उन्नाव मामला: सीबीआई ने बीजेपी विधायक सेंगर और 10 अन्य के खिलाफ केस दर्ज किया
रायबरेली में रविवार को हुए सड़क हादसे के मामले में सीबीआई ने बीजेपी विधायक और 10 अन्य लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है और जांच अपने हाथ में ले ली है.
नई दिल्ली: सीबीआई ने उन्नाव गैंगरेप पीड़िता के सड़क दुर्घटना मामले में बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर और 10 अन्य के खिलाफ हत्या के आरोपों के तहत मामला दर्ज किया है. अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी कि सीबीआई ने सामान्य प्रक्रिया के अनुसार प्राथमिकी फिर से दर्ज करते हुए उत्तर प्रदेश पुलिस से दुर्घटना मामले की जांच अपने हाथ में ले ली है.
अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी ने अपने अधिकारियों को भी सतर्क कर दिया है जो दुर्घटनास्थल का मुआयना कर सकते हैं और रायबरेली में गुरुबख्शगंज पुलिस थाना अधिकारियों से जानकारी ले सकते हैं. केंद्र ने उत्तर प्रदेश सरकार की सिफारिश पर मंगलवार को इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी. पीड़िता को सुरक्षा मुहैया कराने में नाकाम रहने पर राज्य सरकार की कड़ी आलोचना हो रही है.
उल्लेखनीय है कि रायबरेली में तेज गति से जा रहे एक ट्रक ने रविवार को एक कार को टक्कर मार दी थी, जिसमें बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर रेप का आरोप लगाने वाली युवती, उसकी रिश्तेदार और वकील सवार थे. उत्तर प्रदेश पुलिस ने दुर्घटना मामले में सोमवार को सेंगर और नौ अन्य लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया था.
साल भर में 33 बार की थी शिकायत
उन्नाव गैंगरेप पीड़िता के परिवार ने पिछले एक साल में करीब 33 बार पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी. इन शिकायतों में पीड़ित परिवार ने कहा था कि उन्हें विधायक कुलदीप सिंह सेंगर से जान का खतरा है. इसके बाद भी पुलिस ने इन शिकायतों को हल्के में लिया. हालात यहां तक बने कि पीड़ितों को अपना घर तक छोड़ना पड़ा. इन शिकायतों में कहा गया था कि उन्हें निशाना बनाया जा सकता है. पुलिस का कहना है कि इन शिकायतों में कोई दम नजर नहीं आने के कारण इन्हें खारिज कर दिया गया था. एक रिश्तेदार ने बताया कि जब से विधायक को गिरफ्तार किया गया था तभी से हमें जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं.
पीड़ित परिवार ने धमकाने वाले के वीडियो भी बनाए थे और 13 जुलाई को भी पुलिस में शिकायत की थी. उन्नाव के एसपी एमपी वर्मा भी स्वीकार करते हैं कि 33 शिकायतें पुलिस को मिली थीं. इस मामले में पुलिस की लापरवाही साफ तौर पर उजागर हो रही है और पुलिस की भूमिका पर सवालिया निशान लग रहे हैं. हालांकि डीजीपी ओपी सिंह, एडीजीपी, आईजी रेंज एसके भगत रविवार से ही इस मामले को देख रहे हैं. एसआईटी भी मामले की जांच के लिए गठित कर दी गई है. एक साल पहले भी पुलिस के कुछ कर्मचारियों पर कार्रवाई की गई थी जिन पर आरोपियों से मिलीभगत का आरोप था. इस बार भी देखना होगा कि जांच के बाद किन पुलिसकर्मियों पर गाज़ गिरेगी.