Chhath Puja 2018: सूर्य उपासना का महापर्व छठ का आगाज 11 नवंबर से हो जाएगा. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से सप्तमी की तिथि तक भगवान सूर्यदेव की अटल आस्था का पर्व छठ पूजा मनाया जाता है. इस दौरान महिलाएं और पुरुष समान तरीके से पूजा करते हैं. नहाय खाय के दिन व्रती सुबह स्नान करने के बाद चावल, चने की दाल और कद्दू की सब्जी ग्रहण करते हैं. इन नमकीन प्रसाद को ग्रहण करने के बाद व्रती अगले दिन खरना तक कुछ भी नहीं खाते हैं. खरना के दिन भगवान भास्कर की पूजा के बाद शाम में खीर-रोटी का प्रसाद ग्रहण करते हैं.


जिसके बाद से उपवास शुरू हो जाता है. अगले दिन शाम में उपवास के दौरान ही अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. यही इस पर्व को खास बनाता है यानि इसमें डूबते हुए सूर्य की भी आराधना की जाती है. इसके लिए व्रत करने वाले लोग पास के तालाब या नदी के घाट पर जाते हैं और पानी में खड़े होकर ही अर्घ्य देते हैं. अगले दिन सुबह में उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के बाद इस महापर्व की समाप्ति हो जाती है. ये पर्व पूरी तरह से प्रकृति से जुड़ा हुआ पर्व है, जिसमें साफ-सफाई का खास ध्यान रखा जाता है.


छठ के दौरान नदी घाटों पर व्रतियों की सुविधाओं का भी खासा ख्याल रखा जा रहा है. पुलिस प्रशासन के साथ पूरा महकमा इस प्रयास में जुटे रहते हैं कि व्रतियों को किसी प्रकार की कोई परेशानी न हो.


क्यों करते हैं छठ पूजा


मान्यता है कि छठ देवी भास्कर की बहन हैं और उन्हें प्रसन्न करने के लिए इन्हें साक्षी मान कर भगवान सूर्य के सामने आराधना करते हैं. इस दौरान साक्ष्य के तौर पर वरुण देव (जल) भी होते हैं.


षष्ठी मां यानी कि छठ माता बच्चों की रक्षा करने वाली देवी मानी जाती हैं. मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान को लंबी आयु का वरदान मिलता है इसलिए महिला और पुरुष इस व्रत को करते हैं.


कब है छठ पूजा


11 नवंबरः नहाए खाए


12 नवंबरः खरना


13 नवंबरः पहली अर्घ्य/ सांध्य अर्घ्य


14 नवंबरः दूसरी अर्घ्य, पारन