लखनऊ: उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन को लेकर चल रहे ‘गतिरोध’ के बीच बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने आज कांग्रेस को सलाह दी कि वह एसपी के साथ मिलने की बजाय अकेले दम पर या छोटे धर्म निरपेक्ष दलों के साथ गठजोड कर चुनाव लडे.



छोटी-छोटी धर्म निरपेक्ष पार्टियों के साथ गठबंधन


मायावती ने कहा, ‘‘कांग्रेस के लोगों से प्रदेश में उनकी पार्टी के हित में कहना चाहूंगी कि यदि वास्तव में वे खुद को धर्म निरपेक्ष मानकर चलते हैं तो...एसपी से गठबंधन कर ये चुनाव ना लडें बल्कि अपनी पार्टी का भविष्य ध्यान में रखकर या तो अकेले लड़ें या फिर उन्हें छोटी-छोटी धर्म निरपेक्ष पार्टियों के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ना चाहिए.’’


उन्होंने कहा कि जंगलराज वाली, अराजक, आपराधिक एवं सांप्रदायिक तत्वों को संरक्षण देने वाली और बीजेपी से मिलीभगत करने वाली एसपी जैसी पार्टी के साथ मिलकर कांग्रेस को चुनाव नहीं लडना चाहिए. साथ ही दावा किया कि गठबंधन की बात होने के बाद से ही कांग्रेस के कई नेता बीएसपी में आ चुके हैं.


मायावती ने कहा कि एसपी से गठबंधन की तैयारी करके मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के रूप में एक अन्य दागी चेहरे के सामने कांग्रेस ने पूरी तरह घुटने टेक दिये हैं. ‘‘अब ये सवाल उठने लगा है कि कांग्रेस उत्तर प्रदेश की धर्मनिरपेक्ष जनता को क्या जवाब देगी ? क्या यह कि उसने एसपी से गठबंधन कर उस दागी चेहरे (अखिलेश) को अपना नेता मान लिया है.


आसानी से नहीं मिल रहे चुनाव में खड़े करने के लिए प्रत्याशी


मायावती ने कहा कि चुनाव के समय कांग्रेस का भी असली घोर स्वार्थी चेहरा बेनकाब होकर जनता के सामने आ गया है. कांग्रेस ने एसपी सरकार के इस दागी चेहरे (अखिलेश) के आगे नतमस्तक होकर उनके साथ गठबंधन करना स्वीकार किया. गठबंधन नहीं हुआ, वो एक अलग चीज है. उन्होंने कहा कि ऐसा करके कांग्रेस के सर्वोच्च नेतृत्व ने प्रमाणित कर दिया है कि उत्तर प्रदेश में ये पार्टी पूरी तरह आक्सीजन पर ही है. वैसे भी ये हकीकत है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की इस समय हालत इतनी ज्यादा खराब हो चुकी है कि अब उसके राष्ट्रीय नेताओं को अपनी रथयात्रा और खाट सभा जैसे कार्यक्रम करने के बावजूद विधानसभा चुनाव में खड़े करने के लिए प्रत्याशी आसानी से नहीं मिल रहे हैं.



बीएसपी सुप्रीमो ने कहा कि उत्तर प्रदेश की वर्तमान एसपी सरकार अपनी गलत नीतियों और कार्यकलापों तथा बीजेपी से अंदरूनी मिलीभगत की वजह से ‘डूबती हुई नैया’ है. जनता का इतना मोहभंग हो गया है कि अब एसपी का सत्ता में वापस लौटना असंभव प्रतीत होता है. अराजकता, अपराध, भ्रष्टाचार, सांप्रदायिकता और जंगलराज के साथ साथ बीजेपी से मिलीभगत के कारण एसपी का दोहरा चरित्र सामने आता है.


22 करोड़ जनता में व्यापक नाराजगी व आक्रोश


उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में एसपी सरकार के पांच साल और केन्द्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार के ढाई वर्ष के कार्यकाल में दोनों ही सरकारों ने गरीब, दलित, पिछडे, अल्पसंख्यक और किसान विरोधी गलत नीतियां और कार्यकलाप अपनाये. इससे प्रदेश की लगभग 22 करोड़ जनता में व्यापक नाराजगी व आक्रोश है. ये किसी से छिपा नहीं है. प्रदेश में मुजफ्फरनगर सहित अब तक लगभग 500 छोटे बडे दंगे हुए. दादरी की घटना हुई. मथुरा के जवाहरबाग कांड में तो पुलिस अधिकारी की जान चली गयी.


मायावती ने कहा कि कुल मिलाकर एसपी सरकार के कार्यकाल में हर ओर असुरक्षा और आशंका का माहौल हावी रहा. इस पर परदा डालने के लिए ही मुलायम सिंह यादव पुत्र मोह के कारण पिछले कुछ महीने से किस्म किस्म की ‘नाटकबाजी’ करते रहे हैं, ताकि पुत्र की विफलताओं से लोगों का ध्यान बांटा जा सके. उन्होंने आरोप लगाया कि समाजवादी पार्टी बीजेपी के साथ मिलीभगत कर सरकार चला रही है. इसी कारण 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों में लिप्त बीजेपी नेताओं को बचाने की कोशिश की गयी. सारे आरोपी आज फिर से चुनाव मैदान में उतर गये जबकि वास्तव में उन्हें जेल की सलाखों के पीछे होना चाहिए था लेकिन प्रदेश सरकार ने ऐसा नहीं किया.



चुनाव में टिकटों के बंटवारे को लेकर बीजेपी में भी परिवारवाद


मायावती ने दावा किया कि इस बार उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में टिकटों के बंटवारे को लेकर बीजेपी में भी परिवारवाद और भाई भतीजावाद आगे-आगे चल रहा है. एसपी की तरह बीजेपी भी अंतर्कलह की शिकार होती नजर आ रही है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में विधानसभा चुनाव में ऐसा लगता है कि बीजेपी की अपनी गलत नीतियों और कार्यकलापों के कारण उसके ‘साम, दाम, दंड, भेद’ आदि सभी हथकंडे कुछ काम नहीं आ पा रहे हैं. पूरी संभावना है कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी को विधानसभा चुनाव में वही भुगतना होगा जो उसे बिहार और अन्य राज्यों में भुगतना पड़ा था.


मायावती ने अल्पसंख्यकों विशेषकर मुसलमानों से अपील की कि वे अपना वोट एसपी को देकर बेकार ना करें क्योंकि वह बेकार चला जाएगा और उसका सीधा फायदा बीजेपी को मिलेगा. ‘‘अल्पसंख्यक समाज के लोग जो भी वोट एसपी उम्मीदवार को देते हैं तो उनका वोट पूरी तरह बेकार चला जाएगा और उसका सीधा फायदा बीजेपी को पहुंच सकता है.’’


अहंकारी और तानाशाही रवैये पर लगाम लगाने के लिए जरूरी


बीएसपी सुप्रीमो ने कहा, ‘‘इसलिए इस नुकसान से बचने और बीजेपी को मजबूत होने से रोकने के लिए अब प्रदेश के अल्पसंख्यक लोगों को अपना एकतरफा वोट एसपी को नहीं, बल्कि एकमात्र हितैषी और उनके हित सुरक्षित रखने वाली बीएसपी को देना चाहिए जिसका अपना आधार वोट पूरी तरह मजबूत है और जो बीजेपी को हराने के लिए पूरी तरह सक्रिय है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी केन्द्र की सरकार के वर्तमान में चल रहे अहंकारी और तानाशाही रवैये पर लगाम लगाने के लिए जरूरी है कि प्रदेश में खासकर अल्पसंख्यक समाज के लोग एकतरफा वोट एकमात्र हितैषी बीएसपी को दें. मोदी ने लोकसभा चुनाव के दौरान किये गये वायदों में से एक चौथाई भी पूरे नहीं किये.’’


नोटबंदी पर मायावती ने कहा कि यह पीड़ादायी फैसला है. इस मामले में बीजेपी के बड़े-बड़े नेता भले ही मोदी सरकार की तारीफों के पुल बांध रहे हों लेकिन इस घातक फैसले ने बीजेपी कार्यकर्ताओं को कहीं का नहीं छोड़ा है. वे पीड़ित और परेशान चल रहे उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश के 90 प्रतिशत मजदूर, गरीब, छोटे व्यापारी, कर्मचारी और मेहनतकश लोगों की नाराजगी का सामना नहीं कर पा रहे हैं.


उन्होंने कहा, ‘‘इतना ही नहीं हाल ही में पेट्रोल, डीजल और अन्य जरूरी वस्तुओं की कीमत में बढ़ोतरी से आम जनता का जीवन और अधिक कष्टदायक बना दिया है.’’ मायावती ने प्रदेश की जनता से बीएसपी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने की अपील करते हुए कहा, ‘‘बीएसपी की सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय के साथ-साथ कानून का राज कायम करने वाली सरकार बनायें ताकि प्रदेश में अन्याय, अत्याचार, शोषण और जंगलराज का खत्मा हो और सबको न्याय मिल सके तथा यहां की जनता का जीवन खुशहाल बन सके.’’



आरक्षण खत्म करने की ‘बंदर घुड़की’ देना बंद करें BJP और RSS: मायावती


दलित वोट बैंक के सहारे चुनावी संभावनाएं तलाशने वाली और आरक्षण की पुरजोर वकालत करने वाली बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने आज बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर आरोप लगाया कि वे दलितों, आदिवासियों और अन्य पिछड़े वर्ग के लोगों का आरक्षण खत्म करना चाहते हैं.


मायावती ने संघ और बीजेपी को चेताया और कहा, ‘‘बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लोगों को इन वर्गों के आरक्षण को खत्म करने की बार-बार बंदर घुड़की देने की बात बंद करनी चाहिए.’’


उन्होंने कहा, ‘‘देश को विशेषकर दलितों, आदिवासियों और अन्य पिछड़े वर्ग के लोगों के मसीहा बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर के प्रति ‘मुंह में राम बगल में छुरी’ की तरह बर्ताव करने वाले बीजेपी और उनके नीति निर्धारक आरएसएस तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इन वर्गों के मामले में जातिवादी मानसिकता का पर्दाफाश करते हुए कहना चाहती हूं कि इन वर्गों के लोगों को अंबेडकर के अथक प्रयासों से संविधान में आरक्षण और जो अन्य कानूनी अधिकार मिले, वो उनका संवैधानिक अधिकार है.’’


मायावती ने कहा कि इस अधिकार को कोई सरकार खासकर बीजेपी और उसकी कंपनी के लोग तथा आरएसएस के लोग भी नहीं छीन सकते. अगर आरक्षण खत्म करने के लिए मोदी सरकार कानून बनाती है तो इन वर्गों के लोग उसे हमेशा के लिए राजनीति करना भुला देंगे. आपको बता दें कि कि जयपुर साहित्योत्सव में संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य ने कल आरक्षण व्यवस्था की फिर से समीक्षा की वकालत की है. उन्होंने कहा था कि अगर आरक्षण व्यवस्था जारी रही तो इससे अलगाववाद को बल मिलेगा.


आरक्षण खत्म करने की ‘‘बेहूदी’’ और असंवैधानिक बातें


बीएसपी सुप्रीमो ने उत्तर प्रदेश की जनता से अनुरोध किया कि आदिवासियों और अन्य पिछड़े वर्ग के लोगों से उनके आरक्षण को आये दिन खत्म करने की बात करने वाले खासकर बीजेपी और संघ को वर्तमान में उत्तर प्रदेश सहित देश के पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव में उनके ज्यादा से ज्यादा प्रत्याशी हराकर उन्हें सजा अवश्य दें. बिहार की तरह ही उत्तर प्रदेश के चुनाव में भी उन्हें सबक दें ताकि इस पार्टी (बीजेपी) और संघ के लोग आरक्षण खत्म करने की ‘‘बेहूदी’’ और असंवैधानिक बातें ना कर सकें.


मायावती ने कहा, ‘‘इन वर्ग के लोगों से ये भी कहना चाहती हूं कि यदि किसी कारणवश उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार बन जाती है तो फिर उनका मनोबल इतना बढ़ जाएगा कि केन्द्र में इनकी पार्टी की सरकार बिना कोई देरी किये यहां दलितों, आदिवासियों और अन्य पिछड़े वर्ग के लोगों का आरक्षण अवश्य खत्म कर देगी या निष्प्रभावी बना देगी.’’ उन्होंने कहा कि इसे बचाने के लिए अब इस चुनाव में एकजुट होकर अपना वोट केवल बीएसपी को देना है जो इन वर्ग के आरक्षण को बचाने के लिए संघषर्शील रहती है.