काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर पर विवाद, रास्ते के मंदिर तोड़े जाने से बढ़ा विवाद
मंदिरों के शहर बनारस में ही मंदिरों का वजूद खतरे में है. आरोप है कि काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर बनाने के नाम पर इलाके के कई छोटे-छोटे मंदिर ध्वस्त किए जा रहे हैं. यह सब काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं और टूरिस्ट्स को सुविधा देने के नाम पर हो रहा है.
वाराणसी: मंदिरों के शहर बनारस में ही मंदिरों का वजूद खतरे में है. आरोप है कि काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर बनाने के नाम पर इलाके के कई छोटे-छोटे मंदिर ध्वस्त किए जा रहे हैं. यह सब काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं और टूरिस्ट्स को सुविधा देने के नाम पर हो रहा है.
इस इलाके में टूरिस्ट्स के लिए सुविधा के नाम पर शौचालय भी बनाए जाने हैं. इलाके के लोगों ने आशंका जाहिर की है कि आज जहां मंदिर है, कल वहीं शौचालय बना दिया जाएगा. सरकार के इस प्रोजेक्ट का जमकर विरोध हो रहा है.
इस बीच राज्य सरकार ने इस प्रोजेक्ट के रास्ते में पड़ने वाले मकानों के अधिग्रहण के लिए एक अरब 50 करोड़ की रकम वाराणसी के डीएम के खाते में जमा कराने का शासनादेश भी जारी कर दिया है. केवल अधिग्रहण के लिए यूपी सरकार को केंद्र सरकार से तीन अरब सात करोड़ की रकम मिलनी है.
साल 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इच्छा के अनुसार काशी विश्वनाथ मंदिर का विस्तार सोमनाथ मंदिर की तर्ज पर करने की योजना को मंजूरी दी गई. इसके लिए यूपी और केंद्र सरकार ने मिलकर श्रीकाशी विश्वनाथ कॉरीडोर प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई. बीते साल इस प्रोजेक्ट के लांच होते ही मंदिर से ललिता घाट तक गंगा पाथवे बनाने का काम शुरू हुआ.
यह पाथवे लगभग 700 मीटर लम्बा कॉरिडोर होगा. इस प्रोजेक्ट पर लगभग 650 करोड़ का खर्च आना है. तर्क यह दिया गया कि इस रास्ते के चौड़े हो जाने से श्रद्धालु मंदिर में दर्शन करने के बाद आसानी से गंगा के किनारे पहुंच सकेंगे. इसके लिए रास्ते में पड़ने वाले मकानों और छोटे-छोटे मंदिरों को तोड़ने का काम शुरू हुआ. इससे इलाके के नाराज लोगों ने इस प्रोजेक्ट का विरोध करना शुरू कर दिया.
इस मामले में बीते दिनों शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के प्रतिनिधि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने एक वीडियो बयान भी जारी किया था. उन्होंने कहा कि एक तरफ मंदिर तोड़े जा रहे हैं और दूसरी तरफ धरोहर बचाने का तर्क दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि मंदिर कभी धरोहर नहीं हो सकता. इन मंदिरों में रखी भगवान की मूर्तियां प्राण-प्रतिष्ठित हैं. इनकी रोज पूजा-पाठ होती है, भगवान को भोग भी लगता है और भक्तों को आशीर्वाद मिलता है.
उन्होंने दुख जताते हुए कहा कि इस समय महा-अनर्थ हो रहा है. पुराणों में वर्णित देवताओं और मंदिरों को तोड़ा जा रहा है और तर्क दिया जा रहा है कि काशी को नया रूप दिया जा रहा है. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का कहना है कि कॉरिडोर के नाम पर कई पौराणिक मंदिर तोड़ दिए गए हैं. उनमें ऐसे मंदिर भी शामिल थे, जो काशी की मशहूर पंचकोशी यात्रा क्षेत्र में आते थे. यही नहीं इन मंदिरों का जिक्र स्कंद महापुराण के एक खंड काशी खंड में भी है. उन्होंने इन मंदिरों को तोड़े जाने को बेहद निंदनीय कार्य बताया.
इस मामले में काशी पहुंचे यूपी सरकार के नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना का कुछ और ही कहना है. उन्होंने कहा कि काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर का विकास हो रहा है. उनके मुताबिक़ यह काम धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचा कर नहीं किया जाएगा. उन्होंने दावा किया कि मुताबिक प्रोजेक्ट में इस बात का विशेष ध्यान रखा जा रहा है ताकि सभी लोग संतुष्ट रहें. उन्होंने जोर देकर कहा कि यह धर्म और आस्था से जुड़ा मामला है और शासन-प्रशासन बहुत ही समझदारी से काम कर रहा है.
वहीं श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी और वाराणसी विकास समिति के सचिव विशाल सिंह ने विरोध को भ्रम की स्थिति फैलाने वाला करार दिया. उन्होंने दोहराया कि सरकार ने विश्वनाथ मंदिर के विस्तारीकरण की योजना तैयार की है न कि गंगा पाथवे की. उन्होंने कहा कि गंगा पाथवे का नाम बताकर अफवाह फैलाई जा रही है.
उन्होंने दावा किया कि विस्तारीकरण में पड़ने वाले पुराने मकानों या फिर पौराणिक मंदिरों को ध्वस्त नहीं किया जा रहा. उनके मुताबिक ऐसी इमारतों का संरक्ष्ण होगा. उन्होंने केवल अवैध तरीके से बनाए गए मकान ध्वस्त किए जाने का दावा किया. उन्होंने कहा कि इन अवैध निर्माण के ध्वस्तीकरण के बाद यहां काफी जगह हो जाएगी. उनके मुताबिक़ इस जगह का इस्तेमाल आने वाले श्रद्धालुओं को सुविधाएं मुहैया कराने में किया जाएगा. हालांकि इन दावों के उल्ट इलाके से बाहर आई तस्वीरें मंदिरों के तोड़े जाने की बात सही साबित कर रही हैं.
इलाके के रहने वाले लोगों ने अपनी आवाज सरकार और देश के लोगों तक पहुंचाने के लिए "धरोहर बचाओ समिति - काशी" नाम का फेसबुक पेज बनाया है . इस समिति का गठन पौराणिक मंदिरों और मकानों को बचाने के लिए हुआ है. इसकी अगुवाई श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के महंत बबलू महाराज कर रहे हैं. सोशल मीडिया पर इस फेसबुक पेज के जरिए लोगों का समर्थन मांगा जा रहा है. इसी पेज पर इलाके में तोड़े गए मन्दिरों और मकानों की फोटो भी साझा की गई है.
वहीं इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे अधिकारियों का मानना है कि मन्दिर का विस्तारीकरण समय की मांग है. उनके मुताबिक ऐसा यहां लगातार बढ़ रही श्रद्धालुओं की संख्या के कारण जरूरी हो गया है. प्रोजेक्ट के मुताबिक़ कॉरिडोर में नक्काशीदार पिलर्स के अलावा दीवारों पर भी देवी देवताओं की आकृतियाँ उकेरी जाएंगी. कॉरीडोर के दोनों तरफ देव प्रतिमाओं के विग्रह स्थापित किए जाने की भी योजना है. साथ ही कॉरिडोर में ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद की ऋचाएं, उपनिषद और 18 पुराणों के मंत्र भी लगातार गूंजेंगे.
जानकारी के मुताबिक़ कॉरिडोर में एक बार में एक साथ दो हजार श्रद्धालुओं खड़े होने की व्यवस्था की जाएगी. साथ ही यहां आरती पूजा के लिए टिकट काउंटर, पीने का पानी और श्रद्धालुओं के लिए शौचालय भी बनाया जाएगा. इसके अलावा श्रद्धालुओं के प्रसाद का काउंटर भी खोला जाएगा. इस प्रजेक्ट के लिए ड्रोन से सर्वे का काम पूरा हो है. कॉरिडोर के रास्ते में पड़ने वाले 167 मकानों को तोड़ने का काम तेजी से हो रहा है. जिस तेजी से प्रोजेक्ट आगे बढ़ रहा है, उसी तेजी इसे लेकर विरोध की आवाजें भी बढ़ रही हैं.