लखनऊ: सपा-बसपा गठजोड़ के एलान के बाद कांग्रेस नेता और उत्तर प्रदेश के प्रभारी गुलाम नबी आजाद तथा अन्य वरिष्ठ नेता अपनी पार्टी की रणनीति पर विचार विमर्श के लिए रविवार यहां पहुंच रहे हैं. प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता अंशू अवस्थी ने बताया कि आजाद, प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर ओर अन्य वरिष्ठ नेता कल राजधानी में होंगे और बैठक कर रणनीति तय करेंगे.


अंशू अवस्थी ने बताया कि राष्ट्रीय समिति के उत्तर प्रदेश के सभी नेता और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सभी सचिव रविवार को एकत्र होंगे. सपा-बसपा गठबंधन पर आजाद ने कहा कि वह लखनऊ में राज्य के नेताओं से बैठक के बाद इस पर प्रतिक्रिया देंगे.


सपा बासपा में गठबंधन का हुआ एलान


बता दें कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के बीच गठबंधन और सीटों का एलान हो चुका है. आधिकारिक एलान खुद बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने अखिलेश यादव की मौजूदगी में किया. उन्होंने कहा कि सूबे की 80 सीटों में से समाजवादी पार्टी 38 और बीएसपी 38 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. इस गठबंधन ने कांग्रेस को भले ही जगह नहीं दी हो लेकिन अमेठी और रायबरली की दो सीटें उसके लिए जरूर छोड़ी है. अमेठी से राहुल गांधी और रायबरेली से सोनिया गांधी सांसद हैं. एसपी-बीएसपी गठबंधन ने अन्य छोटे दलों के लिए दो सीटें छोड़ी है. छोटे दलों में पीस पार्टी, निषाद पार्टी या आरएलडी हो सकती है.


गठबंधन के एलान के लिए अखिलेश और मायावती ने लखनऊ के होटल ताज में प्रेस कांफ्रेंस किया. मायावती ने प्रेस कांफ्रेंस की शुरुआत करते हुए कहा कि इस संयुक्त संवाददाता सम्मेलन से ‘गुरु-चेले’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की नींद उड़ जाएगी.


कांग्रेस को क्यों नहीं शामिल किया गया?
मायावती ने गठबंधन में कांग्रेस को शामिल नहीं किये जाने के बारे में कहा कि उनके शासन के दौरान गरीबी, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार में वृद्धि हुई. कांग्रेस ने इमरजेंसी लगाया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस और बीजेपी की कार्यशैली एक जैसी है. बोफोर्स में कांग्रेस की सरकार गई, अब राफेल में बीजेपी की जाएगी.


आपको बता दें कि गठबंधन में जगह नहीं मिलने पर कांग्रेस इसे खतरनाक गलती बता चुकी है. कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने एसपी-बीएसपी का नाम लिए बगैर कल कहा था, ''मैं नहीं समझता कि कोई भी कांग्रेस की व्यापक क्षमता, विरासत, इतिहास और पहचान की उपेक्षा कर सकता है. अगर कोई उपेक्षा करने की भूल करता है तो मुझे लगता है कि बहुत बड़ा राजनीतिक खतरा मोल ले रहा है. हमारी उपेक्षा करना खतरनाक भूल होगी.''