गोरखपुर, वीरेश पांडेय। 'सफेद भैंस काली दही, नेता-अफसर जो कहें वही सही...' आजादी के बाद दुर्भाग्‍य से इस परिपाटी पर चल पड़ी भारतीय राजनीति दूसरों की जमीन-जायजाद और सार्वजनिक सम्‍पत्तियों पर अवैध कब्‍जों के उदाहरणों से पट गई थी लेकिन अब यह माहौल बदल रहा है. उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने एक नई परम्‍परा शुरू कर दी है. वह देश के अकेले ऐसे सीएम हैं जिसने विकास की खातिर अपनी ही दुकानों और उस मंदिर की चहारदीवारी पर बुल्‍डोजर चलवा दिया जिसके वह पीठाधीश्‍वर हैं.


उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री और गोरक्षपीठाधीश्‍वर महंत योगी आदित्‍यनाथ के आदेश से गोरखपुर में गोरखनाथ मंदिर की एक-दो नहीं, दो सौ से ज्‍यादा दुकानें जमींदोज की जा रही हैं. यह सब हो रहा है गोरखपुर में मोहद्दीपुर से जंगल कौड़िया तक बन रहे 17 किलोमीटर लंबे फोरलेन के लिए. मंदिर परिसर की करीब दो सौ और उससे लगी सौ अन्‍य दुकानें फोरलेन के आड़े आ रही थीं. पिछले चार दिन से इन दुकानों को तोड़े जाने का सिलसिला जारी है. मंदिर की दुकानें तोड़ने की इजाजत खुद मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने दी है.


'परहित सरिस धर्म नहिं भाई'
गोरखनाथ मंदिर की दुकानों को जिन स्‍थानों से हटाकर फोरलेन का रास्‍ता बनाया गया है उन पर मंदिर का मालिकाना हक था. दुकानें पूरी तरह वैध थीं. इसके बावजूद सार्वजनिक हित में मुख्‍यमंत्री और गोरक्षपीठाधीश्‍वर ने दुकानें तुड़वाकर जमीन फोरलेन के लिए दे दी. ठीक वैसे ही जैसे ब्रह्मलीन गोरक्षपीठाधीश्‍वर महंत दिग्विजयनाथ ने 1950 में गोरखपुर विश्‍वविद्यालय की स्‍थापना में प्राभूत राशि के रूप में अपने दो महाविद्यालय (महाराणा प्रताप महाविद्यालय और महाराणा प्रताप महिला महाविद्यालय) दे दिए थे. 'परहित सरिस धर्म नहिं भाई, पर पीड़ा सम नहिं अधमाई' गोस्‍वामी तुलसीदास कृत श्रीरामचरितमानस की यह पंक्ति, इस रूप में गोरक्षपीठ की परम्‍परा सी बन गई है. लेकिन इन दुकानों के ध्‍वस्‍तीकरण को देश की एक अन्‍य बड़ी समस्‍या से भी जोड़कर देखे जाने की जरूरत है. 2017 में योगी आदित्‍यनाथ के मुख्‍यमंत्री बनने पर कई लोग हैरान थे. उस समय देश-विदेश में पक्ष-विपक्ष के लोग गाहे-बेगाहे पूछते रहते थे कि एक सन्‍यासी की सत्‍ता कैसी होगी. तब कई साक्षात्‍कारों में मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने यह साफ किया था कि सन्‍यास का मतलब पलायन नहीं है. वह लोक कल्याण के लिए सन्यासी बने.



उनके लिए राजनीति कोई पेशा नहीं है. इसी लोककल्‍याण की भावना से योगी सुबह से लेकर देर रात तक काम करते रहते हैं. उनके कामों में एक स्‍पष्‍टता है. वह सन्‍यासी हैं. लेकिन धर्म को अंधविश्‍वास और अराजकता से जोड़ने के सख्‍त विरोधी भी हैं. उन्‍होंने मंदिर की चहारदीवारी और वैध दुकानों को सार्वजनिक हित में तुड़वाकर देश भर में उन अवैध कब्‍जेदारों को चुनौती भी दी है जो अपने पद या पैसे की ताकत का दुरुपयोग कर कानून को चुनौती देते रहते हैं. वर्षों से सरकारें और प्रशासन ऐसे लोगों के सामने नतमस्‍तक नज़र आता था. लेकिन यहां जब सूबे के मुखिया ने अपनी ही वैध दुकानें तुड़वा दीं तो प्रशासन को साफ संदेश भी मिल गया है कि लोकहित सर्वोपरि है और इसकी राह में किसी को, चाहे वो मंदिर, मस्जिद इत्‍यादि धार्मिक स्‍थल ही क्‍यों न हों, बाधक नहीं बनने दिया जाएगा.


गोरखपुर में बिछ रहा सड़कों का जाल
करीब 10 लाख हल्‍के और भारी वाहनों वाले गोरखपुर में सड़कों पर लगने वाला जाम सबसे बड़ी समस्‍या माना जाने लगा था. वर्षों से लोग इसकी चर्चा करते थे लेकिन हल किसी को नहीं सूझता था. सड़कों का चौड़ीकरण वक्‍त की मांग थी लेकिन संकरी गलियों वाले शहर में यह मुमकिन नहीं दिखता था. गोरखपुर के सांसद रहते योगी आदित्‍यनाथ की निधि का एक बड़ा हिस्‍सा सड़कों के निर्माण में जाता था. तब भी उन्‍होंने रिंग रोड, फोरलेन और सड़कों के चौड़ीकरण के कई प्रस्‍तावों को केंद्र की हरी झंडी दिलाई. लेकिन 2017 में उनके मुख्‍यमंत्री बनने के बाद गोरखपुर में जिस तेजी से सड़कों और रन-वे को मात देते फोनलेन का जाल बिछ रहा है वह किसी को भी हैरान कर देने वाला है.


तीन सालों में गोरखपुर की तस्वीर बदल गई है. अंडरपास, पुल और ओवरब्रिजों का निर्माण भी तेजी से चल रहा है. पूर्वांचल लिंक एक्सप्रेस वे और औद्योगिक कॉरिडोर से विकास को रफ्तार मिल रही है तो रोजगार की नई सम्‍भावाएं भी बन रही हैं. इसके साथ ही 'इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम' से शहर के ट्रैफिक सिस्‍टम को ठीक करने का अभियान भी शुरू किया गया है. मोहद्दीपुर से जंगल कौड़िया के जिस फोरलेन के लिए गोरखनाथ मंदिर की दुकानें तोड़ी गई हैं उससे भी शहर की आबादी के एक बड़े हिस्‍से को जाम से निजात मिलेगी. पहले इस रास्‍ते पर लोगों को घंटों जाम से जूझना पड़ता था.


फोरलेन, जिनका निर्माण तेजी से हो रहा है


गोरखपुर-देवरिया फोरलेन की लंबाई 45.3 किलोमीटर है। इसके निर्माण पर 379.21 करोड़ खर्च किए जा रहे हैं.


गोरखपुर-महराजगंज फोरलेन का काम तेजी से चल रहा है। 31.35 किलोमीटर लंबे फोरलेन के निर्माण पर 567.49 करोड़ खर्च हो रहे हैं.


गोरखपुर से बड़हलगंज फोरलेन का निर्माण भी इसी साल पूरा होने की सम्‍भावना है.


कालेसर से जंगल कौड़िया फोरलेन बनकर तैयार है.