लखनऊ: यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का उत्तराधिकारी कौन हो? इस पर मामला फँस गया है. गोरखपुर से बीजेपी का टिकट किसे दिया जाए? इसको लेकर योगी धर्म संकट में हैं. मंगलवार को उन्होंने अपने घर पर कई घंटों तक लोकल नेताओं के संग बैठक की. लेकिन बीजेपी का जिताऊ उम्मीदवार नहीं ढूँढ पाए. अमरेन्द्र निषाद और उपेन्द्र शुक्ल के बीच में मामला फँस गया है. पिछले साल गोरखपुर में हुए उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने बीजेपी को हरा दिया था. योगी आदित्यनाथ यहां से लगातार 5 बार लोकसभा के सांसद रह चुके हैं.
योगी आदित्यनाथ के लिए गोरखपुर अब प्रतिष्ठा की सीट बन गई है. अगले लोकसभा चुनाव में अगर बीजेपी यहां हारी तो ये हार ख़ुद योगी की मानी जाएगी. इसीलिए इस सीट को बचाने के लिए उन्होंने पूरी ताक़त झोंक दी है. योगी कोई कोर कसर नहीं रखना चाहते हैं. लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि गोरखपुर से योगी का उत्तराधिकारी कौन बने? लोकसभा चुनाव का उम्मीदवार तय करने में योगी के पसीने छूट रहे हैं. ऐसा नेता जो बीएसपी और समाजवादी पार्टी गठबंधन के उम्मीदवार को हरा दे. योगी को मिल नहीं रहा है. पिछले उपचुनाव में जीते प्रवीण निषाद फिर से गठबंधन के उम्मीदवार होंगे. उनके मुक़ाबले में बीजेपी से किसे उतारा जाए?
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इसी सवाल का जवाब तलाशने के लिये योगी आदित्यनाथ ने बीते मंगलवार को चार घंटों तक मंथन किया. लखनऊ में अपने सरकारी बंगले पर उन्होंने गोरखपुर के लोकल नेताओं को बुलाया था. शाम 5 बजे से बैठक शुरू हुई. सबसे पहले योगी ने गोरखपुर के विधायकों के मन को जाना. राधा मोहन अग्रवाल, शीतल पांडे, विपिन सिंह और महेन्द्रपाल सिंह से अलग अलग उन्होंने मीटिंग की. विधायक फतेह बहादुर सिंह को भी बुलाया गया था, लेकिन दिल्ली में होने के कारण वे बैठक में नहीं पहुंच पाए. गोरखपुर चुनाव को लेकर योगी ने सभी विधायकों को जी जान से जुटने के आदेश दिए. योगी ने कहा कि उप चुनाव में जो गलतियां हुईं, वे आगे न दोहराई जाएं.
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विधायकों के बाद योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर के बीजेपी नेताओं के साथ बैठक की. क्षेत्रीय अध्यक्ष धर्मेन्द्र सिंह सैंथवार, ज़िलाध्यक्ष जनार्दन तिवारी समेत पार्टी के कई नेताओं के साथ उन्होंने घंटे भर माथापच्ची की. योगी ने बैठक में मौजूद नेताओं से चुनाव के उम्मीदवार को लेकर चर्चा की. अलग अलग हुई मीटिंग में बीजेपी के दो नेताओं के नाम सामने आए- उपेन्द्र शुक्ल और अमरेन्द्र निषाद. शुक्ल बीजेपी की प्रदेश यूनिट के उपाध्यक्ष हैं. पिछले साल हुए लोकसभा के उपचुनाव में पार्टी ने उन्हें उम्मीदवार बनाया था. लेकिन 22 हज़ार वोटों से वे हार गए. अमरेन्द्र निषाद मायावती सरकार में मंत्री रहे यमुना निषाद के बेटे हैं. उनकी मां राजमति निषाद भी समाजवादी पार्टी से विधायक रह चुकी हैं. 2017 में अमरेन्द्र विधानसभा चुनाव लड़ कर हार चुके हैं. इसी महीने उन्हें बीजेपी में शामिल कराया गया है.
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ये तो लगभग तय है कि गोरखपुर से या तो ब्राह्मण या फिर निषाद जाति का ही उम्मीदवार होगा. इन्हीं दोनों जाति के वोटरों का दबदबा है. हाल में ही संतकबीर नगर में बीजेपी के सांसद शरद त्रिपाठी और विधायक राकेश सिंह के बीच झगड़े का भी गोरखपुर से कनेक्शन है. अगर पार्टी ने कार्रवाई करते हुए शरद का टिकट काटा तो फिर हर हाल में गोरखपुर से ब्राह्मण नेता को ही टिकट मिलेगा. योगी आदित्यनाथ हर ह्राल में इस बार गोरखपुर जीतना चाहते हैं. वे नहीं चाहते हैं कि विपक्ष को ये कहने का मौक़ा मिले कि योगी अपना घर भी नहीं बचा पाए.
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