लखनऊ: प्रियंका गांधी इन दिनों यूपी के पूर्वांचल के दौरे पर हैं. प्रयागराज में संगम पर पूजा के बाद वे वाराणसी में विश्वनाथ महादेव का दर्शन करेंगी. बोट यात्रा के बहाने प्रियंका चुनाव में वोट की जुगाड़ में हैं. लेकिन लखनऊ में कांग्रेस ऑफ़िस में जो हुआ, उसे भुला नहीं पा रही है. आप सोच रहे होंगे ऐसा क्या हो गया?
ये बात प्रियंका गांधी के यूपी के इस दौरे के पहले दिन की है. लखनऊ में उन्होंने कांग्रेस नेताओं की अलग-अलग बैठक बुलाई थी. पिछला विधानसभा चुनाव लड़ चुके सभी नेताओं को मीटिंग के लिए लखनऊ बुलाया गया था. एक बैठक पार्टी के मीडिया विभाग की थी.
दोपहर बाद तय समय पक कांग्रेस के मीडिया सेल का काम देख रहे सभी लोग पहुँच चुके थे. प्रियंका गांधी से मिलने को लेकर सब बड़े उत्साहित थे. फ़ोटो खिंचवाने से लेकर प्रियंका से मन की बात करने को लेकर सबने तैयारी कर रखी थी.
एसपीजी के सुरक्षा कर्मियों ने सभी नेताओं को एक हॉल में बैठा दिया. कुछ फूलमाला लेकर पहुँचे थे तो कई फूलों का गुलदस्ता लेकर. आधा घंटा, एक घंटा फिर दो घंटा. इंतज़ार लंबा होने लगा. कांग्रेस के मीडिया सेल के लोगों का मन उकताने लगा. लेकिन कमरे से कोई बाहर नहीं जा सकता था. सुरक्षा कर्मियों ने सबको हॉल में रोक रखा था.
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प्रियंका का इंतज़ार करते करते ढाई घंटे बीत चुके थे. सब हैरान परेशान थे. प्रियंका से मुलाक़ात होगी या फिर बिना मिले ही लौटना पड़ेगा. ऐसे ही सवालों से सब जूझ रहे थे. तभी आवाज़ आई," आप सब लोग बाहर निकल कर लाईन में खड़े हो जायें."
लखनऊ में नेहरू भवन की पहली मंज़िल पर प्रियंका गांधी का ऑफ़िस बना हुआ है. इसके बाहर ही मीडिया विभाग के लोग दोनों तरफ़ लाइन लगा कर खड़े हो गए. मीडिया सेल के चेयरमैन, प्रवक्ता, पैनलिस्ट से लेकर रिसर्च से जुड़े लोग.
प्रियंका के ऑफ़िस से लेकर कोषाध्यक्ष के कमरे तक क़रीब दो सौ नेता लाईन में लगे रहे. थोड़ी ही देर बाद प्रियंका गांधी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर के साथ बाहर निकलीं. वे एक एक कर सबको अभिवादन लेते हुए आगे बढ़ने लगी. लेकिन नेताओं की लाईन ख़त्म ही नहीं हो रही थी.
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थोड़ी देर बाद अचानक से वे राज बब्बर की तरफ़ मुड़ीं और बोली “ये सब प्रवक्ता हैं क्या”. राज बब्बर ने कहा कि ये इक्स्टेंडेड टीम है. चुनाव के लिए राजीव शुक्ल ने कुछ लोगों को मीडिया सेल से जोड़ लिया है. ये सुन कर प्रियंका के चेहरे का रंग बदल गया.
उन्होंने सबको एक साथ प्रणाम किया और फिर अपने कमरे की तरफ़ लौट गईं. टीवी न्यूज़ चैनलों और न्यूज़पेपरों में कांग्रेस का पक्ष रखने वाले नेताओं को अपनी बात कहने का मौक़ा नहीं मिला. प्रियंका के साथ मीटिंग करने की बात सोच कर सब पार्टी ऑफ़िस आए थे. लेकिन सारे सपने धरे के धरे रह गए.