वाराणसी: सीएम योगी आदित्यनाथ चार दिन के अंदर ही दूसरी बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी पहुंचे. पहली बार आधिकारिक रूप से काशी विश्वनाथ प्रोजेक्ट को लेकर फैली भ्रम की स्थिति दूर करने की बात कही. इस मामले को लेकर सीएम योगी काफी गंभीर दिखे. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वाराणसी पहुंचते ही उन्हीने इस मुद्दे पर सबसे पहले संतों से बात की.योगी ने लगभग तीन घण्टे तक सर्किट हाउस में संतों से अलग-अलग मुलाकात की और भरोसा दिलाया. उन्होंने कहा कि कॉरिडोर को लेकर आम जनता के बीच जो भी गलतफहमी फैली है उसे दूर किया जाएगा.


बनारस का विकास तीर्थ स्थल के तौर पर होगा
सीएम योगी ने यह भी साफ कर दिया कि बनारस का विकास तीर्थ स्थल के तौर पर ही होगा. सीएम योगी ने सर्किट हाउस में एक-एक कर गंगा महासभा के स्वामी जितेंद्रानंद, बाबा बालकदास, संकटमोचन के महंत प्रो. विश्वंभरनाथ मिश्र, सतुआ बाबा आश्रम के पीठाधीश्वर बाबा संतोष दास, महंत ईश्वरदास, महंत सर्वेश्वरशरण दास, महंत अवधबिहारी दास, महंत रामलोचन दास, महंत श्रवणदास, पद्मपति शर्मा और अम्बरीश सिंह भोला से मुलाकात की.


काशी की प्राचीनता और इसके इतिहास से कोई समझौता नहीं किया जाएगा
सीएम योगी से मिलने गंगा महासभा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी जितेन्द्रानन्द सरस्वती भी पहुंचे थे. उन्होंने बताया कि सीएम ने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर को लेकर स्थिति स्पष्ट कर दी. सीएम ने कहा है कि काशी की प्राचीनता और इसके इतिहास से कोई समझौता नहीं किया जाएगा. सीएम ने भरोसा दिया कि कोई भी विग्रह खंडित नहीं किया जाएगा. सीएम ने कॉरिडोर के रास्ते में जमीन में धंसे और जीर्णशीर्ण हो चुके मंदिरों को प्रतिष्ठित और सुंदरीकरण किए जाने का भरोसा दिलाया. सीएम ने कॉरिडोर के चलते विस्थापित होने वाले परिवारों और दुकानदारों को फिर से बसाए जाने का भरोसा भी दिया.



सर्किट हाउस में सीएम योगी से संकट मोचन के महंत प्रो. विश्वंभरनाथ नाथ मिश्र भी मिले. उन्होंने वाराणसी शहर को अमेरिकन शब्द हेरिटेज की जगह बतौर लिविंग हेरिटेज के नजरिए से देखे जाने की मांग की. उन्होंने सीएम से कहा कि कॉरिडोर को लेकर जिस तरह से जनता के बीच भ्रम की स्थिति फैली हुई है, उसे तुरंत दूर किया जाना चाहिए.


वहीं संतों से सीएम की मुलाकात विवादित होने से बची न रह सकी. सीएम योगी ने मंदिर बचाओ आंदोलनम की अगुवाई कर रहे स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद और उनके साथ प्रतिनिधि मंडल को भी बुलवाया था. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने पहले ही लक्ष्मी कुंड से सर्किट हाउस तक पैदल जाने की घोषणा कर दी थी. शहर के मलदहिया इलाके में उनके साथ कई लोगों के होने के चलते पुलिस ने उन्हें रोक दिया. पुलिस ने उनके साथ पांच लोगों को गाड़ी में चलने के लिए कहा. इस पर नाराज होकर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद लौट गए.


सीएम से मुलाकात न हो पाने के चलते स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने आने आंदोलन को जारी रखने की बात कही. उन्होंने कहा कि मिलने के बुलाकर न मिलने देना, यह बहुत गलत काम हुआ है. उन्होंने कहा कि जब मिलने के लिए बुलाया था तो रास्ते मे रोकने का क्या मतलब. ऐसा क्यों हुआ इसका जवाब खुद सीएम योगी आदित्यनाथ ही दे सकते हैं. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने सीएम पर तीखा हमला बोला और कहा कि सीएम योगी औरंगजेब और अन्य आक्रमणकारियों की तरह काम कर रहे हैं. मंदिर तोड़े जा रहे हैं और विरोध करने पर उन्हें मिलने नहीं दिया जा रहा.