इलाहाबाद: ईसाइयत का हवाला देकर यूनिवर्सिटी के कॉलेज में भगत सिंह की मूर्ति लगाने पर पाबंदी
इलाहाबाद: देश की आजादी की खातिर फांसी के फंदे पर झूलने वाले शहीद-ए-आजम भगत सिंह की मूर्ति लगाए जाने को लेकर इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी से जुड़े एक कॉलेज में इन दिनों कोहराम मचा हुआ है. कॉलेज के छात्र कैम्पस में शहीद भगत सिंह की मूर्ति लगाना चाहते हैं, लेकिन क्रिश्चियन कम्युनिटी द्वारा संचालित कॉलेज के लोग ईसाई धर्म का हवाला देकर मूर्ति लगाने की परमीशन देने से इंकार कर रहे हैं.
'ईसाई धर्म में मूर्ति लगाने पर पाबंदी'
कॉलेज प्रशासन का साफ कहना है कि ईसाई धर्म में मूर्ति लगाने पर पाबंदी है, इसलिए वह कैम्पस में भगत सिंह की मूर्ति नहीं लगने देंगे. छात्रों द्वारा इस मुद्दे पर हंगामा किये जाने के बाद यहां के सालाना इम्तहान स्थगित कर कॉलेज को चौबीस मार्च तक के लिए बंद कर दिया गया है और वहां पुलिस का पहरा लगा दिया गया है. मायूस छात्रों ने अब इस मामले में यूपी के सीएम आदित्यनाथ योगी से दखल देने की अपील की है.
जिस भगत सिंह ने देश की आजादी की खातिर हँसते हुए फांसी के फंदे पर झूलकर अपनी जान दे दी थी, उसी भगत सिंह की मूर्ति को लेकर पूरब का आक्सफोर्ड कही जाने वाली इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी से संबद्ध ईविंग क्रिश्चियन कॉलेज में कोहराम मचा हुआ है. छात्रों और कॉलेज प्रशासन के आमने- सामने होने से यहां महाभारत छिड़ी हुई है. हंगामा बढ़ने के बाद यहाँ के सालाना इम्तहान अगली सूचना तक टाल दिए गए हैं और कॉलेज को चौबीस मार्च तक के लिए बंद कर दिया गया है. कॉलेज के मेन गेट पर ताला जड़कर वहां पुलिस का पहरा बिठा दिया गया है. मेन गेट के पास ही शहीदे आजम की तस्वीर ज़मीन पर रखी हुई है.
कॉलेज कैम्पस में पहले लगी हुई थी शहीदे आजम भगत की मूर्ति
दरअसल ईविंग क्रिश्चियन कॉलेज ऑटोनोमस है, लेकिन यह सेंट्रल यूनिवर्सिटी से जुड़ा हुआ है और यहाँ पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स को सेंट्रल यूनिवर्सिटी की ही डिग्री मिलती है. छात्रों का दावा है कि कॉलेज कैम्पस में पहले शहीदे आजम भगत की मूर्ति लगी हुई थी, लेकिन सात-आठ साल पहले रेनोवेशन के नाम पर उसे हटा दिया गया और फिर दोबारा मूर्ति नहीं लगाई गई. आरोप है कि हर बार बहानेबाजी कर मामले को टाल दिया जाता था. दर्जनों बार आश्वासन मिलने के बाद भी कॉलेज प्रशासन ने जब भगत सिंह की मूर्ति नहीं लगवाई तो छात्रों ने आपस में चंदा कर एक मूर्ति बनवाई और उसे लगवाना चाहा, लेकिन कॉलेज प्रशासन ने इसमें भी टांग अड़ा दी और मूर्ति लगाने पर पाबंदी लगा दी.
कॉलेज प्रशासन की दलील है कि यह ईसाई समुदाय के लोगों द्वारा संचालित अल्पसंख्यक संस्थान है. ईसाई धर्म में मूर्ति लगाने पर पाबंदी है, इसलिए धार्मिक आधार पर मूर्ति लगाने पर रोक लगाई गई है. कॉलेज प्रशासन एक और बेतुकी दलील दे रहा है कि अगर आज भगत सिंह की मूर्ति लगाने की परमीशन दी जाएगी तो कल को दूसरे स्वतंत्रता सेनानियों की मूर्तियों की भी मांग उठने लगेगी. कॉलेज प्रशासन धर्म का हवाला देकर छात्रों पर माहौल खराब करने का आरोप लगा रहा है. कहा यह भी जा रहा है कि सालाना इम्तहान टालकर कॉलेज बंद करने का फैसला मजबूरी में लिया गया है.
यूं ही ज़मीन पर रखी हुई है तस्वीर
इम्तहान टालकर कॉलेज बंद किये जाने के फरमान के बावजूद रोजाना सैकड़ों की तादात में छात्र कॉलेज आ रहे हैं. उन्हें अंदर दाखिल नहीं होने दिया जाता तो वह मेन गेट पर ही खड़े होकर प्रदर्शन और नारेबाजी कर अपना विरोध जताते हैं. शर्मनाक यह है कि प्रस्तावित मूर्ति स्थल पर छात्रों ने भगत सिंह की जिस तस्वीर को एक मेज पर रखा था, उसे मेज हटाकर जमीन पर रख दिया गया है. तस्वीर यूं ही ज़मीन पर रखी हुई है.
छात्रों का कहना है कि वह किसी धार्मिक स्थल पर नहीं बल्कि सेंट्रल यूनिवर्सिटी से जुड़े कॉलेज में पढ़ने आए हैं, ऐसे में धार्मिक आधार पर भगत सिंह की मूर्ति लगाने से नहीं रोका जा सकता. छात्र इसे शहीदे आजम का अपमान बता रहे हैं. छात्रों का आरोप है कि कॉलेज प्रशासन तो भगत सिंह को क्रांतिकारी मानने के बजाय आतंकवादी बताता है. छात्रों ने धमकी दी है कि अगर दो दिनों में उन्हें मूर्ति लगाए जाने की परमीशन नहीं दी जाती तो वह तेईस मार्च को भगत सिंह के शहादत दिवस पर क़ानून को अपने हाथ में लेते हुए जबरन मूर्ति लगाने का काम करेंगे और इस दौरान हालात बिगड़ने पर सारी ज़िम्मेदारी कॉलेज प्रशासन की होगी.
मूर्ति पर मची महाभारत ने खड़े कर दिए हैं कई सवाल
इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी से जुड़े कॉलेज में भगत सिंह की मूर्ति पर मची महाभारत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. सवाल यह कि क्या माइनारिटी इंस्टीट्यूशन देश और यहाँ रहने वाले लोगों की भावनाओं को नहीं मानता. क्या सिर्फ धार्मिक आधार पर भगत सिंह जैसे सेनानी की मूर्ति पर पाबंदी लगाई जा सकती है. जो कॉलेज सरकारी खर्चे पर चल रहा है, वहां धार्मिक आधार पर एक धर्म विशेष की बातें ही कैसे की जा सकती हैं.
सवाल यह भी है कि क्या सरकारी खर्च पर देश की भावनाओं को नजरअंदाज कर एक धर्म विशेष को बढ़ावा दिया जा सकता है. बहरहाल मूर्ति लगाने की ज़िद पर अड़े छात्रों की दिन में कई बार पुलिस से झड़प होती है और माहौल बेहद तनावपूर्ण हो जाता है. मायूस छात्रों ने अब यूपी के नये सीएम आदित्यनाथ योगी से इस मामले में दखल देने की अपील की है.