अगर होम क्वॉरन्टीन में हैं तो सावधानी बरतें, डॉक्टर के संपर्क में रहना जरूरी
होम क्वॉरन्टीन में रह रहे लोगों के लिए सही सावधानी बरतना बहुत जरूरी है. समय समय पर डॉक्टरों से सलाह मशवरा करके अपने सेहत का ध्यान रखना चाहिए.
मुंबई: अगर कोरोना का माइल्ड सिम्पटम हो या अगर कोई लक्षण न हो तो घर पर रहकर भी ठीक हो जाता है लेकिन उसके लिए सावधानी बरतना बेहद जरूरी है. ऐसा नहीं होने पर जान पर भी बन सकती है. पिछले कुछ दिनों में लक्षण नहीं दिखने वाले मरीज़ों की मौत से होम क्वॉरन्टीन में रहकर इलाज कराने की प्रक्रिया पर ही सवाल खड़े होते हैं.
9 जून को बीएमसी के उपायुक्त शिरिष दिक्षित की रिपोर्ट कोरोना पॉज़िटिव आने के दूसरे ही दिन उनकी अपने घर में मृत्यु हो गई. वहीं इससे पहले 23 मई को दक्षिण मुंबई में डायबिटीक पेशंट का 15 मई से उनके घर में ही इलाज चल रहा था. लेकिन ऑक्सीजन लेवल कम होने पर उनका बेटे उन्हें अस्पताल तक नहीं ले जा पाया क्योंकि समय पर एंबुलेंस और अस्पताल में बेड नहीं मिला.
इन सभी की मृत्यु अनपेक्षित और चौंकाने वाली है. सौम्य लक्षण या लक्षण नहीं दिखने की वजह से इन सभी का इलाज घर पर करने का निर्णय लिया गया और इसी निर्णय ने इनकी जान ले ली.
कोरोना फैलने की शुरुआत में हर मरीज़ को अस्पताल या कोरोना सेंटर में रखा जाता है. उनका वहां डॉक्टरों की निगरानी में इलाज होता है लेकिन कोरोना ग्रस्त मरीज़ों की संख्या लगातार बढ़ने लगी. अस्पताल में बेड मिलना मुश्किल हो गया और प्रशासन ने अपने नियमों में बदलाव करके एसिम्प्टोमैटिक मरीज़ों को संभव होने पर घर में ही रहकर इलाज करने की अनुमति दे दी.
मुंबई में फ़िलहाल 26379 कोरोना के एक्टिव केसे हैं जिनमें से मुंबई के अलग अलग अस्पतालों में कुल 7600 मरीज़ हैं. यानि बचे हुए ऐक्टिव केस 18797 में करीब 50 फीसदी मरीज़ होम क्वॉरन्टीन में रहकर अपना इलाज करा रहे हैं.
बीएमसी कमिश्नर का दावा है कि मुंबई में मरीज़ों के लिए अस्पताल में बेड बढ़ाए जा रहे है. अगले कुछ दिनों में 300 आईसीयू बेडस भी उपलब्ध किए जाएंगे और बीएमसी के पोर्टल पर 10000 बेड उपलब्ध होने की जानकारी भी दी गई है. अगर ऐसा है तो मरीज़ों को अस्पताल में बेड उपलब्ध क्यों नहीं हो रहे? मरीज़ों की संख्या बढ़ने से बढ़े प्रेशर को कम करने और ख़ाली पड़े अस्पतालों के बेड के आंकड़े दिखाकर मुंबई में कोरोना की स्थिति में सुधार का दावा करने के लिए क्या मरीज़ों को घर में रहकर इलाज करने की सलाह दी जा रही है? ये सवाल यहां खड़ा होता है.
वहीं इस मामले के विशेषज्ञ डॉ अमित मायदेव का कहना है, '‘घर में इलाज करा रहे मरीज़ों की समय समय पर मॉनिटरिंग और जरुरत पड़ने पर तुरंत अस्पताल में भर्ती कराकर इलाज कराने की सुविधा उपलब्ध कराना भी बेहद जरुरी है.'' लिहाज़ा घर पर रहकर अगर इलाज करा रहे हैं तो सावधान रहकर समय समय पर डॉक्टरों से सलाह मशवरा करके अपने सेहत का ध्यान रखें और हो सके तो अस्पताल के डॉक्टरों की निगरानी में ही इलाज कराएं.