बुंदेलखंड में किसानों की दुर्दशा और पलायन पर राज्यसभा में जताई गई चिंता
नई दिल्ली: बुंदेलखंड में सूखे और पेयजल संकट के कारण किसानों की दुर्दशा और क्षेत्र से बड़े पैमाने पर पलायन को लेकर विभिन्न दलों के सदस्यों द्वारा आज राज्यसभा में गहरी चिंता जताए जाने के बीच सरकार ने आश्वासन दिया कि वह क्षेत्र के विकास के लिए प्रतिबद्ध है तथा क्षेत्र की सिंचाई योजनाओं पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है.
किसानों की आय को दोगुना करने का संकल्प
उच्च सदन में बुंदेलखंड पर लाए गए एक निजी संकल्प पर चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने कहा कि सरकार बुदेलखंड को लेकर सदस्यों की चिंता को समझती है और क्षेत्र के विकास के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने किसानों की आय को दोगुना करने का संकल्प लिया है और इसमें बुंदेलखंड के किसान भी शामिल हैं. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के लिए 20 हजार करोड़ रुपये की राशि रखी गई है. इसमें 99 परियोजनाएं चिन्हित की गई हैं जिनमें पूर्व की कांग्रेस सरकारों की वष्रो से लंबित परियोजनाएं भी शामिल हैं. चिहिनत परियोजनाओं में चार परियोजना बुंदेलखंड के लिए भी हैं.
मंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में पड़ने वाला बुंदेलखंड क्षेत्र वष्रो से गंभीर सूखे और पानी की कमी की समस्या से जूझ रहा है. पूर्व में विशेष पैकेज के तहत सात हजार करोड़ रपये से अधिक की राशि जारी किए जाने के बावजूद बहुत अधिक प्रगति नहीं हुई. उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार न सिर्फ सिंचाई में सुधार के लिए काम कर रही है, बल्कि किसानों को अच्छी गुणवत्ता का बीज तथा प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराने के लिए भी काम कर रही है.
डेयरी क्षेत्र के लिए आठ हजार करोड़ रुपये आवंटित
रूपाला ने कहा, ‘‘हम पशुधन की संख्या बढ़ाने के लिए भी काम कर रहे हैं और डेयरी क्षेत्र के लिए आठ हजार करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. इस पहल के तहत कुछ लाभ बुंदेलखंड क्षेत्र को भी जाएगा.’’ उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में पड़ता है. आदित्यनाथ योगी के उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद वहां बुंदेलखंड क्षेत्र के कई माफियाओं ने अपने कारोबार बंद कर दिए हैं.
चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि वहां कुछ सिंचाई परियोजनाएं थीं, लेकिन उन कार्यक्रमों के तहत राशि आवंटित नहीं की गई. अब हमने प्रक्रिया बदल दी है और कोष आवंटित किया है. उन्होंने कहा कि हमने योजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए एक व्यवस्था दी है, जबकि कांग्रेस सरकारों की योजनाएं लगभग 25 साल से लंबित थीं. इससे पहले निजी संकल्प पर चर्चा में भाग लेते हुए अधिकतर दलों के सदस्यों ने बुंदेलखंड की स्थिति और वहां से हो रहे पलायन को लेकर चिंता जतायी और सरकार से मांग की कि क्षेत्र के सभी जिलों में सर्वे करवा कर कोई स्थायी समाधान निकालना चाहिए.
निजी संकल्प पेश करते हुए एसपी के विशंभर प्रसाद निषाद ने बुंदेलखंड की तस्वीर पेश की और कहा कि जहां यह क्षेत्र साल भर सूखे से ग्रस्त रहता है वहीं बाढ़ आने पर कई गांव तबाह हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से लोगों के पेयजल और सिंचाई सुविधा के लिए समुचित व्यवस्था नहीं की गयी है. क्षेत्र में पानी के टैंकरों को लेकर बहुत मारामारी होती है. उन्होंने कहा कि जिस तरह सरकार ‘‘रिजर्व आर्मी’’ रखती है, उसी तरह बुंदेलखंड जैसे सूखा पीड़ित क्षेत्रों के लिए ‘‘रिजर्व वाटर’’ का प्रबंध किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि क्षेत्र के किसान बैंकों और साहूकारों के कर्ज से परेशान होकर आत्महत्या कर रहे हैं. उन्होंने क्षेत्र के लोगों के कल्याण के लिए सरकार से एक लाख करोड़ रूपये के पैकेज की मांग की.
गायों के लिए गौशाला स्थापित करने की भी मांग
निषाद ने कहा कि क्षेत्र के पुराने तालाबों को अतिक्रमण से मुक्त कराने तथा किसानों को नीलगायों के संकट से मुक्ति दिलायी जानी चाहिए. साथ ही उन्होंने हर गांव में परित्यक्त गायों के लिए गौशाला स्थापित करने की भी मांग की. कांग्रेस के आनंद भास्कर रापोलू ने निषाद के निजी संकल्प का समर्थन करते हुए कहा कि सरकार को क्षेत्र में जिला दर जिला मामलों का अध्ययन करवाना चाहिए. इसके बाद क्षेत्र के लोगों और उनके जीवनयापन के अवसरों में सुधार के लिए एक व्यापक योजना बनानी चाहिए.
रापोलू ने कहा कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने बुंदेलखंड का व्यापक दौरा कर इलाके की समस्याओं का नजदीक से अध्ययन किया. उन्होंने पहले बुंदेलखंड के लिए एक पैकेज का प्रस्ताव भी दिया था. उन्होंने आरोप लगाया कि मौजूदा केन्द्र सरकार केवल नारे देना जानती है और उसके पास कोई भी कार्यक्रम नहीं है. उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड के लोगों की समस्याओं पर फौरन ध्यान देने की जरूरत है ताकि वे भी देश के अन्य क्षेत्रों के लोगों की तरह चैत्र नवरात्र ढंग से मना सकें.
...ताकि निकल सके समस्याओं का स्थायी समाधान
बीजेपी के बसवाराज पाटिल ने कहा कि हमारे देश में बुंदेलखंड, मराठवाड़ा, तेलंगाना, हैदाराबाद कनार्टक क्षेत्र जैसे कई इलाके हैं जहां सूखे की समस्या निरंतर बनी रहती हैं. उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों के लिए समय समय पर पैकेज देने के साथ साथ कई उपाय भी किये जाते हैं. किन्तु फिर भी समस्या बरकरार रहती है. इसका मतलब यह है कि कहीं नहीं इनके क्रियान्वयन में कमी है. पाटिल ने भी यह सुझाव दिया कि क्षेत्र के विभिन्न जिलों का व्यापक अध्ययन कर कोई ऐसी योजना बनानी चाहिए ताकि समस्याओं का स्थायी समाधान निकल सके.
जदयू के अनिल कुमार साहनी ने कहा कि बुंदेलखंड में पानी का भारी संकट है. उन्होंने कहा कि जिस क्षेत्र में केन सहित पांच नदी हों वहां जल संकट होना अपने आप में आश्चर्य की बात है. उन्होंने कहा कि रेत माफियाओं द्वारा नदियों से बालू निकालने के कारण सारी समस्या उत्पन्न हुई है. चर्चा में बीजेपी के शिव प्रसाद शुक्ल, शंभु प्रसादजी टुंडिया, कांग्रेस के राजीव शुक्ला, दिग्विजय सिंह और राज बब्बर ने भी भाग लिया.