लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई केबिनेट की बैठक में अहम फ़ैसला लिया गया है. एक साल तक के लिए उत्तर प्रदेश में विधायकों को विधायक निधि नहीं दी जाएगी. इसके अलावा मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायक और विधान परिषद सदस्यों के वेतन में भी 30 फ़ीसदी की कटौती की जाएगी. सरकार की ओेर से यह फ़ैसला कोरोना वायरस महामारी से लड़ने के लिए लिया है. इस रक़म को चिकित्सा सुविधा, खाद्य पदार्थ और क्वारंटाइन कैंपों पर खर्च किया जाएगा.


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में चार प्रस्तावों को पारित किया गया है. इसमें कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए मुख्यमंत्री समेत मंत्रियों और विधायकों के वेतन में से एक साल तक 30 फीसदी रकम की कटौती का प्रस्ताव है. वित्त मंत्री सुरेश खन्ना और कैबिनेट मंत्री मोती सिंह ने बताया कि कोरोना वायरस महामारी से लड़ने के लिए मुख्यमंत्री समेत सभी मंत्रियों, विधायकों और विधान परिषद सदस्यों का वेतन, निर्वाचन क्षेत्र भत्ता, कार्यालय भत्ता का 30 फीसदी रकम कोविड केयर फंड में जमा करने का कैबिनेट ने निर्णय लिया है.


कैबिनेट की बैठक में विधायक निधि को 1 साल के लिए सस्पेंड कर दिया गया है. 2020 और 2021 की विधायक निधि का इस्तेमाल कोरोना से लड़ने में किया जाएगा. इसके 1509 करोड़ रुपए कोविड केयर फंड में जमा होंगे. वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि प्रदेश में 56 मंत्री है. इनके वेतन और भत्ते का 30 फीसदी रकम 2,21,76,000 रुपए बनता है. प्रदेश में 503 विधायक और विधान परिषद के सदस्य हैं. इनके वेतन का 30 फीसदी कटौती कर 15,28,74,000 रुपए कोविड केयर फंड में जमा किया जाएगा. कुल मिलकार 17,50,50,000 रुपए कोविड केयर फंड में एक साल तक जमा होगा. इस फंड को  चिकित्सीय सुविधाओं को मजबूत करने के लिए खर्च किया जाएगा.


उन्होंने बताया कि आपदा निधि-1951 में बदलाव किया गया है. अब तक आपदा निधि में 600 करोड़ की राशि थी, जिसे अब बढ़ा कर 1200 करोड़ किया गया है. इस रकम को भी चिकित्सीय सुविधा, खाद्य पदार्थ, क्वरांटाइन कैंप और अन्य सुविधाओं के लिए खर्च किया जाएगा.