नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव से जुड़े आय से अधिक संपत्ति केस में नया मोड़ आया है. केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) ने कहा है कि उसके पास सीबीआई की रिपोर्ट नहीं है. जबकि, सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि उसने साल 2013 में सीवीसी को रिपोर्ट सौंपी थी और जानकारी दी थी कि सबूत न मिल पाने के चलते जांच बंद की जा रही है. इस मामले में मुलायम के साथ अखिलेश और प्रतीक यादव के खिलाफ भी जांच हुई थी. अब सवाल उठ रहा है कि आखिर सीबीआई ने किसे रिपोर्ट दी थी?


क्या है मामला


साल 2005 में विश्वनाथ चतुर्वेदी नाम के वकील ने यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह, उनके बेटे अखिलेश यादव, बहु डिंपल यादव और दूसरे बेटे प्रतीक यादव के ऊपर आय से करोड़ों अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगाते हुए जनहित याचिका दायर की थी. 1 मार्च 2007 को सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को इस आरोप की प्राथमिक जांच का आदेश दिया था. अक्टूबर 2007 में सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि शुरुआती जांच में उसे मुकदमा दर्ज करने लायक सबूत मिले हैं. लेकिन साल 2012  में सुप्रीम कोर्ट ने डिंपल को जांच के दायरे से बाहर कर दिया. मुलायम, अखिलेश और प्रतीक के खिलाफ जांच चलती रही.


याचिकाकर्ता ने मांगी रिपोर्ट


इस साल मार्च में याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि सीबीआई ने मामले को ठंडे बस्ते में डाल रखा है. लिहाजा कोर्ट सीबीआई से स्टेटस रिपोर्ट मांगे. मामले की सुनवाई कर रहे चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने इस बात पर हैरानी जताई कि 12 साल बाद भी जांच में हुई तरक्की की किसी को जानकारी नहीं है.


CBI का जवाब


सीबीआई ने चौंकाने वाला जवाब देते हुए कहा कि उसे शुरुआती जांच में नियमित एफआईआर दर्ज करने लायक सबूत नहीं मिले थे. इसलिए, अगस्त 2013 में ही जांच बंद कर दी गई थी. सीबीआई ने जवाब में आगे लिखा कि उसने अपना कानूनी दायित्व निभाते हुए अक्टूबर 2013 में सीवीसी को इस बात की जानकारी दे दी थी. सीवीसी को जांच बंद करने के अपने फैसले की विस्तृत वजह भी बताई थी.


CVC का इनकार


याचिकाकर्ता ने सीवीसी में आरटीआई आवेदन लगाकर सीबीआई की रिपोर्ट मांगी, लेकिन सीवीसी ने जवाब में कहा कि उसके पास ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं है. उनका आवेदन सीबीआई के मुख्य विजिलेंस अधिकारी को भेजा जा रहा है. आगे की जानकारी के लिए उनसे संपर्क करें.


कोर्ट में उठेगा सवाल


याचिकाकर्ता विश्वनाथ चतुर्वेदी ने एबीपी न्यूज़ से कहा कि वो ये मसला अगली सुनवाई में कोर्ट में रखेंगे. चतुर्वेदी ने कहा, "मेरी तरफ से ये मांग की जाएगी कि कोर्ट जांच में गड़बड़ी करने और अदालत को गलत जानकारी देने वाले सीबीआई अधिकारियों के खिलाफ एसआईटी बनाकर जांच करवाए. साफ लग रहा है कि पिछली यूपीए सरकार को समाजवादी पार्टी के समर्थन के चलते सीबीआई निष्पक्ष तरीके से काम नहीं कर रही थी. अब मामले की लीपापोती की जा रही है."


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