हापुड़: नागरिकता संशोधन कानून बनने के बाद जनता में भ्रम की स्थिति बनी हुई है, जिसको लेकर नगर पालिका में जन्म प्रमाण पत्र बनवाने बालों की भीड़ बढ़ती जा रही है. हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के जनपद हापुड़ की जहां नगरपालिका परिसर में जन्म एवं मृत्यु प्रमाण पत्र कार्यालय पर काफी भीड़ देखने को मिल रही है. पिछले 1 सप्ताह के दौरान करीब 360 लोगों ने एवं 30 साल से अधिक उम्र के लोगों ने अपने जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आवेदन किए हैं.


नगर पालिका ऑफिस के काउंटर पर लोगों की लंबी कतारें देखी जा रही है. इनमें कई लोग ऐसे हैं जिनका जन्म 1948 में हुआ था, कुछ 1952 वाले भी हैं जो जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के लिए नगर पालिका परिसर के ऑफिस पहुंच रहे हैं, तो वहीं कागजों का मिलान ना होने के कारण नगर पालिका कर्मचारी को भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.


बताया जा रहा है कि आजादी के बाद के लोग भी जो आज जीवित हैं, वह भी अपना प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आवेदन कर रहे हैं. नागरिकता संशोधन अधिनियम बनने के बाद हुए उपद्रव को लेकर लोग भयभीत हैं, और उन्हें लग रहा है कि हम एनआरसी में ना आ जाएं इसलिए वह अपना और अपने परिवार के लोगों का नाम नगरपालिका में दर्ज कराना चाह रहे हैं.


क्या है नागरिकता संशोधन बिल ?


भारत देश का नागरिक कौन है, इसकी परिभाषा के लिए साल 1955 में एक कानून बनाया गया जिसे 'नागरिकता अधिनियम 1955' नाम दिया गया. मोदी सरकार ने इसी कानून में संशोधन किया है जिसे 'नागरिकता संशोधन बिल 2016' नाम दिया गया है. संशोधन के बाद ये बिल देश में छह साल गुजारने वाले अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के छह धर्मों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और इसाई) के लोगों को बिना उचित दस्तावेज के भारतीय नागरिकता देने का रास्ता तैयार करेगा. पहले'नागरिकता अधिनियम 1955' के मुताबिक, वैध दस्तावेज होने पर ही ऐसे लोगों को 12 साल के बाद भारत की नागरिकता मिल सकती थी.


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