गोंडा: योग का महत्व आज पूरी दुनिया जानती है लेकिन योग के प्रणेता महर्षि पतंजलि की जन्मस्थली आज भी पहचान की मोहताज है. कोडर गांव को महर्षि पतंजलि की जन्मस्थली माना जाता है लेकिन यह जगह उपेक्षा की शिकार है और विकास की बाट जोह रही है.


जनपद मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर कोडर गांव को विश्व के मानचित्र पर होना चाहिए था मगर आज भी यह पहचान के लिए संघर्ष कर रहा है. माना जाता है कि गोंडा का यह क्षेत्र दरअसल भगवान श्रीराम की गायों के चरने के कारण अस्तित्व में आया था.


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जनपद के वजीरगंज क्षेत्र का कोडर गांव लगभग 5000 साल पहले महर्षि पतंजलि के कारण जाना गया. महर्षि पतंजलि अयोध्या से सटे इसी गांव में मां गोंडिका के गर्भ से उत्पन्न हुए थे. यहीं पर रहकर उन्होंने लोगों को योग की शिक्षा दी थी.


यहां एक झील भी है जिसे कोडर झील कहा जाता है. पतंजलि की जन्मभूमि को पहचान दिलाने के लिए स्वामी भगवदाचार्य तमाम प्रयास कर रहे हैं और संयुक्त राष्ट्र संघ से लेकर, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और तमाम जिम्मेदार लोगों को पत्र लिख रहे हैं. हालांकि अभी उन्हें सफलता नहीं मिली है.


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स्वामी भगवताचार्य ने पीएम योगी और सीएम योगी आदित्यनाथ से भी कोडर के विकास की गुहार लगाई और योग दिवस पर आमंत्रित भी किया.