गोरखपुरः यूपी के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ भगवान हनुमान को दलित कहने पर हुए विवाद पर गोरखपुर में चुप्‍पी साधे रहे. उनके बयान के बाद राज्‍यपाल राम नाइक ने भी नसीहत दी थी और एक बीजेपी विधायक ने भी असहमति जाहिर की थी. दीनदयाल उपाध्‍याय गोरखपुर विश्‍वविद्यालय के क्रीड़ा संकुल में गुरु श्री गोरक्षनाथ शोधपीठ का शिलान्‍यास और योग संगम का आयोजन शुक्रवार को किया गया. मुख्‍य अतिथि के रूप में मौजूद मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने शोधपीठ का शिलान्‍यास किया.


इस अवसर पर राष्‍ट्रीय सेवा योजना के स्‍वयंसेवकों को संबोधित करते हुए उन्‍होंने कहा कि आज हम सबके लिए ये सुखद अनुभूति का क्षण है. गोरखपुर विश्विद्यालय और उत्तर प्रदेश के संस्कृति विभाग की ओर से इस पीठ का शिलान्यास हो रहा है. भारत ने आध्यात्मिक क्षेत्र में विशेष योगदान दिया है. ये भारत के संतों और योगियों का प्रसाद है. चार वर्षों में भारत ही नहीं पूरे विश्व में योग को मान्यता दी. 21 जून को योग दिवस पर 192 देश झूमते हुए दिखाई देते हैं. यूएन ने भी इस दिन को योग दिवस के रूप में मान्‍यता दे दी है. योग को प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने पूरे विश्‍व में पहचान दिलाई है. इससे भारत का मस्‍तक गर्व से ऊंचा हो गया है.


उन्होंने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय महत्वपूर्ण राज्य विश्विद्यालय है. इस विश्विद्यालय ने चार विश्विद्यालय और विभूतियों को दिया है. लेकिन, हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि इसकी गुणवत्ता को कैसे विश्व स्तरीय बनाए रखें. पिछले 60 वर्षों में इस विश्‍वविद्यालय ने कई विभूतियों को दिया है. योग में भारत की आध्यात्मिक परंपरा मूल में थी. महायोगी गुरु गोरखनाथ ने कहा था कि हमारे शरीर में ही ये क्षमता है कि सम्पूर्ण ब्रह्मांड की चेतना खुद के भीतर महसूस कर सकता है. हम सभी को इस बात को ध्यान रखना होगा कि योग की सभी विधाओं में सबसे महत्वपूर्ण आसन होता है. अपने अंदर ये क्षमता होनी चाहिए कि वो एक जगह धैर्य से बैठ सके. परीक्षा में भी इस तरह से धैर्य के साथ बैठ कर विचार करना चाहिए.


उन्होंने कहा कि गुरु गोरक्षनाथ शोधपीठ भी इसी प्रकार कार्य कर गुरु गोरक्षनाथ और आध्यात्मिक रहस्यों को भी दुनिया के सामने रखेगा. देश के कई राज्यों में चुनाव प्रचार में जाने का अवसर मिला. महायोगी गुरु गोरखनाथ के अनुयायी अलग-अलग राज्‍यों में गांव-गांव में इस परंपरा का निर्वहन करते हैं. राजवंश से झोपड़ी तक में उनका प्रभाव रहा है.


कार्यक्रम सम्‍पन्‍न होने के बाद उन्‍होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि शोधपीठ की स्‍थापना उप्र का संस्‍कृति विभाग और दीनदयाल उपाध्‍याय गोरखपुर विश्‍वविद्यालय दोनों ने मिलकर किया है. इसमें नाथ पंथ के सिद्ध योगियों और संतों की परम्‍परा के बारे में शोध, साहित्‍य में शोध और हर भाषा में साहित्‍य पर शोध का अवसर उपलब्‍ध होगा. योग के बारे में भ्रांतियां और अन्‍य बातें जो सामने आती हैं, उस पर किसी ठोस निष्‍कर्ष पर पहुंचकर वास्‍तविक और सही तथ्‍यों से आम जनमानस और देश-दुनिया को अवगत कराया जाएगा.


भवन निर्माण के लिए 14 करोड़ रुपए उत्‍तर प्रदेश सरकार दे रही है. शेष विश्‍वविद्यालय लगाकर इसे आगे संचालित करेगा. महायोगी गुरु गोरक्षनाथ और नाथ परम्‍परा के बारे में यहां पर जानकारी मिल पाएगी. नाथपंथ पर विश्‍वकोष उपलब्‍ध होगा. देश के अनेक राज्‍यों समेत नेपाल, तिब्‍बत, आज का पाकिस्‍तान, अफगानिस्‍तान समेत अनेक देशों में नाथ पंथ से जुड़े पीठ और लोग हैं. उन्‍हें इस पीठ से शोध करने का अवसर और विश्‍वकोष से काफी जानकारी हासिल हो सकेगी. हालांकि हनुमान जी को दलित कहने पर छिड़े विवाद पर उन्‍होंने चुप्‍पी साधी रही और उनके कदम आगे बढ़ गए.