नई दिल्ली: बागपत जेल में सोमवार को मुन्ना बजरंगी नाम के कुख्यात डॉन की हत्या के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने बड़ा एक्शन लिया है. मुख्यमंत्री ने जेल में सुधार के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया है. ये कमेटी दो महीने में रिपोर्ट दाखिल करेगी. इस कमेटी में उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह, पूर्व एडीजी जेल हरिशंकर और आईजी जेल डॉक्टर शरद शामिल हैं. यह कमेटी जेल की वर्तमान व्यवस्था में सुधार पर रिपोर्ट देगी. मुन्ना बजरंगी की हत्या की जांच के लिए सीएम ने न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं.


दस गोलियों से किया छलनी, सेप्टिक टैंक से मिली बंदूक
पूर्वांचल के कुख्यात माफिया डॉन प्रेम प्रकाश उर्फ मुन्ना बजरंगी की बागपत जेल में दस गोलियां मार कर हत्या कर दी गई. हत्या का आरोप जेल में बंद सुनील राठी पर लगा. सुनील राठी ने हत्या की बात कबूल कर ली है. सुनील के मुताबिक मुन्ना बजरंगी से उसकी कहासुनी हुई जिसके बाद मुन्ना ने बंदूक निकाल ली. सुनील उसकी बंदूक छीन कर उसी पर हमला कर दिया. पुलिस ने हत्या में इस्तेमाल बंदूक को जेल के सेप्टिक टैंक से बरामद किया.


पत्नी ने की सीबीआई जांच की मांग
मुन्ना बजरंगी की पत्नी ने एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए सीबीआई जांच की मांग की है. सीमा सिंह ने कहा कि न्यायिक जांच की जो बात यूपी सरकार ने की है उससे वो बिलकुल संतुष्ट नहीं हैं और इस मामले की सीबीआई जांच कराई जाए क्योंकि ये मामला पूर्व सांसद धनंजय सिंह, प्रदीप कुमार सिंह उनके पिता जयंत सिंह से जुड़ा हुआ है.


बता दें कि कुछ दिन पहले ही सीमा सिंह ने मुन्ना बजरंगी की जान को खतरा बताया था. उन्होंने कहा था, ''मेरे पति की जान को खतरा है. यूपी एसटीएफ और पुलिस उनका एनकाउंटर करने की फिराक में हैं. झांसी जेल में मुन्ना बजरंगी के ऊपर जानलेवा हमला किया गया. कुछ प्रभावशाली नेता और अधिकारी मुन्ना की हत्या करने का षड्यंत्र रच रहे हैं." बता दें कि बागपत से पहले मुन्ना झांसी जेल में बंद था.


ऐसा कुशासन का दौर पहले कभी नहीं देखा- अखिलेश यादव
जेल में मुन्ना बजपंगी की हत्या के बाद उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था अखिलेश यादव ने ट्वीट करते हुए लिखा, ''आज यूपी में न तो क़ानून बचा है न व्यवस्था. हर तरफ़ दहशत का वातावरण है. अपराधियों के हौसले इतने बुलंद हो गए हैं कि वो जेल तक में हत्याएं कर रहे हैं. ये सरकार की विफलता है. प्रदेश की जनता इस भय के माहौल में बहुत डरी-सहमी है. प्रदेश ने ऐसा कुशासन व अराजकता का दौर पहले कभी नहीं देखा.''


15 साल की उम्र में रखा अपराध की दुनिया में कदम
15 साल की उम्र में ही मुन्ना बजरंगी ने अपराध की दुनिया में कदम रख दिए थे. 1982 में उसके खिलाफ जौनपुर के सुरेरी थाने में पहला मुकदमा दर्ज हुआ था. इस मुकदमे से बेपरवाह बजरंगी ने 10 दिन बाद ही लूट की एक घटना को अंजाम दिया था. मुन्ना बजरंगी का जन्म 1967 में उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के पूरेदयाल गांव में हुआ था. वो गांव का टपोरी था जो अपराध की राह पर चल कर माफिया डॉन बन गया. 1998 में एसटीएफ के साथ उसकी मुठभेड़ हुई लेकिन वो बच गया. इस चूक का अफसोस एसटीएफ को हमेशा रहा. 1984 में उसके खिलाफ हत्या और लूट का मामला दर्ज हुआ. वो 8वीं तक भी नहीं पढ़ा था लेकिन जब उसकी हिस्ट्रीशीट खुली तो वो पहले नंबर पर था. 1993 में उसने ब्लॉक प्रमुख रामचंद्र सिंह की हत्या कर दी.


खुद को कानून से ऊपर समझने लगा मुन्ना
1995 में वाराणसी के कैंट इलाके में उसने दो लोगों का कत्ल कर दिया. अब वो कोई छोटा मोटा गुंडा नहीं रह गया था, वो गैंगस्टर बन गया था. 24 जनवरी 1995 में उसने ब्लॉक प्रमुख कैलाश दुबे की हत्या कर दी. वाराणसी के मडुआडीह, रामपुर थाने और जौनपुर के लाइनबाजार थाने में उसके खिलाफ हत्या और लूट के मामले दर्ज हैं. वाराणसी के लंका इलाके में उसने एक साथ 4 कत्ल कर दिए. इनमें एसपी की पूर्व उम्मीदवार सुनील राय भी शामिल थे. इसके बाद वो खुद को कानून से ऊपर समझने लगा. उसके संपर्क में दिल्ली और मुंबई के अपराधी भी थे. पुलिस की फाइलों में वो इंटरस्टेट गैंगस्टर बन गया था. कई राज्यों की पुलिस उसकी तलाश में थी लेकिन मुन्ना उनके हाथ नहीं लग पा रहा था.


एसटीएफ से मुठभेड़ में बचा, भागकर अस्पताल पहुंचा
पुलिस को पता था कि उसके पास एके47 और एके56 जैसे हथियार हैं. 11 सितंबर 1998 को एसटीएफ के साथ उसकी मुठभेड़ भी हुई, उसे गोलियां भी लगीं लेकिन वो भाग कर अस्पताल पहुंच गया. इसके बाद हुई जेल जहां से वो 2001 में निकला. उसकी दहशत बहुत थी लिहाजा वो रंगदारी वसूलने लगा. 2002 में उसने फिर से वाराणसी में दो लोगों का कत्ल कर दिया. इसके बाद चेतगंज में भी उसने एक कत्ल किया. 2002 में दारोगा अभय सिंह की हत्या में भी मुन्ना का नाम आया.


बीजेपी MLA कृष्णानंद राय की हत्या की
माना जाता है कि 90 के दशक में वो मुख्तार अंसारी गैंग में भी रहा. सरकारी ठेकों के लिए होने वाली जंग में नेता मुन्ना जैसे शोहदों का इस्तेमाल करते थे. बीजेपी के विधायक कृष्णानंद राय से मुन्ना को चुनौती मिलने लगी थी. मुख्तार के दुश्मन ब्रजेश सिंह का हाथ राय पर था. इसके बाद 29 नवंबर 2005 में मुन्ना बजरंगी ने कृष्णानंद राय का कत्ल कर दिया. लखनऊ हाइवे पर जा रहे कृष्णानंद राय की गाड़ी पर एके 47 से 400 गोलियां मारी गई थीं. इस हमले में विधायक के साथ 6 अन्य लोग भी मारे गए थे.


एंकाउंटर के डर से खुद को गिरफ्तार करवाया
इस वारदात के बाद वह मुंबई में अधिक वक्त गुजारने लगा था. वो अब खुद सत्ता में आना चाहता था जिसके कारण उन नेताओं से भी उसके रिश्ते खराब होने लगे थे जिनके आशीर्वाद की वजह से वो माफिया बना था. 29 अक्तूबर 2009 में मुंबई के मलाड इलाके से उसे गिरफ्तार किया गया था. कहा तो ये भी जाता है कि उसे अपने एनकाउंटर का डर था और इसी वजह से उसने खुद को गिरफ्तार कराया था. इसके बाद से ही मुन्ना अलग-अलग जेलों में रहा था.