नागपुर: देशभर में जानलेवा वायरस कोरोना का कोहराम मचा हुआ है. ऐसे में डॉक्टरों समेत मेडिकल स्टाफ लगातार अपनी सेवाएं दे रहे हैं. कोरोना मरीजों के लिए नागपुर में ऐसा ट्रांसपोर्ट सिस्टम डेवलप किया है. जिससे कि कोरोना के मरीज़ को ले जाने के दौरान कोरोना के संक्रमण के फैलने का ख़तरा कम हो जाएगा. यह भारत की ऐसी पहली यातायात व्यवस्था है. इससे नर्सिंग स्टाफ़ समेत आस-पास के लोगों को भी संक्रमण का ख़तरा नहीं होगा.
कोरोना मरीजों को संभालना, एक जगह से दूसरे स्थान ले जाना यह स्वास्थ्य क्षेत्र में कार्य करने वालो लोगों के लिए जानलेवा हो सकता है. कोरोना के मरीजों को एम्बुलेंस में ले जाने से लेकर तमाम जांचों समेत बेड शिफ़्टिंग के दौरान हॉस्पिटल में कार्यरत पैरामेडिकल स्टाफ़ समेत तमाम लोगों को कोरोना के संक्रमण का खतरा रहता है. डॉक्टर, नर्सें, सफाईकर्मी, ड्राइवर और सुरक्षाकर्मी समेत तमाम लोग कोरोना पीड़ित के संपर्क में आते हैं.
Covi-Safe ऐसे करेगा काम, नितिन गडकरी ने किया लोकार्पण
ऐसे में एक ऐसे ट्रांसपोर्ट सिस्टम की आवश्यकता थी जो इन लोगों से संक्रमण को दूर रख सके. इस बात को ध्यान में रखकर नागपुर के ऑरियस इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस के डॉक्टरों ने सामने आकर स्वयं के पैसे से एक अनोखी यातायात व्यवस्था बनाई है. जो भारत का पहला और पूरी तरह मेक इन इंडिया उत्पादन हैं.
कोरोना के मरीज को लाने ले जाने की इस यातायात व्यवस्था में मरीज को एक पारदर्शी बंद उपकरण में रखा जाता हैं। इस उपकरण में ऑक्सीजन सप्लाई हमेशा चालू रहती है. वहीं मरीज को किसी भी तरह तकलीफ नहीं होती है। मरीज बाहर के लोगों से बातचीत भी कर सकता है। इसमें वेंटीलेटर की सुविधा भी दी गई है. जिससे मरीज़ को कहीं भी सुरक्षित तरीक़े से ले जाया जा सकता है.
डॉ. अनंतसिंह राजपूत, डॉ. परीक्षित महाजन की संकल्पना और मेहनत से और इनके स्वयं के पैसे से यह उपकरण को तैयार किया हैं। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इस COVI - SAFE transport system को सोशल डिस्टंसिंग के नियम का पालन कर इसका लोकार्पण किया।
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