उपचुनाव: बसपा को नहीं मिला प्रभावशाली ब्राह्मण चेहरा, अनुसूचित जाति के प्रत्याशी को मैदान में उतारने पर विचार
प्रभावशाली ब्राह्मण चेहरा नहीं मिलने पर पार्टी के पदाधिकारियों और नेताओं के हाथ पैर फूलने लगे हैं. इसकी तलाश भी शुरू की गई लेकिन एक भी चेहरा नहीं मिला.
कानपुर: गोविंद नगर विधानसभा उपचुनाव में बसपा के सामने ऐसी असमंजस की स्थित आ गई है जिसे लेकर बसपा चीफ मायावती भी परेशान है. पार्टी के नेता और पदाधिकारी लगातार इसपर मंथन कर रहे हैं. दरअसल गोंविद नगर विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है. बसपा इस सीट पर प्रभावशाली ब्राह्मण चेहरे को कैंडिडेट बनाकर मैदान पर उतारना चाहती थी. लेकिन बसपा को एक भी ऐसा ब्राह्मण चेहरा नहीं मिला जिसे प्रत्याशी बनाया जा सके. इस स्थिति में अब बसपा सुप्रीमो अनुसूचित जाति के प्रत्याशी को मैदान में उतारने पर विचार कर रही है.
बहुजन समाज पार्टी ने गोविंद नगर विधानसभा उपचुनाव लड़ने का एलान सबसे पहले किया था. गोविंद नगर विधानसभा सीट ब्राह्मण बाहुल क्षेत्र है. इस लिए बसपा सुप्रीमो चाहती थीं कि गोविंद नगर विधानसभा उपचुनाव में ब्राह्मण प्रत्याशी को उतारा जाए. इसके लिए नवीन मार्केट स्थित कार्यालय में आवेदन फार्म जमा करने की प्रक्रिया शुरू हुई. किसी भी ब्राह्मण प्रत्याशी ने आवेदन नहीं किया है. सबसे ज्यादा आवेदन फार्म ओबीसी और एससी कैटेगरी के आए हैं.
प्रभावशाली ब्राह्मण चेहरा नहीं मिलने पर पार्टी के पदाधिकारियों और नेताओं के हाथ पैर फूलने लगे. कानपुर शहर में इसकी तलाश भी शुरू की गई लेकिन एक भी चेहरा नहीं मिला. जानकारी के मुताबिक 17 जुलाई को आवेदन करने वालों को लखनऊ में मायावती के सामने हाजिर होना है. बसपा सुप्रीमो ने भी इस बात को मान लिया है कि ब्राह्मण चेहरा पार्टी को नहीं मिल रहा है. अब पार्टी अनुसूचित जाति के चेहरे को प्रत्याशी बनाने पर विचार कर रही है.
गोविंद विधानसभा सीट बीजेपी के पास थी. 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के सत्यदेव पचौरी इस सीट पर दोबारा जीत हासिल की थी. वो उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री थे. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने सत्यदेव पचौरी को कानपुर से लोकसभा प्रत्याशी बनाया था. उनके जीतने के बाद गोविंद नगर विधानसभा सीट खाली हो गई थी .
कानपुर में इन दिनों ये बात चर्चा का विषय बनी हुई है. पार्टी के नेता ने दबी जुबान में बताया कि उपचुनाव में कोई किस्मत नहीं आजमाना चाहता है. इसके साथ ही लोग अब पार्टी पर भरोसा नहीं जता रहे हैं. पार्टी इस पर विचार कर रही है कि सर्वणों को अधिक से अधिक मौका दिया जाए.