आगरा, नितिन उपाध्याय। आगरा में कोरोना वायरस का संक्रमण सबसे बुरे दौर में पहुंच गया है। पारस अस्पताल, एसएन मेडिकल कॉलेज से इस घातक संक्रमण का फैलना ऐसा शुरू हुआ जो अब तक थमने का नाम नहीं ले रहा है। आगरा की सेंट्रल जेल कोरोना वायरस का नया ठिकाना बनती जा रही है। यहां बुधवार को 10 कैदी कोरोना पॉजिटिव मिले। फिलहाल 100 कैदियों को क्वारंटीन कर दिया गया है। दरअसल, सेंट्रल जेल में निरुद्ध सजायाफ्ता कैदी की 9 मई को कोरोना संक्रमण के चलते मौत हो गई थी।


झांसी का रहने वाला था जेल में मृत कैदी

डीआईजी जेल लव कुमार ने बताया कि झांसी का रहने वाला वीरेंद्र नाम का कैदी दिसंबर 2019 में हत्या के प्रकरण में सजा मिलने के बाद उसे आगरा सेंट्रल जेल में शिफ्ट किया गया था। हाई ब्लड प्रेशर व फेफड़े की बीमारी के चलते उसकी तबियत बिगड़ने पर 3 मई को सरोजनी नायडू अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां उसकी कोरोना जांच हुई तो वह पॉजिटिव पाया गया। लेकिन 9 मई को उसकी मौत हो गई।

जेल प्रशासनने कैदी के अंतिम संस्कार के लिए उसकेबेटे से बात की थी। लेकिन, वह लॉकडाउन के चलते नहीं पहुंच सका था। जेल प्रशासन ने उसका अंतिम संस्कार कराया था। इसके बाद जेल के 14 कैदियों व 13 स्टॉफ का कोरोना टेस्ट कराया गया। जिसमें से 10 कैदी पॉजिटिव मिले हैं। अब 100 कैदियों को क्वारैंटाइन किया गया है।

जेल प्रशासन ने फैसला लिया है कि संपर्क में आने वाले 100 से ज्यादा कैदियों और जेल कर्मचारियों की सैंपलिंग करायी जाएगी। जेल प्रशासन ने जेल के भीतर अलर्टनेस को बढ़ाने जा रहा है। इसके अलावा सभी संपर्क में आने वाले कैदी जेल में ही क्वारंटीन होंगे।


जिला कारागार में 410 कैदी हैं, जबकि जेल में 122 कैदियों को ही रखने की क्षमता है। जेल प्रशासन द्वारा कैदियों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य परीक्षण कराया जा रहा है। इसके लिए जेल में बंद कैदियों के उनके परिजनों से होने वाली मुलाकात बंद करा दी गई है। बाहर से आने वाले कैदियों को नहीं लिया जा रहा है।


सावधानी के लिये कैदियों की पेशी के लिए कोर्ट नहीं ले जाया जा रहा है, बल्कि उनकी पेशी सीधे वीडियो कॉंफ्रेंसिंग के माध्यम से कराई जा रही है। जेल प्रशासन द्वारा कैदियों की सुरक्षा के लिए जेल में बैरकों को रोजाना सुबह व शाम सैनिटाइज कराया जा रहा है। चिकित्सकों की टीम द्वारा कैदियों की स्क्रीनिंग कराई जा रही है और जो नए कैदी जेल में पहुंच रहे हैं, उन्हें चिकित्सकों की टीम की देखरेख में 14 दिन तक अलग से क्वारंटीन कराया जा रहा है।