लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश से ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने के लिए कांग्रेस सारे दांव आजमा रही है. इसी वजह से मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ को पार्टी ने छिंदवाड़ा से उम्मीदवार बनाया है. कमलनाथ छिंदवाड़ा सीट से नौ बार से सांसद हैं. उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस को मजबूत कैंडिडेट की तलाश थी. नकुलनाथ के मैदान में उतरने के बाद पार्टी की यह तलाश खत्म हो गई है. लेकिन छिंदवाड़ा में इस बार कांग्रेस और कमलनाथ के सामने दोहरी चुनौती है. इस बार खुद कमलनाथ छिंदवाड़ा विधानसभा सीट से उपचुनाव लड़ रहे हैं. ऐसे में चुनाव जीतना और बेटे को भी सांसद बनाना एमपी के सीएम के लिए बड़ा चैलेंज है.


कमलनाथ का सफर
कमलनाथ छिंदवाड़ा से 9 बार लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं. वो कांग्रेस में मौजूदा पीढ़ी के ऐसे नेता हैं, जिन्होंने गांधी परिवार की तीन पीढ़ियों इंदिरा गांधी, राजीव-सोनिया और अब राहुल गांधी के साथ काम कर रहे हैं. 2018 के विधानसभा चुनावों के मद्देनजर उन्हें मध्य प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया था. यह कमलनाथ की मेहनत का ही नतीजा है कि 2018 के चुनावों में 15 साल बाद बीजेपी को विपक्ष में बैठना पड़ा और वो सीएम बने. मुख्यमंत्री बनने के बाद कमलनाथ की सियासी विरासत की कमान अब उनके बेटे नकुलनाथ के हाथों में है.


संजय गांधी के दोस्त कमलनाथ का एमपी से है राजनीतिक रिश्ता
कानपुर में जन्मे, देहरादून और पश्चिम बंगाल में पढ़ाई करने वाले कमलनाथ का मध्य प्रदेश से सिर्फ राजनीतिक रिश्ता है. कमलनाथ देश के सबसे बड़े राजनीतिक परिवार से आने वाले संजय गांधी के करीबी दोस्त थे. कहा जाता है कि दोनों की मित्रता दून स्कूल से शुरू हुई थी जो कि संजय गांधी के मौत के बाद ही खत्म हुई. ऐसा माना जाता है कि संजय की दोस्ती ने ही उन्हें गांधी परिवार के बेहद करीब ला दिया था.


कमलनाथ ने 34 साल की उम्र में जीता पहला चुनाव
1975 में इमरजेंसी के बाद कांग्रेस सबसे खराब दौर से गुजर रही थी. इस दौर में कमलनाथ लगातार पार्टी और गांधी परिवार के साथ खड़े रहे. इसका इनाम उन्हें इंदिरा गांधी ने छिंदवाड़ा सीट से राजनीति में उतार कर दिया. साल 1980 में कमलनाथ 34 साल की उम्र में छिंदवाड़ा से पहली बार चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे.


सियासी सफर
1991 में केंद्रीय पर्यावरण और वन राज्य मंत्री
1995-1996 तक केंद्रीय कपड़ा राज्य मंत्री
2001-2004 तक कांग्रेस के महासचिव रहे
2004-2009 तक केंद्रीय उद्योग मंत्री रहे
2009 में केंद्रीय परिवहन मंत्रालय का प्रभार
2011 में केंद्रीय शहरी विकास मंत्री बने
2018 में मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष बनाए गए
वर्तमान में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री हैं.


छिंदवाड़ा में इनके बीच है मुख्य मुकाबला
कमलनाथ का मुख्य मुकाबला बीजेपी उम्मीदवार विवेक बंटी साहू से है, जबकि नकुलनाथ का मुख्य मुकाबला बीजेपी उम्मीदवार नत्थन शाह कवरेती से है. साहू नया चेहरा हैं और वर्तमान में मध्य प्रदेश युवा मोर्चा अध्ययन समिति के प्रदेश अध्यक्ष हैं. वह पूर्व में भारतीय जनता युवा मोर्चा के जिला अध्यक्ष भी रह चुके हैं. वहीं, शाह आदिवासी चेहरे, आरएसएस विचारक और पूर्व विधायक हैं. बीजेपी नया चेहरा और आदिवासी चेहरा उतारकर कांग्रेस को उसके गढ़ में घेरना चाहती है, जबकि कांग्रेस कमलनाथ के परिवार पर भरोसा जता रही है.


साल 1997 में कमलनाथ हारे थे चुनाव
छिन्दवाड़ा कांग्रेस का गढ़ कहलाता है और कमलनाथ छिन्दवाड़ा लोकसभा सीट से नौ दफे सांसद रह चुके हैं. यह सीट देश की आजादी के बाद से साल 1997 के उपचुनाव को छोड़कर कांग्रेस के पास रही है. साल 1997 में बीजेपी ने यह सीट जीती थी. तब मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा ने कमलनाथ को हराया था. कमलनाथ साल 2014 में छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से 1,16,000 से अधिक मतों से विजयी हुए थे. छिन्दवाड़ा लोकसभा सीट और छिन्दवाड़ा विधानसभा सीट पर आज यानि 29 अप्रैल को मतदान है.


कमलनाथ ने 17 दिसंबर 2018 को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. फिलहाल कमलनाथ छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं और नियमानुसार उन्हें प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के छह माह के अंदर विधानसभा का सदस्य निर्वाचित होना होगा.


चौथे चरण में सबसे अमीर उम्मीदवार हैं नकुलनाथ
लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में नौ राज्यों के 71 संसदीय क्षेत्रों से किस्मत आजमा रहे 943 उम्मीदवारों में सबसे धनी उम्मीदवार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ हैं. एडीआर की चौथे चरण के चुनाव में किस्मत आजमा रहे 928 उम्मीदवारों के हलफनामों के विश्लेषण पर आधारित रिपोर्ट के अनुसार छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार नकुलनाथ ने अपने हलफनामे में 660 करोड़ रुपये से अधिक की चल अचल संपत्ति का खुलासा किया है. रिपोर्ट के अनुसार नाथ के पास 618 करोड़ रुपये की चल और 41 करोड़ रुपये अचल संपत्ति है.


नकुलनाथ के सामने विरासत बचाने की चुनौती
नकुलनाथ सियासत में नए जरूर हैं लेकिन छिंदवाड़ा के लिए वो जाना पहचाना चेहरा हैं. नकुल पहली बार 1996 में राजनीति में गंभीर भूमिका में नजर आए थे. इस दौरान उन्होंने अपनी मां अलका नाथ की छिंदवाड़ा से जीत में बड़ी भूमिका निभाई थी. विधानसभा चुनाव के बाद छिंदवाड़ा में कांग्रेस काफी मजबूत है लेकिन नकुलनाथ सांसद बन पाएंगे या नहीं ये तो 23 मई को नतीजों के बाद ही साफ होगा. दूसरी तरफ कमलनाथ विधानसभा उप चुनाव में उम्मीदवार जरूर हैं लेकिन छिंदवाड़ा की जनता को पता है कि वो विधायक नहीं मुख्यमंत्री चुन रही हैं. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि छिंदवाड़ा की जनता क्या फैसला लेती है.


विधानसभा चुनाव के मुताबिक ये है समीकरण
छिंदवाड़ा जिले में विधानसभा की सात सीटें हैं. इनमें से अमरवाड़ा (एसटी), परासिया (एससी), जुन्नारदेव (एससी) और पान्दुर्ना (एसटी), छिंदवाड़ा, सौंसर और चौरई शामिल हैं. इस बार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने छिंदवाड़ा जिले की सभी सात सीटों पर विजय हासिल की है.


2014 में ये थे नतीजे
छिंदवाड़ा लोकसभा सीट मध्य प्रदेश के महाकौशल इलाके में आती है. 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से कांग्रेस पार्टी के कमलनाथ ने 5 लाख 59 हजार 755 वोट हासिल किये थे और 1 लाख 16 हजार 537 वोटों के भारी अंतर से जीत दर्ज की थी. छिंदवाड़ा लोकसभा सीट पर दूसरे स्थान पर भारतीय जनता पार्टी के चौधरी चंद्रभान कुबेर सिंह रहे थे जिन्होंने 4 लाख 43 हजार 218 वोट हासिल किये थे. GGP के परदेशी 25 हजार 628 वोट पाकर तीसरे तो NOTA 25 हजार 499 वोट पाकर चौथें स्थान पर था.