पटना: बिहार सरकार ने कोरोना संदिग्ध या आइसोलेशन में रह रहे लोगों पर नजर रखने के लिए नया तरीका खोज निकाला है. इस अभियान में राज्य सरकार के मददगार हैं दो ऐप्स जिमकी मदद से कोरोना संदिग्धों पर नजर रखी जा रही है. जिनके ना गरुण और जियो फेंसिंग ऐप हैं.
गरूड़ ऐप
गरूड़ ऐप के जरिए क्वारंटीन सेंटर या आइसोलेशन में रखा गया शख्स वहां है या नहीं इसका औचक निरीक्षण करवाया जा रहा है. इस ऐप में यस और नो के दो कॉलम बने हुए हैं. जिस जगह पर वह संदिग्ध हैं वहां किसी सरकारी कर्मचारी को भेजा जाता है. कर्मचारी को गरुण ऐप पर जाकर उस वक्त का फोटो लेना है और यस या नो पर टिक करना हैं. अगर वह संदिग्ध वहां है तो ''यस'' और अगर नहीं है तो ''नो'' को टिक करना है. जिसके बाद तुरंत संदिग्ध पर कार्रवाई करने की शुरुआत हो जाती है.
जियो फेंसिंग ऐप
यह ऐप भारत सरकार के टेलीकॉमिनिकेशन डिपार्टमेंट के सहयोग से काम करता है. इस ऐप के ज़रिए वैसे लोगों को ट्रैक किया जा रहा है जो विदेश से लौटे हैं औऱ अपनी पहचान छुपाने में भी लगे हैं. इन लोगों की हर हरकत पर नज़र रखी जा रही है. मसलन अगर वह क्वारंटीन में 100 मीटर भी इधर से उधर होते हैं तो पटना में वॉर रूम में बैठकर पता किया जा सकता है कि उनकी लोकोसेन क्या है. उन्हें समझाया जाता है और ज़रूरत पड़ने पर सख्ती भी की जाती है. इस ऐप के उपयोग करने के लिए भारत सरकार के गृह मंत्रालय से बाकायदा अनुमति ली गई है.
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