इलाहाबाद: योगीराज में यूपी पुलिस के दरोगाओं को प्रमोशन देकर इंस्पेक्टर बनाए जाने की प्रक्रिया विवादों में घिर गई है. दर्जनों दरोगाओं ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल कर प्रमोशन में धांधली व मनमानी के गंभीर आरोप लगाए हैं.


आरोप लगाया है कि प्रमोशन देने की कोई पारदर्शी नीति नहीं बनाई गई और पिक एंड चूज का फार्मूला अपनाकर चहेतों को प्रमोशन दे दिया गया है. दरोगाओं द्वारा हाईकोर्ट में दाखिल की गई अर्जियों में प्रमोशन पाने वाले तकरीबन बाइस सौ सब इंस्पेक्टर्स के प्रमोशन को रद्द कर नये सिरे से लिस्ट जारी करने की अपील की गई है.


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इन अर्जियों पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने यूपी सरकार व पुलिस भर्ती बोर्ड से जवाब तलब कर लिया है. दोनों से चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा गया है. अदालत इस मामले में तीन जुलाई को फिर से सुनवाई करेगी. हालांकि अदालत ने अंतिम फैसला आने तक प्रमोशन लिस्ट के अमल होने पर रोक लगाने से मना कर दिया है.


मामले की सुनवाई जस्टिस सुनीता अग्रवाल की सिंगल बेंच में हुई. याची दरोगाओं की तरफ से एडवोकेट विजय गौतम ने बहस की. उन्होंने अदालत में कहा कि इसी साल 28 फरवरी को यूपी पुलिस के भर्ती बोर्ड ने 2183 सब इंस्पेक्टर्स को प्रमोशन देकर उन्हें इंस्पेक्टर बना दिया.


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आरोप लगाया गया कि कहने को तो इसमें साल 2007 -2008 के दरोगाओं को रखा गया, लेकिन हकीकत में नियमों की अनदेखी करते हुए भेदभाव भी किया गया है. तमाम ऐसे लोग जो सीनियरटी लिस्ट में ऊपर थे, उन्हें प्रमोशन नहीं दिया गया और कई जूनियर लोगों को इंस्पेक्टर बना दिया गया.


साफ़ आरोप लगाया गया कि प्रभावशाली लोगों के दबाव के चलते पिक एंड चूज की नीति अपनाई गई और चहेतों को प्रमोशन दे दिया गया. कहा गया कि इस फैसले से तमाम दरोगा मानसिक रूप से परेशान हैं और इसका असर उनके काम पर भी पड़ सकता है.