बाबरी मस्जिद केस: आडवाणी समेत बीजेपी के बारह नेताओं पर आरोप तय, पढ़ें क्या है पूरा मामला
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लखनऊ: अयोध्या कांड में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने आडवाणी समेत बीजेपी के बारह नेताओँ पर आपराधिक साजिश रचने के आरोप तय कर दिए हैं. इस केस के 12 आरोपियों को 20-20 हजार के निजी मुचलके पर पहले ही बेल दे दी गई थी. इसके बाद इन नेताओं ने बरी होने के लिए अर्जी लगाई थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया. सुनवाई के दौरान आरोपियों के वकील ने कहा कि इनके खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं है. इस दलील का सीबीआई के वकील ने विरोध किया और कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इन पर आरोप तय़ करने को कहा है.
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उमा भारती ने कहा था कि सब कुछ खुल्लमखुल्ला था सुप्रीम कोर्ट के इन सभी पर आपराधिक साजिश का मुकदमा चलाने के आदेश के बाद इस मामले में उमा भारती ने कहा था, ‘’ कोई साजिश नहीं थी. सब कुछ खुल्लमखुल्ला था. साजिश तो तब होगी जब मन में कुछ और हो, बाहर कुछ और हो. मेरे तो मन में वहीं था, वचन में वही था, कर्म में वही था. मुझे राममंदिर आंदोलन में भागीदारी के लिए हमेशा गर्व रहा है.’’ उमा भारती पर चार्जशीट इसलिए अहम हैं क्योंकि इस वक्त वो मोदी सरकार में मंत्री हैं. सवाल है कि क्या चार्जशीट दायर होने के बाद वो इस्तीफा देंगी.
क्या है पूरा मामला ? 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में राममंदिर आंदोलन से जुड़े नेताओँ की मौजूदगी में लाखों कारसेवकों की भीड़ ने विवादित ढांचे को गिरा दिया था. उस वक्त उत्तर प्रदेश में बीजेपी के कल्याण सिंह की सरकार थी. इस मामले में तब कुल दो एफआईआर दर्ज हुई थीं.
एक लखनऊ में कारसेवकों के खिलाफ दूसरी फैजाबाद में बीजेपी और राममंदिर आंदोलन से जुड़े आठ बड़े नेताओं के खिलाफ. ये नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, साध्वी ऋतंभरा, गिरिराज किशोर, अशोक सिंहल, विष्णु हरि डालमिया, उमा भारती और विनय कटियार थे. इन 8 नेताओं पर अयोध्या में मंच से हिंसा भड़काने का आरोप था.
इनका केस रायबरेली की अदालत में चल रहा था, लेकिन उसे भी लखनऊ के कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया. सीबीआई ने जांच के दौरान साजिश के सबूत मिलने का दावा किया और 13 और नेताओं के नाम जोड़कर कुल 21 नेताओँ के खिलाफ आपराधिक साजिश की धारा लगा दी. सीबीआई ने लखनऊ की कोर्ट में 21 नेताओं के खिलाफ आपराधिक साजिश की साझा चार्जशीट दाखिल की लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तकनीकी आधार पर लखनऊ और रायबरेली के मुकदमों को दोबारा अलग अलग चलाने का निर्देश दिया. इसका फायदा नेताओं को मिला क्योंकि मुकदमे अलग अलग चलने से उस साझा चार्जशीट का कोई मतलब नहीं रह गया, जिसमें उनके ऊपर आपराधिक साजिश की धारा लगाई गई थी. सीबीआई ने 2012 में इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
करीब 25 साल से चल रहे इस मामले में जिन 21 नेताओँ पर आरोप था उनमें से आठ का निधन हो चुका है, ऐसे में अब कुल 13 नेताओं पर ये मुकदमा चलेगा. बीजेपी नेता विनय कटियार इस मामले में सीबीआई पर ही सवाल उठा चुके हैं. 1992 की घटना के वक्त प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह भी आरोपियों की लिस्ट में हैं लेकिन अभी वो राजस्थान के राज्यपाल हैं, इसलिए फिलहाल उनके खिलाफ केस नहीं चल सकता.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उनको इम्यूनिटी है. आर्टिकल 361 में तो जब तक वो राज्यपाल रहेंगे उनके खिलाफ ट्रायल नहीं चलेगा. जैसे ही वो गवर्नर की पोस्ट उनकी खत्म हो जाएगी. उनके खिलाफ चार्ज लगा कर उनके खिलाफ भी सुनवाई होगी.
बीजेपी के इन बड़े नेताओं पर अभी तक समाज में वैमनस्य फैलाना, राष्ट्रीय अखंडता को खतरे में डालना, अशांति और उपद्रव फैलाने की नीयत से झूठी अफवाहें फैलाने से जुड़ी धाराओँ के तरत केस चल रहा था. अब इसमें आपराधिक साजिश की धारा भी जोड़ दी जाएगी. ऐसे में दोष साबित होने पर उन्हें पांच साल तक की सजा हो सकती है.
सुप्रीम कोर्ट ने लखनऊ और रायबरेली के मुकदमों को एक साथ चलाने का आदेश दिया था।.अब ये दोनों मुकदमे लखनऊ के सेशन्स कोर्ट में चलेंगे.
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