मुरादाबाद: उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी रविवार को मुरादाबाद दौरे पर थीं. उन्होंने 'मी टू' मामले पर कहा कि जो महिलाएं खुलकर बोल रही हैं, उनकी बातें सुनी जानी चाहिए. मंत्री रीता ने महिला सशक्तीकरण और तीन तलाक पर आयोजित सेमिनार में हिस्सा लिया और विभागीय अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक में शिरकत की.


मीडिया से बातचीत में वह 'मी टू' मामले में महिलाओं का यहां समर्थन करते हुए दिखीं. उन्होंने कहा कि हर महिला को समाज मे बोलने का अधिकार है. जो महिलाएं खुलकर बोल रही हैं, उनकी बातें सुनी जानी चाहिए. उनमें से कई विवाहित हैं और कई बड़े पदों पर बैठी हैं. वे अपनी कुंठा और दर्द को बयान कर रही हैं, जो सही है. उन्हें अपनी बात रखने का पूरा अधिकार है.


उन्होंने आगे कहा कि जिन पर आरोप लगे हैं, उन्हें भी अपना पक्ष रखने का भी पूरा अधिकार है. ये बातें कानूनी हैं, इन मुद्दों को काफी गंभीरता से लेना चाहिए. इन बातों को सिरे से झूठा करार देना उचित नहीं होगा.


फिरोजाबाद में छेड़छाड़ की घटना के बाद एसिड अटैक किए जाने पर उन्होंने कहा, "क्राइम कोई भी हो, उसे क्राइम की तरह ही डील करना होगा. हमारी सरकार करती है और मैं आश्वस्त करती हूं कि योगी सरकार किसी भी अपराधी को नहीं बख्शेगी."


वहीं मेरठ में बीजेपी नेता द्वारा पुलिस पर हमला किए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि उसे गिरफ्तार कर लिया गया है. हिंसा और कानून को हाथ मे लेना बहुत गलत है. इसमें जो भी कानूनी कार्रवाई बनेगी, वह निश्चित रूप से की जाएगी.


उन्होंने यहां मुरादाबाद जेल का दौरा भी किया और 2010 में मुरादाबाद महिला जेल में बिताए अनुभव को यहां साझा करते हुए कहा, "जब मैं मुरादाबाद महिला जेल में 2010 में बंदी थी, उस समय यहां जेल के हालात बहुत अच्छे नहीं थे. जेल के हालात में सुधार के लिए बहुत लिखा पढ़ी मैंने सरकार के साथ की थी कि यहां सुधार किए जाएं और उन्हें यह वादा भी मिला था कि यहां सुधार किए जाएंगे."


तब से अब तक में क्या अंतर आया है? इस सवाल पर उन्होंने कहा कि अंतर तो कुछ दिखा है, लेकिन बहुत अच्छा नहीं कह सकती. पहले यहां केवल दो शौचालय थे, अब यहां उसकी संख्या बढ़ गई है. स्नान घर बढ़ गया है. लेकिन यहां जेल में जितनी महिलाओं की क्षमता है उससे तीन गुना महिलाएं यहां पर बंद हैं. यहां पर बैरक बढ़ाए जाने की आवश्यकता है. वहीं यहां पर महिलाओं के छोटे-छोटे बच्चे भी उनके साथ हैं. उनके बच्चों को खेलने की जगह भी नहीं है.


उन्होंने आगे कहा, "मैं यहां संप्रेक्षण गृह भी गई थी जहां 50 बच्चों की आवासीय व्यवस्था है. लेकिन यहां पर 136 बच्चे मौजूद मिले. यहां पता चला कि कई बच्चों के मां-बाप उनसे मिलने भी नहीं आते हैं. उन लोगों के नाम पते लिए गए हैं, उनसे भी संपर्क किया जाएगा."