CAA Protests: अयोध्या में धारा 144 की अवधि 25 फरवरी तक बढ़ी, सभी कार्यक्रमों पर रहेगी रोक
नागरिकता संशोधन कानून को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शनों के चलते अयोध्या प्रशासन ने ये फैसला लिया है. यूपी के अति संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है.
अयोध्या: नागरिकता संशोधन कानून को लेकर देश भर में चल रहे विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए यूपी के अयोध्या में धारा 144 की अवधि 25 फरवरी तक बढ़ा दी गई हैं. ये फैसला स्थानीय प्रशासन ने लिया है. जिलाधिकारी ने आदेश जारी करते हुए कहा कि सभी कार्यक्रमों पर रोक रहेगी. बिना अनुमति के जनपद में कोई कार्यक्रम नहीं हो सकेंगे. दरअसल उत्तर प्रदेश में धारा 144 को बढ़ाकर 31 जनवरी तक किया गया है. अभी भी 21 ज़िलों में इंटरनेट सेवा बन्द है. जैसे-जैसे हालात सुधरते जाएंगे, वैसे-वैसे ज़िलाधिकारी अपने विवेक के आधार पर इंटरनेट सेवा शुरू कर सकते हैं.
यूपी में नागरिकता कानून के विरोध के दौरान हुई हिंसा में अबतक 1,246 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस ने शुक्रवार को इस बात की जानकारी दी. यूपी पुलिस ने अपने एक बयान में कहा, ''हिंसा के सिलसिले में 1,246 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जबकि 5,558 लोगों को हिरासत में लिया गया. इसके साथ ही बयान में ये भी कहा गया कि विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के संबंध में कुल 372 एफआईआर दर्ज किए गए.
सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट करने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई की गई है. पुलिस ने अपने बयान में कहा, ''उकसाने वाले पोस्ट लिखने के आरोप में 125 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. आईटी एक्ट के तहत 95 एफआईआर दर्ज की गईं. 20,950 सोशल मीडिया पोस्ट पर भी कार्रवाई की गई.''
हिंसा की जांच के लिए एसआईटी का गठन
यूपी की योगी आदित्यनाथ की सरकार ने ये फैसला किया है कि राज्य में हुई हिंसा की जांच स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) करेगी. पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ओ.पी.सिंह ने एसआईटी जांच के आदेश दिए हैं. डीजीपी ने कहा कि प्रत्येक जिले में एसआईटी जांच की अगुवाई एडिशनल एसपी रैंक का अधिकारी करेगा. एसआईटी जांच का नेतृत्व जिले के एडिशनल एसपी (क्राइम) या एडिशनल एसपी (सिटी) करेंगे. जिन जिलों में एएसपी क्राईम का पद नहीं है वहां एएसपी सिटी होंगें एसआईटी प्रमुख होंगे.
हिंसा में 19 लोगों की मौत
पुलिस ने राज्यभर में हुई हिंसा में 19 लोगों के मारे जाने की बात कही है. मृतकों में फिरोजाबाद के पांच, मेरठ के चार, कानपुर के तीन, संभल और बिजनौर के दो-दो और मुजफ्फरनगर, रामपुर और लखनऊ के एक-एक व्यक्ति शामिल हैं. इसमें 20 दिसंबर को वाराणसी में भगदड़ में मारे गए आठ वर्षीय बच्चे को शामिल नहीं किया गया है. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, "आठ वर्षीय बच्चा पुलिस कार्रवाई में नहीं, बल्कि भगदड़ में उस समय मारा गया, जब प्रदर्शनकारी पीछे हट रहे थे."
यूपी में 20 से ज्यादा जिलों में हुई थी हिंसा
पिछले हफ्ते जुमे की नमाज के बाद यूपी में 20 से ज्यादा जिलों में हिंसा हुई थी. ऐसे में इस बार यूपी पुलिस के चुनौती है. जगह-जगह पुलिस फ्लैग मार्च कर रही है. इसके साथ ही जिलों के सीनियर अधिकारी मौलानाओं और मुस्लिम संगठनों के नेताओं से मिलकर शाति बनाए रखने की अपील कर रहे हैं.