पटना: बिहार कांग्रेस के प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने आज कहा कि एससी/एसटी एक्ट (अत्याचार रोकथाम) के कमजोर होने की वजह से अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के कई सहयोगी दल एनडीए छोड़ विपक्षी खेमे में शामिल होने को मजबूर हो सकते हैं. गोहिल ने कहा कि ऐसा बिहार में होने की अधिक संभावना है. यहां एनडीए के घटक दलों के समर्थन का आधार ही एससी/एसटी और ओबीसी श्रेणियों से ताल्लुक रखने वाले लोग हैं. बिहार में बीजेपी के सहयोगियों में जेडीयू, एलजेपी और आरएलएसपी शामिल है.


गोहिल ने कहा , ‘‘पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने बिहार दौरे के बाद एससी / एसटी के समुदाय के लोगों को विभिन्न अत्याचारों से संरक्षण देने के लिए यह कानून बनाने का फैसला किया था. अब कानून प्रभावहीन हो गया है. इसने इन जातियों से संबंध रखने वाले लोगों को काफी नाराज किया है जो अपनी स्थिति को कमजोर किये जाने के लिए काफी हद तक बीजेपी को जिम्मेदार मानते हैं.’’


कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा , ‘‘ यह कहना सही नहीं है कि एनडीए के किसी घटक ने इस इच्छा से हमसे संपर्क किया है कि वह बीजेपी नीत गठबंधन को छोड़ना चाहता है, लेकिन आगामी दिनों में ऐसे होने के संकेत हैं. काफी कुछ अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले होगा.’’


गोहिल ने इन अटकलों को भी खारिज किया कि महागठबंधन सीट बंटवारे के मुद्दे का सौहार्दपूर्ण हल निकालने को लेकर भी परेशानी का सामना कर रहा है. उन्होंने कहा , ‘‘ आरजेडी और हम पार्टी के साथ हमारा गठजोड़ वैचारिक है. आगामी चुनावों में यह गठबंधन कामयाबी हासिल करेगा और सीट बंटवारे जैसे मुद्दों को समय पर मैत्रीपूर्ण तरीके से हल कर लिया जाएगा.’’


कांग्रेस नेता ने कहा कि फिलहाल पार्टी राज्य के सभी लोकसभा क्षेत्रों में सर्वेक्षण करा रही है और समाज के सभी तबकों से राय ले रही है. गोहिल ने कहा कि इससे उन सीटों की पहचान करने में मदद मिलेगी जहां कांग्रेस अपने सहयोगियों के समर्थन से बेहतर कर सकती है और जहां आरजेडी या हम के पास कांग्रेस के समर्थन से बेहतर प्रदर्शन करने का मौका है.


हाल में कांग्रेस के कुछ विधायकों की तरफ से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तारीफ करने और महागठबंधन में उनकी वापसी की पैरवी करने वाली टिप्पणी पर गोहिल ने कहा कि बीजेपी के उलट कांग्रेस एक लोकतांत्रिक पार्टी है. यहां हर सदस्य को अपनी निजी राय व्यक्त करने की इजाजत है.