बुलंदशहर: पश्चिमी यूपी के जिले बुलंदशहर में गोकशी को लेकर हिंसा हुई. उग्र लोगों ने पथराव फायरिंग जैसी चीजों का इस्तेमाल किया. पर इन सबके बीच सबसे बड़ा नुकसान उन परिवारों का हुआ जिनके सहारे छिन गए. शहर में भड़की हिंसा में पहली मौत एक जाबाज इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हुई जो अपने तेज तर्रार रवैये के लिए जाने जाते थे. दूसरी मौत एक स्थानीय युवक सुमित की हुई.


इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह दादरी के बहुचर्चित अखलाक हत्याकांड के जांच अधिकारी भी रहे थे. दुर्भाग्य की बात ये है भीड़तंत्र जैसे मामलों की जांच कर चुके इंस्पेक्टर सुबोध की हत्या का आरोप भी भीड़ पर ही लगा है.


सुबोध कुमार सिंह का परिवार सदमे में हैं. पति को खोने के गम में पत्नी बेसुध हो गई हैं. बैठे-बैठे कभी चीख पड़ती हैं तो कभी बेहाश हो जाती हैं. लाख समझाने के बाद भी वो इस बात को स्वीकार नहीं कर पा रहीं कि उनके पति अब इस दुनिया में नहीं हैं. रो-रो कर बेसुध हो जाने के बाद अचानक उठकर परिवार से पूछती हैं कि इतनी भीड़ क्यों है? उनका कहना है कि वो अगर एक बार अपने पति के सर पर हाथ फेर दें तो वो ठीक हो जाएंगे और उठ जाएंगे. वो बार-बार बस एक ही बात दोहरा रही हैं कि एक बार बस उन्हें उनके पति से मिलने दिया जाए पर परिवार के लोग उनकी बातों को टाल रहे हैं. टालें भी क्यों ना आखिर कैसे बच्चे अपनी मां को और टूटते देख सकते हैं. एक तरफ परिवार का दुख और एक तरफ पत्नी का असहनीय पीड़ा जिसका इलाज वक्त के अलावा शायद किसी के पास नहीं है.


परिस्थितियां चाहें जो भी रही हों सवाल ये उठता है कि भीड़तंत्र को इस हिंसा ऑन-द-स्पॉट फैसले का अधिकार दिया किसने? गोकशी की अफवाह या फिर सही सूचना जो भी कारण रहा हो इन उजड़े परिवारों को क्या कोई सरकार, प्रशासन या भीड़ दोबारा बसा सकती है.


सुबोध सिंह के बेटे अभिषेक ने कहा, मेरे पिता चाहते थे कि मैं एक अच्छा नागरिक बनूं. वो धर्म के नाम पर समाज में हिंसा नहीं चाहते थे. आज मेरे पिता की हिंदू-मुस्लिम विवाद में मौत हो चुकी है. कल किसके पिता की जान जाएगी? क्या इन सवालों के जवाब वाकई किसी के पास है?


सुबोध कुमार सिंह की बहन ने कहा कि मेरा भाई अखलाक केस की जांच कर चुका है इसलिए साजिश के तहत उसकी हत्या की गई है.


हिंसा में दूसरी मौत सुमित की हुई. इससे पहले कि वो अपने सपने को सच कर पाता वो खुद ही सबके लिए सपना हो गया. सुनहरे भविष्य के ख्वाब पाले सुमित को क्या पता था कि उसके साथ कोई ऐसी घटना होने वाली है जिससे उसका वजूद ही खत्म हो जाएगा. सुमित के घर वालों के मुताबिक उसकी उम्र तकरीबन 21 साल थी और बीए सेकेंड इयर का छात्र था, साथ ही पुलिस और रेलवे की प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी नोएडा से करता था. वो गांव इसलिए आया था क्योंकि नोएडा में दौड़ने में दिक्कत होती थी, यहां वो स्टेडियम में दौड़ लगाता था. अभी कुछ दिनों पहले ही सुमित ने यूपी पुलिस की भर्ती परीक्षा में हिस्सा लिया था. परिवार ने कहा कि घटना के दिन सुमित उस रास्ते से स्याना जाने के लिए गुजर रहा था और उसी दौरान हिंसक झड़प की चपेट में आया.


बता दें कि बुलंदशहर में इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या मामले में पुलिस ने अब तक चार लोगों को गिफ्तार किया है. इस बीच एसआईटी ने भी घटनास्थल का दौरा किया है.
हत्या के मामले में 27 लोगों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज की गई है. उसमें पहले नंबर पर बजरंग दल के जिला संयोजक योगेश राज का नाम है. बीजेपी युवा स्याना के नगराध्यक्ष शिखर अग्रवाल, वीएचपी कार्यकर्ता उपेंद्र राघव को भी किया नामजद किया गया है. इसके अलावा अन्य 60 लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया है.