लखनऊ: उत्तर प्रदेश के कैंट क्षेत्रों में स्थित छह विधानसभा सीटों पर इस बार दिलचस्प मुकाबले की उम्मीद है. देश के कैंट क्षेत्रों में कुल 13 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से छह उत्तर प्रदेश में हैं और राजनीतिक दल इन सीटों पर जीत दर्ज करने को बेताब हैं. राजधानी लखनऊ के अलावा उत्तर प्रदेश के पांच अन्य जिलों में कैंट क्षेत्र की विधानसभा सीटें हैं. ये मेरठ, कानपुर, आगरा, बरेली और वाराणसी हैं.
कैंट क्षेत्रों में बीजेपी को लेकर मतदाताओं में रहता है ज्यादा उत्साह
अगर 1991 से अब तक के चुनावी नतीजों की बात करें तो कैंट क्षेत्रों में बीजेपी को लेकर मतदाताओं में ज्यादा उत्साह रहता है, लेकिन 2007 के विधानसभा चुनाव में बीएसपी सुप्रीमो मायावती की ओर से बीजेपी को कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ा था. मायावती की पार्टी ने आगरा और बरेली कैंट क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति दर्ज करायी. शेष कैंट क्षेत्रों की विधानसभा सीटों पर बीजेपी काबिज हुई.
सीमांकन के बाद जब 2012 के विधानसभा चुनाव हुए तो बीजेपी का गढ समझी जाने वाली लखनउ कैंट सीट कांग्रेस की झोली में चली गयी. कांग्रेस की रीता बहुगुणा जोशी ने तीन बार के विधायक बीजेपी के सुरेश चंद्र तिवारी को शिकस्त दी थी.
मेरठ और वाराणसी कैंट क्षेत्रों में बीजेपी का दमदार प्रदर्शन
आगरा कैंट सीट (अनुसूचित जाति) पर बीएसपी ने हैट्रिक लगायी जबकि बरेली कैंट में बीजेपी पहली बार चुनाव जीती. मेरठ और वाराणसी कैंट क्षेत्रों में हालांकि बीजेपी का दमदार प्रदर्शन जारी रहा और लगातार छठी बार उसने जीत दर्ज की जबकि कानपुर कैंट में वह पांचवी बार जीती.
इस बार लखनउ कैंट सीट काफी चर्चा में है, जहां से एसपी संस्थापक मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव एसपी की उम्मीदवार हैं जबकि वर्तमान विधायक रीता बहुगुणा जोशी कांग्रेस का दामन छोड़ इस बार यहां से बीजेपी के टिकट पर प्रत्याशी हैं.
कैंट विधानसभा सीट पर आठ मार्च को होना है मतदान
वाराणसी कैंट विधानसभा सीट पर आठ मार्च को मतदान होना है. वर्तमान विधायक ज्योत्सना श्रीवास्तव के बेटे सौरभ श्रीवास्तव बीजेपी के टिकट पर प्रत्याशी हैं. उनका मुकाबला भाकपा के अजय मुखर्जी, कांग्रेस के अनिल श्रीवास्तव और बीएसपी के रिजवान अहमद से है. बीस अन्य उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में हैं.
कैंट क्षेत्र की अन्य विधानसभा सीटों की बात करें तो उत्तराखंड में देहरादून कैंट, पंजाब में जालंधर कैंट, आंध्र प्रदेश में सिकंदराबाद कैंट (अनुसूचित जाति), हरियाणा में अंबाला कैंट, मध्य प्रदेश में जबलपुर कैंट, महाराष्ट्र में पुणे कैंट तथा दिल्ली कैंट हैं.
1862 में सेना की मध्य कमान का मुख्यालय बना था लखनऊ
सेना की मध्य कमान का मुख्यालय लखनऊ में 1862 में बना था. मेरठ कैंट को 1803 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने बसाया था. आजादी की पहली लड़ाई 1857 में मेरठ कैंट के काली पलटन से शुरू हुई थी औरे वहां तैनात भारतीय सैनिकों ने बगावत की थी. आगरा कैंट 1805 में बसी थी जबकि बरेली, कानपुर और वाराणसी छावनियां 1811 में बसायी गईं.