पटना: बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने आज कानून व्यवस्था की समीक्षा की. पुलिस अधिकारियों को शराब माफिया और पुलिस की मिलीभगत को खत्म करने का आदेश दिया. आज चार घंटे तक मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में विधि व्यवस्था एवं मद्य निषेध से संबंधित मुद्दों पर समीक्षा बैठक की गई. बैठक में अपराध नियंत्रण के लिए गश्ती वाहनों में जीपीएस यंत्र लगाने, थानों में वाहनों की उपलब्धता, लंबित वारंट, कुर्की जब्ती के शीघ्र निष्पादन, थाना स्तर पर विधि व्यवस्था और अनुसंधान के पृथक्करण पर चर्चा की गई.


इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि अपराध नियंत्रण के लिए पुलिस गश्ती लगातार करते रहने की जरूरत है. गश्ती वाहनों में जीपीएस तकनीक लगाए जाने की जरूरत है. सभी थानों की स्टेशन डायरी मेंटेन रखी जाए. थानों के स्टेशनरी खर्च के लिए जो राशि तय की गई है, उसके लिए रिवॉल्विंग फंड की व्यवस्था की गई है.


नीतीश कुमार ने कहा कि प्रत्येक थानों में लैंडलाइन फोन की उपलब्धता हो. कानून व्यवस्था को दुरुस्त बनाये रखने के लिए सिस्टम का इम्प्रूवमेंट होते रहना जरूरी है. इसके लिए लगातार ग्राउंड लेबल पर काम करते रहना होगा. विशेष शाखा की मजबूती से पुलिस कार्यों की गुणवत्ता में और सुधार आएगा.


मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में मद्य निषेध को और प्रभावी और कारगर बनाने के लिए सबको भावनात्मक जुड़ाव के साथ काम करना होगा. थानेदार से लेकर एसपी स्तर के पदाधिकारी इसके लिए सतर्क रहें. देशी और विदेशी शराब के धंधेबाजों को पकड़ने के लिए गंभीरतापूर्वक मंथन करें और मुस्तैद रहें. जिन पुलिस अधिकारियों की शराब धंधेबाजों के साथ मिलीभगत हो उनके खिलाफ भी विभागीय स्तर पर कड़ी कार्रवाई हो. सीएम ने कहा कि शराबबंदी से समाज में काफी बदलाव आया है.


इसके अलावा नीतीश कुमार ने कहा कि साल 2016 की डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट जो 2018 में प्रकाशित हुई थी उसमें यह बताया गया था कि जितनी मृत्यु होती है उसमें 5.3 प्रतिशत मौत शराब पीने की वजह से होती है. 20 से 39 आयु वर्ग के लोगों की होने वाली मौत में 13.5 प्रतिशत शराब की सेवन करने से होती है. यह लोगों को बताने की जरूरत है जिससे लोग सतर्क रहें.