हाईकोर्ट जज के आवास पर CBI का छापा, प्राइवेट मेडिकल कॉलेज एडमिशन घोटाले के मामले में हुई कार्रवाई
जस्टिस शुक्ला ने जिस दिन प्रसाद इंस्टिट्यूट के पक्ष में फैसला दिया, उससे दो दिन पहले सीबीआई ने लखनऊ और अन्य जगहों पर छापेमारी की थी. जज पर आरोपों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने तीन जजों की एक कमिटी बनाई थी.
लखनऊ: हाईकोर्ट के मौजूदा जज जस्टिस एसएन शुक्ला और रिटायर्ड जज जस्टिस आईएम कुद्दूसी के आवास पर शुक्रवार को सीबीआई की एंटी करप्शन विंग ने छापेमारी की कार्रवाई की है. दिल्ली से आई टीमों ने सुबह 8 बजे कार्रवाई शुरू की, जो शाम तक जारी रही. छापेमारी के दौरान सीबीआई को घपले से जुड़े कुछ दस्तावेज मिले हैं. जस्टिस कुद्दुसी के नौकर और ड्राइवर से भी पूछ्ताछ की गई है.
मामला लखनऊ में कानपुर रोड स्थित प्रसाद इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज से जुड़ा है. यह मेडिकल कॉलेज एक समाजवादी पार्टी के नेता बीपी यादव और पलाश यादव का है. 2017 में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) ने मेडिकल संस्थान का निरीक्षण किया था. इस दौरान यहां बुनियादी सुविधाएं कम पाई गई. यहां पर मेडिकल की पढ़ाई के मानक पूरे नहीं हो रहे थे. इसके बाद आदेश के तहत प्रसाद इंस्टिट्यूट समेत देश के 46 मेडिकल कॉलेजों में मानक पूरे न करने पर नए प्रवेशों पर रोक लगा दी गई थी.
नए प्रवेश पर रोक लगाए जाने के बाद प्रसाद इंस्टिट्यूट की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई. याचिका पर सुनवाई करते हुए तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच ने मेडिकल कॉलेजों को राहत नहीं दी थी. इसके बाद प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई. इस याचिका पर जस्टिस एसएन शुक्ला की बेंच ने सुनवाई की. जस्टिस एसएन शुक्ला ने सुनवाई के बाद प्रसाद इंस्टिट्यूट को नए प्रवेश लेने की अनुमति दे दी. इस फैसले को लेकर अन्य मेडिकल कॉलेजों के बीच हड़कंप मच गया. जस्टिस शुक्ला पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने लगे और यहीं से उनके खिलाफ लामबंदी शुरू हो गई.
सीबीआई ने सात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था
जस्टिस शुक्ला ने जिस दिन प्रसाद इंस्टिट्यूट के पक्ष में फैसला दिया, उससे दो दिन पहले सीबीआई ने लखनऊ और अन्य जगहों पर छापेमारी की थी. इस मामले में उड़ीसा हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस आईएम कुद्दूसी का नाम भी आया था. इस पर सीबीआई ने आईएम कुद्दूसी समेत, प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट के मालिक बीपी यादव, पलाश यादव, विश्वनाथ अग्रवाल, भावना पांडेय, मेरठ के एक मेडिकल कॉलेज के सुधीर गिरी समेत सात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था.
जांच-पड़ताल के बाद सीबीआई ने इस मामले में जस्टिस आईएम कुद्दुसी के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था. सीबीआई की चार्जशीट में छह अन्य आरोपियों बीपी यादव, पलाश यादव, बिस्वनाथ अग्रवाल, हवाला संचालक रामदेव सारस्वत, भावना पांडे और सुधीर गिरि के नाम भी शामिल हैं. एजेंसी ने आरोप लगाया कि बीपी यादव ने अपने कॉलेज प्रसाद इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज पर 2017-18 और 2018-19 के लिए छात्रों के दाखिले पर सरकार द्वारा रोक लगाए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट और इलाहाबाद हाईकोर्ट का रूख किया था. मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में होने वाली थी, तब यादव ने उच्च स्तर के अधिकारियों से साठगांठ कर मामले को सुलझाने के लिए कथित तौर पर कुद्दुसी और पांडे से संपर्क किया था.
मौजूदा जज पर आरोपों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने तीन जजों की एक कमिटी बनाई थी. सूत्रों के मुताबिक जांच रिपोर्ट में जस्टिस एसएन शुक्ला के खिलाफ भ्रष्टाचार के पर्याप्त सबूत होने की बात कही गई. इसके बाद जनवरी-2018 में ये रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को दी गई थी. जस्टिस दीपक मिश्रा ने एसएन शुक्ला को इस्तीफा देने या वीआरएस लेने की बात कही लेकिन एसएन शुक्ला छुट्टी पर चले गए. तब चीफ जस्टिस की ओर से राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर जस्टिस एसएन शुक्ला के खिलाफ संसद में महाभियोग लाने का प्रस्ताव भी दिया था. इसी कड़ी में छानबीन के दौरान शुक्रवार को सीबीआई ने छापेमारी की कार्रवाई की है.