर पुलिस अधिकारियों को बुलाया जा रहा था.
शिखर अग्रवाल ने कहा कि इंस्पेक्टर सुबोध सिंह ने गड्ढ़ा खोदकर गाय के अवशेष दफना देने के लिए कहा जिसके लिए उसने मना कर दिया. ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि अगर अवशेष दफना देते तो गोकशी का केस कैसे दर्ज कराते. इसपर उन्हें और कई लोगों को धमकी दी गई. धमकी देने के बाद भीड़ उग्र हो गई थी.
इंस्पेक्टर सुबोध सिंह ने भीड़ को उकसाया था. उन्होंने कहा कि अगर लोग नहीं हटे तो मैं गोली चला दूंगा. इसके बाद ही भीड़ हिंसक हो गई और 600 आदमियों को नियंत्रित करने के लिए 30 पुलिसवाले काफी नहीं थे. जीतेंद्र फौजी को जानते हैं या नहीं इस सवाल के जवाब में शिखर अग्रवाल ने कहा कि मैं नहीं जानता फौजी कौन है. हालांकि जिस इंसान को भीड़ फौजी-फौजी कह कर नारा लगा रही थी वो गोरा और अच्छे कद का शख्स था. लेकिन ये नहीं जानता कि जो जीतेंद्र फौजी आज न्यायिक हिरासत में गया है वहीं वो शख्स है या नहीं.
शिखर अग्रवाल ने कहा कि भीड़ गोकशी की खबर से दुखी होकर तुरंत एक्शन मांग रही थी, एक्शन होता तो भीड़ उग्र नहीं होती. लेकिन पुलिस अधिकारियों ने हमारी बात नहीं सुनी और सीनियर अधिकारियों को भी नहीं बुलाया. कोई एक्शन न होता देखकर ही भीड़ का गुस्सा बढ़ा.
बुलंदशहरकांड के आरोपी शिखर अग्रवाल ने कहा कि गोली चलने की सूचना उसे फोन से मिली और उस वक्त वो घटनास्थल पर नहीं था. हमले के पीछे किसी साजिश के सवाल के जवाब में शिखर ने कहा कि ये दुर्घटना अकस्मात घटी और इसके पीछे कोई साजिश नहीं थी. फौजी भीड़ में शामिल था और उसी ने या किसी और ने गोली चलाई उसे जानकारी नहीं
है.
शिखर अग्रवाल ने कहा कि हिंसा के वक्त वो जगह पर मौजूद नहीं था. उसके किसी आदमी के पास हथियार नहीं थे न ही उसके पास किसी हथियार का लाइसेंस है. इंस्पेक्टर ने गोली मारने की धमकी दी, हमने इंस्पेक्टर की शिकायत एसडीएम से की लेकिन वहां कोई इंतजाम नहीं किए गए. इंस्पेक्टर की गाड़ी खेतों में और उनकी बॉडी खेत में कैसे पहुंची इसे लेकर उसे कोई जानकारी नहीं है.
सरेंडर करने के सवाल पर शिखर अग्रवाल ने कहा कि वो अदालत में ही सरेंडर करेगा क्योंकि पुलिस ने उसके घर पर हमला किया था और विश्वास नहीं है. मामले का दूसरा आरोपी बताए जाया रहा योगेश राज ने तो खुद तहरीर दी थी और वो उसी के साथ सरेंडर करेगा.