(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
अयोध्या आतंकी हमला: अदालत के फैसले का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया स्वागत
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अदालत के फैसले का स्वागत किया है. अदालत ने अयोध्या आतंकी हमले के दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को इलाहाबाद की विशेष अदालत के उस फैसले का स्वागत किया, जिसमें 2005 में अयोध्या में हुए आतंकी हमले के चार आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है जबकि एक अन्य आरोपी को बरी किया गया है. इस आतंकी हमले में दो स्थानीय लोग मारे गए थे जबकि सीआरपीएफ के सात जवान घायल हो गए थे.
मुख्यमंत्री ने यहां एक बयान में कहा कि अदालत के फैसले का स्वागत है. एक व्यक्ति को बरी करने के फैसले पर हम कानूनी राय लेने के बाद आवश्यकतानुसार कार्रवाई करेंगे. सरकारी वकील गुलाब चंद्र अग्निहोत्री ने इलाहाबाद में संवाददाताओं को बताया कि विशेष न्यायाधीश दिनेश चंद्रा ने दोषियों पर जुर्माना भी लगाया है.
साल 2005 में ये आतंकी हमला हुआ था. आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा द्वारा कराए गए इस हमले में पांच आतंकवादी और एक टूरिस्ट गाइड समेत सात लोग मारे गए थे, जबकि हमले में सीआरपीएफ व पीएसी के सात जवान गंभीर रूप से ज़ख़्मी हुए थे. सुरक्षा कारणों से इस मामले का फैसला प्रयागराज की नैनी सेन्ट्रल जेल में बनाई गई अस्थाई अदालत में सुनाया गया.
हमले की जांच कर रही टीम ने इस मामले में पांच आतंकियों को गिरफ्तार किया था. इनमें दिल्ली के साकेत नगर में क्लीनिक चलाने वाला सहारनपुर का डॉ इरफ़ान मास्टर माइंड है, जबकि बाकी चार लोग जम्मू कश्मीर के पुंछ जिले के मेंडर इलाके के रहने वाले हैं. लश्कर-ए-तैयबा ने यह हमला बाबरी मस्जिद की घटना का बदला लेने की नीयत से कराया था.
हमले का मास्टरमाइंड था डाक्टर इरफ़ान
गिरफ्तार पांच आतंकियों में मास्टरमाइंड डाक्टर इरफ़ान ने ही पूरी साजिश रची थी. सभी आतंकी दिल्ली में उसकी क्लीनिक पर मिलते थे. इरफ़ान ही अपने मोबाइल से सभी की आपस में बात कराता था व इसी ने आतंकियों को पनाह देने के साथ ही रेकी कर घटनास्थल की लोकेशन मुहैया कराई थी. गिरफ्तार नसीम ने लश्करे तैयबा के एरिया कमांडर कारी की बाकी लोगों से मुलाकात कराई. इसने अपनी आईडी पर भी सिम लेकर हमलावरों को दिए और पानीपत जाकर वहां से राइफलों व दूसरे हथियारों का इंतजाम किया.
अजीज ने सिम खरीदने में वेरीफिकेशन किया था व आतंकियों को कई दूसरे तरीकों से भी मदद की थी. शकील अहमद ने आतंकियों व हथियारों को लाने-ले जाने के लिए अपनी टाटा सूमो गाड़ी थी और इसके बदले दो लाख बीस हजार रूपये लिए थे. शकील ने गाड़ी दी थी और वह भी पूरी साजिश में शामिल था. लश्कर के कमांडर से उसकी मुलाकात ड्राइवर आसिफ इकबाल उर्फ़ फारूक के घर पर हुई थी. आसिफ इकबाल शकील की टाटा सूमो का ड्राइवर था. आतंकी कमांडर कारी ने कुछ मोबाइल फोन व हथियार आसिफ के ज़रिये ही आतंकियों को भिजवाया था. जम्मू से आतंकियों व पानीपत से हथियार लाने में जिस टाटा सूमो का इस्तेमाल किया गया, उसे आसिफ इकबाल ही चलाता था. आसिफ ने ही अपने मालिक शकील व इरफ़ान की मुलाक़ात भी कराई थी.