रायपुरः छत्तीसगढ़ में हाथियों की संख्या लगातार बढ़ रही है. प्रदेश के कई इलाकों से हाथी और इंसानों के बीच द्वंद की घटनाएं सामने आती रहती हैं. एक आंकड़ा यह भी कहता है कि छत्तीसगढ़ में नक्सल घटना में जितने लोगों की मौत नहीं हुई है उससे ज्यादा हाथियों के आतंक से हुई है.


दरअसल, कम होते जंगल की वजह से हाथी शहर और गावों तक आ जाते हैं. इस वजह से हाथियों की मौत भी हो रही है. इसी महीने जून में अब तक 6 हाथियों की मौत हो चुकी है. जिसकी वजह से फसल का नुकसान तो होता ही है जन हानि भी होती है. इसे रोकने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने साल 2019 में हसदेव नदी से लगे 1995 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को लेमरू हाथी रिजर्व घोषित करने का निर्णय लिया था, जिसकी प्रक्रिया अभी चल रही है. हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कोल ब्लॉक का आवंटन होना है. पीएम मोदी के बयान आने के बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने केंद्र को पत्र लिखकर हाथियों के लिए रिजर्व 1995 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को नीलामी से दूर रखने आग्रह किया है.


राज्य सरकार ने कोल ब्लॉक नीलामी में शामिल नहीं करने का किया अनुरोध


छत्तीसगढ़ सरकार में वन, आवास और पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर ने केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को पत्र लिखकर छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य और उससे सटे मांड नदी के जल ग्रहण क्षेत्र के अलावा प्रस्तावित हाथी रिजर्व की सीमा में आने वाले क्षेत्रों में स्थित कोल ब्लॉकों को भारत सरकार द्वारा की जाने वाली आगामी कोल ब्लाक नीलामी में शामिल नहीं करने का अनुरोध किया है.


उन्होंने पत्र में लिखा है कि छत्तीसगढ़ के इन क्षेत्रों में आने वाले कोल ब्लॉकों को नीलामी से अलग किया जाये. ऐसा करना वन और पर्यावरण की सुरक्षा के दृष्किोण से उचित होगा. प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार को लिखे पत्र में कहा है की राज्य का मध्य एवं उत्तरीय क्षेत्र जो एक ओर घने वनों से घिरा है. वहीं इस पूरे क्षेत्र में कोयले का भी भण्डार है.


हसदेव और मांड नदी के जल ग्रहण क्षेत्र में प्रस्तावित है कोल ब्लॉकों की नीलामी 


वर्तमान में इस क्षेत्र में विभिन्न केन्द्रीय, राज्य एवं निजी संस्थानों को आबंटित क्षेत्रों में खनन का कार्य किया जा रहा है. उक्त क्षेत्र में राज्य की दो महत्वपूर्ण नदियां हसदेव और मांड के जल ग्रहण क्षेत्र में भी कोल ब्लॉकों की नीलामी प्रस्तावित है. हाल ही में छत्तीसगढ़ राज्य में हाथियों की संख्या में हो रही लगातार वृद्धि, मानव हाथी द्वंद की बढ़ती घटनाओं तथा हाथियों के रहवास की आवश्यकता को देखते हुए हसदेव नदी से लगे 1995 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को लेमरू हाथी रिजर्व घोषित करने का निर्णय लिया गया है, जिसके पालन में अधिसूचना प्रकाशन हेतु कार्यवाही प्रगति पर है.


छत्तीसगढ़ सरकार ने पत्र में लिखा है कि राज्य के वनों एवं पर्यावरण की सुरक्षा तथा भविष्य में मानव हाथी द्वंद की घटनाओं पर प्रभावशील नियंत्रण के लिए उक्त क्षेत्र में भविष्य में खनन गतिविधियों पर रोक अत्यंत आवश्यक है. भविष्य में होने वाली कोल ब्लॉकों की नीलामी में इन क्षेत्रों में आने वाले कोल ब्लॉकों को पृथक किया जाना वन एवं पर्यावरण की सुरक्षा के दृष्टिकोण से उचित होगा. पत्र में केन्द्रीय मंत्री से अनुरोध किया है कि आगामी कोल ब्लॉक नीलामी में हसदेव अरण्य एवं उससे सटे मांड नदी के जल ग्रहण क्षेत्र तथा प्रस्तावित हाथी रिजर्व की सीमा में आने वाले क्षेत्रों में स्थित कोल ब्लॉकों को शामिल न किया जाए.


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